दीपावली
के दुर्लभ २ प्रयोग-
जय
सदगुरुदेव, /\
स्नेही
भाइयो बहनों !
दिवाली, यूँ तो आप सब के लिए विशेष पर्व है खुशियों से भरा
हुआ मौज मस्ती युक्त और एक दुसरे से मिलने और गिले शिकवे दूर करने का माना जाता
है, जैसे कि हम सब आज तक देखते चले आ रहें है, किन्तु साधक के लिए ये महानिशा क्या
महत्व रखती है ये सिर्फ एक साधक ही जानता है |
अभी कुछ वर्षों में एक विशेस परिवर्तन ये हुआ है की अधिकाँश
लोग समय विशेस के महत्व को समझते हुए इन महत्वपूर्ण दिवस को सार्थक बनाने का
प्रयास करते हैं, और इसी प्रयास को पूर्ण
सफलता प्राप्त हो, ये हमारा प्रयास है, और हमारे ‘निखिल- एल्केमी’ ग्रुप का
मुख्य उद्देश्य |
जिसे मै अपनी सामर्थ्य के अनुसार पूरा करने का प्रयास करती
हूँ, कितनी सफल हूँ ये सिर्फ आप ही बता सकते हैं, मै अपना कार्य पूरी निष्ठा से और
इमानदारी से करती हूँ, और यही अपेक्षा आप सब से करती हूँ कि आप सब भी उसी निष्ठां
से इन साधनाओं आत्मसात कर अपने जीवन की कमियों को दूर कर अपने जीवन सहज और सफल
बनायें |
सम्पूर्ण जीवन का
आधार है लक्ष्मी, लक्ष्मी यानि सम्पन्नता |
जीवन को सफल तब माना जाता है, जबकि व्यक्ति धन और ऐश्वर्य
से पूर्ण हों | महालक्ष्मी अपने आप में ही संसार की आधारभूता हैं | अतः जहाँ
महाकाली और माँ सरस्वती की साधना जीवन को निष्कंटक और सफल बनाती है, वहीँ भगवती
लक्ष्मी सम्मान दिलाती है |
अतः प्रथम आवश्यकता है और इसकी प्राप्ति सिर्फ मेहनत से
प्राप्त नहीं हो सकती क्योंकि अगर ऐंसा होता तो पत्थर तोड़ने वाला सबसे बड़ा धनवान
होता और दूसरा हमारा प्रारब्ध जिसमें पूर्व निर्धारित होता है कि आप के जीवन का
शौभाग्य कब उदित होगा या आप जन्म से ही धनाड्य परिवार से सम्बंधित होते हैं,
किन्तु कभी-कभी जन्म से धनाड्य जीवन के एक पड़ाव पर कंगाल भी हो जाया करते हैं या
जन्म से कंगाल व्यक्ति अचानक संपन्न | इसी को पूर्व प्रारब्ध कहा जाता है |
किन्तु अब प्रश्न ये है कि, यदि जीवन में दरिद्रता है, कर्ज
हैं, दुःख है, तो कैसे कौन सी साधना, मन्त्र उपयोग करें ?
क्योंकि मन्त्र और साधना तो लाखों करोड़ों हैं, अनेकानेक
विधान, तांत्रिक, मान्त्रिक, साबरी वैदिक आदि-आदि | तो क्यों सबका प्रयोग करें जो
कि संभव ही नहीं | ऐंसे ही समय में हमारा मार्गदर्शन गुरु के द्वारा होता है, ऐंसे
ही समय में वे हमें निर्देशत करते हैं कि हमारे लिए क्या उपयुक्त होगा ?
सदगुरुदेव ने उन हजारों लाखों मन्त्रों में से उन मन्त्रों
को चुना जो जन सामान्य के उपयुक्त थे जिसे कोई साधक या सामान्य व्यक्ति कर सकता है
और लाभ ले सकता है |
उन्ही मोतियों में कुछ
मोती आपके लिए इस दिवाली पर्व उपहार स्वरुप---- J
हो सकता है इनमें के सारे प्रयोग आपके पास हों या न हों किन्तु
मेरे अनुभवजन्य प्रयोग हैं, और मै आज भी इसका लाभ ले रही हूँ, आप भी इसे संपन्न
करें और लाभ उठायें ---
गुरु गोरखनाथ प्रदत्त प्रयोग......
