विज्ञान का आज जो भी रूप है वो हम सब के सामने ही है, उस पर विशेष चर्चा करना यहाँ मेरा उद्देश्य नहीं है. इतना ज़रूर कहूँगा की चाहे विज्ञानं का क्षेत्र हो या आध्यात्म हमरे ऋषि मुनियो ने अपने जीवन काल मे इसका बृहद अभ्यास किया था और विविध विज्ञानं मे वो निपूर्ण थे. इसी क्रम मे कई विज्ञानों का आदि काल मे प्रचलन रहा था जिसमे विविधगणितविज्ञान, ज्योतिषविज्ञान, खगोलविज्ञान, चिकित्साविज्ञान, काल व् क्षणविज्ञान, अणुविज्ञान, वैमानाकी और दूसरे यांत्रिक विज्ञान, ध्वनिविज्ञान, सूर्य / चन्द्र / ग्रह व् नक्षत्र विज्ञान, रसायन विज्ञान, ब्रम्हांडीय विज्ञान, प्राद्योग विज्ञान, पंचतत्व विज्ञान, धूम्र विज्ञान, कला विज्ञान जैसे १०८ मूल विज्ञान का समावेश होता है. आज का विज्ञान इस बात को स्वीकारे या नकारे लेकिन ये सत्य है की उस समय भी हमारे ऋषि मुनि विज्ञान के क्षेत्र मे अत्यधिक आगे थे आधुनिक विज्ञान जिसका एक प्रतिशक भी नहीं है. लेकिन आज इस युग मे हमारा प्राचीन विज्ञान व् धरोहर लुप्त हो गई है.
यहाँ, इस विषय पर चर्चा करने के लिए एक विशेष कारण है. जो तथ्य सिर्फ कुछ लोगो के सामने ही आ पाया है. जिस प्रकार सदगुरुदेव ६४ तन्त्रो मे सिद्ध थे, उसी प्रकार वे इन सभी १०८ विज्ञान मे भी सिद्धहस्त रहे है. समय समय पर कुछ शिष्यों को उन्होंने कई विज्ञानो का ज्ञान कराया है, सूर्य विज्ञान, काल विज्ञान, रसायन विज्ञान जेसे कई विषयो पर तो वे शिविरों मे भी अपने शिष्यों को समजाते थे, लेकिन मूलतः उनका ये पक्ष भी उनके कई पक्षों की तरह सामान्य शिष्यों से गोपनीय ही रह गया लेकिन कुछ विशेष गिने चुने शिष्यों ने ही सही लेकिन विज्ञान मे भी बराबर पूर्णता प्राप्त की है.
विज्ञान क्या है तो इस सन्दर्भ मे समजने के लिए ये कहा जा सकता है की ज्ञान के क्षेत्र का विशेष ज्ञान को जो की पूर्णतः सैधांतिक है. प्रकृति के मूल सिद्धांत है की कोई भी क्रिया करने पर एक विशेष शक्ति उत्प्पन होती है जिसके फलस्वरुप उस क्रिया का कुछ न कुछ परिणाम आता है.(cause and effect relationship) यही मूल सिद्धांत के कई उप सिद्धांत है की कोन सी प्रक्रिया करने पर प्रकृति मे विशेष मनोकुलित परिणाम को प्राप्त किया जा सकता है (reflection cause of power) या कोई परिणाम को प्राप्त करने के लिए प्रकृति के किस मूल सिद्धांत या उप सिद्धांत को किस प्रकार गतिशील किया जाए (power generation and modulation). ये कोई चमत्कार नहीं है, यह पूर्णतः सिद्धांत के ऊपर आधारित है. जैसे की कोई चीज़ को उठाओ और उसे दूसरी जगह पे रखो, ये परिवर्तन एक सामान्य सिद्धांत पर आधारित है. जिसमे सिद्धांत ये था की उठाने की शक्ति का उपयोग कर किसी भी पदार्थ का स्थानातरण किया जा सकता है.
****NPRU****
यहाँ, इस विषय पर चर्चा करने के लिए एक विशेष कारण है. जो तथ्य सिर्फ कुछ लोगो के सामने ही आ पाया है. जिस प्रकार सदगुरुदेव ६४ तन्त्रो मे सिद्ध थे, उसी प्रकार वे इन सभी १०८ विज्ञान मे भी सिद्धहस्त रहे है. समय समय पर कुछ शिष्यों को उन्होंने कई विज्ञानो का ज्ञान कराया है, सूर्य विज्ञान, काल विज्ञान, रसायन विज्ञान जेसे कई विषयो पर तो वे शिविरों मे भी अपने शिष्यों को समजाते थे, लेकिन मूलतः उनका ये पक्ष भी उनके कई पक्षों की तरह सामान्य शिष्यों से गोपनीय ही रह गया लेकिन कुछ विशेष गिने चुने शिष्यों ने ही सही लेकिन विज्ञान मे भी बराबर पूर्णता प्राप्त की है.
विज्ञान क्या है तो इस सन्दर्भ मे समजने के लिए ये कहा जा सकता है की ज्ञान के क्षेत्र का विशेष ज्ञान को जो की पूर्णतः सैधांतिक है. प्रकृति के मूल सिद्धांत है की कोई भी क्रिया करने पर एक विशेष शक्ति उत्प्पन होती है जिसके फलस्वरुप उस क्रिया का कुछ न कुछ परिणाम आता है.(cause and effect relationship) यही मूल सिद्धांत के कई उप सिद्धांत है की कोन सी प्रक्रिया करने पर प्रकृति मे विशेष मनोकुलित परिणाम को प्राप्त किया जा सकता है (reflection cause of power) या कोई परिणाम को प्राप्त करने के लिए प्रकृति के किस मूल सिद्धांत या उप सिद्धांत को किस प्रकार गतिशील किया जाए (power generation and modulation). ये कोई चमत्कार नहीं है, यह पूर्णतः सिद्धांत के ऊपर आधारित है. जैसे की कोई चीज़ को उठाओ और उसे दूसरी जगह पे रखो, ये परिवर्तन एक सामान्य सिद्धांत पर आधारित है. जिसमे सिद्धांत ये था की उठाने की शक्ति का उपयोग कर किसी भी पदार्थ का स्थानातरण किया जा सकता है.
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