Thursday, October 24, 2013

अमोघ लघु प्रयोग



 
नवार्ण-मन्त्रः- ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।।” 


ऐं’ – बीजमादीन्दु समान दीप्तिम् । ह्रींसूर्य तेजो द्युतिं द्वितीयम् ।।

 
क्लीं’ - मूर्तिः वैश्वानर तुल्य रुपम् । तृतीयमानन्द सुखाय चिन्त्यम् ।।१

 
चांशुद्ध जाम्बु वत् कान्ति तुर्यम् । मुंपञ्चमं रक्त तरं प्रकल्पयम् ।।

 
डांषष्ठमुग्रार्ति हरं सु नीलम् । यैंसप्तमं कृष्ण तरं रिपुघ्नम् ।।२

 
विंपाण्डुरं चाष्टममादि सिद्धिम् । चेंधूम्र वर्णं नवमं विशालम् ।।

 
एतानि बीजानि नवात्मकस्य । जपेत् प्रद्युः सकल कार्य सिद्धिम् ।।३

 
विधिः- सकल कार्य की सिद्धि सफलता हेतु, लक्ष्मी प्राप्त्यर्थ या किसी कार्य में विघ्न निवारण के लिए उक्त अमोघ प्रयोग है।


उक्त ३ श्लोक का कम-से-कम १०८ पाठ नित्य प्रातः सायं, घृत दीपक के सामने, रक्त आसन पर बैठकर, २१ दिनों तक करें।

यह साधना शुक्ल पक्ष अष्टमी अथवा किसी भी शुभ दिन से प्रारम्भ की जा सकती है।




निखिल प्रणाम।।
जय सद्गुरुदेव।।








****NPRU****

 

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