केबल धन को ही लक्ष्मी नहीं कहा गया हैं बल्कि इसके तो अनेको रूप हैं , और हर रूप का अपना एक अलग ही अर्थ हैं . अगर धन हैं और संतान नहीं हैं तब भी जीवन कैसे पूर्ण हुआ और दोनों हो और घर या आवास का सुख नहीं हो तो भी कमी तो हैं ही . ठीक इसी तरह सब कुछ हो और आयु सुखनहीं हो तो यह भी क्या काम का शास्त्रों में लक्ष्मी के १००८ रूप बताये गए हैं पर सभी रूप सभी के पास हो यह कैसे सम्भव् हैं ,
अतः मुख्य रूप से अष्ट लक्ष्मी का रूप सामने आया कि कम से कम इतना तो मानव मात्र के पास हो तो भी उसे सुखी संपन्न माना जासकता हैं और शायद इसे भी भौतिक अष्ट सिद्धिया के नाम से संबोधित किया गया हैं . और इतना भी जिसको मिला हैं वह तो इन्द्र को भी चुनौती दे सकता हैं . और जिसके पास इतना और वह अपने नियंत्रण में हैं वह तो योगी हैं ही.
पर समस्त सुखो को बनाये रखने के लिए धन का महत्त्व तो कम नहींहैं . इस बात को कोई भी नज़र अंदाज़ नहीं कर सकता हैं . और यह धन सुख कैसे जीवन में लगतार आये , उसके लिए अनेको प्रयोग हमारे सामने आते हैं और हमे उनको करते रहना भी चाहिए भी .
अगर कोई प्रयोग यंत्र विधान के साथ हमारे सामने आता हैं और उसके साथ यदि हमें कोई मंत्र विधान भी मिले तो करते रहना चाहिए क्योंकि लक्ष्मी साध नाए तो जीवन का सौभाग्य हैं . और हमेशा इसलिए करते रहने चाहिए क्योंकि जीवन में दोष तो लगतार आते ही रहते हैं .इसकारण पूर्व में कि गयी साधनाओ का सर कम भी होते रहता हैं .
इस यन्त्र का निर्माण के लिए प्रातः काल स्नान कर ले , और भोज पत्र पर इस यन्त्र का अंकन करना हैं .स्याही होगी लाल चन्दन की और लिखने के लिए आपको लाल गुलाब की लकड़ी लेना चाहिए मतलब उसकी कलम ले ले .
मंत्र -- ॐ ह्रीं श्रीं स्थिर अष्ट लक्ष्मी मम गृहे निवासय कुरु कुरु स्वाहा ||
यन्त्र निर्माण के बाद ११,००० मंत्र जप करना हैं .किसी भी माला से , कोई विशेष नियम नहीं हैं , दिशा , वस्त्र जैसा संभव हो .
और इसके बाद धुप दीप से यन्त्र की पूजा करना हैं और फिर इसे चांदी के ताबीज में डाल कर आप धारण कर सकते हैं .
चाहे तो आप आगे भी जितना उचित हो उतना उपरोक्त मंत्र जप करते जाए . निश्चय ही आपके सामने धनागम के अनेको रास्ते खुलते जायेंगे .
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The finance is not consider a only form of lakshmi but the goddess lakshmi has many forms and each and every form has its own significance and meaning. If one has money but no happiness on the point of children that what does mean. And suppose he is having both but not the home than also that is not consider full happiness, still something is lacking. And if all that and no life span than what is that mean. The holy granths says that there are 1008 form of goddess lakshmi . but is it possible that one will have the blessing of all that forms.
Than most important 8 forms of goddess comes that is knows as the asht lakshmi . and if the blessing of these form available to any one that can be said a person with complete happiness. And those who has this, can challenge the indra on the ground of happiness. And theses are also known as material asht siddhi and after having this , if person can control himself that can be called a yogi.
To maintain all those asht siddhi the importance of money or finance cannot be underestimated. And no one can denied that. But how that the continuous flow of money is maintained . for that so many prayog here we are continuously providing and one should do that as many as possible .
If any yantra sadhana comes with mantra than , that should be very important one and sadhak must go for that . since lakshmi sadhana’s are the beauty of life, and we should do them continuously since there are so many dosha’s that continuously reducing the power of previously done sadhana .
Take a bath and became clean for to write this yantra , and this yantra can be made on the bhoj patr, with red chandan and rose flowers kalam or pen.
Mantra: om hreem shreem sthir asht lakshmi mam grahe nivasay kuru kuru swaha||
After making yantra do jap of this mantra 11,000 times in front of this yantra and after that do poojan with dhup deep and place it in any silver tabiz and wear this , you will feel the experience of of new opening of door of finance for you.
And you can do if you want continuously mantra jap .even after making this will help a lot.
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