महा विजय
पताका प्रयोग—
इस प्रयोग को वर्ष में चार बार कर सकते हैं गुरु गोरखनाथ के
अनुसार, अक्षय-तृतीया, धनत्रयोदशी से दीपावली तक, होली और किसी भी ग्रहण काल में |
साधना सामग्री एक पीले रंग की ध्वजा या झंडा, ८१ गोमती
चक्र, और सफ़ेद हकिक माला जो ८१ दानों की ही होगी,और एक हाथ लम्बा और चौड़ा सफ़ेद
कपडा | इन सबको आप पहले ही तैयार यानि उपलब्ध कर लें साथ ही कुमकुम या त्रिगंध |
विधान—
धनत्रयोदशी की सुबह पीले झंडे पर कुमकुम या त्रिगंध से श्री
लिखें और उसे छत पर या कहीं पर भी ऐंसी जगह लटका दें जहाँ पर वह हवा से लहराता रहे
|
अब दोपहर ठीक बारह बजे इस साधना को प्रारम्भ करना है, प्रथम
सफ़ेद कपडे को एक बड़े पट्टे पर बिछा दें, और उस पर कुमकुम या त्रिगंध से १० लाइन
आड़ी और १० लाइन सीधी खींचें इस प्रकार से ८१ कोष्ठक बन जायेंगे अब इन कोष्ठक में
एक-एक गोमती चक्र स्थापित कर दें | अब चारो कोनों पर चावल की चार देरी बनायें और
उस पर घीं में गुड मिलाकर भैरव को भोग लगायें और उनसे प्रार्थना करें कि साधना में
सफलता निर्विघ्न प्राप्त हो, अब उन सभी गोमती चक्र की पूजा कुमकुम पुष्प आदि से
करें सामने तेल, जो किसी भी प्रकार का हो सकता है, का दीपक प्रज्वलित करें, तथा
गुरु अनुमति प्राप्त करें कि, इस साधना से हमरे जीवन के सभी दूर हों तथा चहुँ ओर
से स्वर्ण वर्षा हो यानि धन आगमन के स्रोत खुलें, धन की किसी भी प्रकार की कमी न
हों, तथा व्यापार में सदैव वृद्धि होती रहे |इस मनोकामना के साथ इस साबर मन्त्र की
१ माला मन्त्र जप संपन्न करें---
मन्त्र—
दमे खुदा मीर उस्ताद इष्ट कुलू नाग बंदन सर किरारी ईसर चोट
की, किसर वंदन हमारा तनी जितनी काले अमना संभाल अबे तनातर माठू महले फरके सत चल
बंदन चला बंदन मुरे बंदन लक्ष्मी बंदन ता बंदन अधूर कुन कुनी अली शाह समंदर की दूर
मदूर काल कलावे जंजीर गुरु गोरखनाथ मछन्दर की दुहाई मेरी रक्षा करो, इक्कीस वीर
भाई शब्द साचा पिण्ड काचा फुरो मन्त्र ईश्वरी वाचा ||
Dame khudaa meer ustaad esht kuloo naag bandan sar
kiraaree eesar chot kee, keesar vandan hamaaraa tanee jitnee kaale amanaa
sambhaal abe tanaatar maathoo mahale farke sat chal bandan chalaa bandan mure
bandan lakshmee bandan taa bandan adhoor kun kunee alee shaash samandar kee
door madoor kaal kalaave janjeer guru gorakhnaath machandar kee duhaaee mari
rakshaa karo, ikkees veer bhaaee shabd saachaa pind kaachaa furo mantr eeshwaro
vaachaa .
मन्त्र जप के बाद उठकर स्नान कर लें, और बाकी सभी कुछ वैसे
ही रहने दें | इस प्रयोग को आप इन पांच दिनों में, किन्ही भी तीन दिन सम्पन्न कर
सकते हैं आप चाहें तो धनत्रयोदशी से अमावश्या तक या अमावश्या से द्वितीय तक भी कर
सकते हैं जप समाप्ति के बाद गोमती चक्र को उसी सफ़ेद वस्त्र में पोटली बाँध कर किसी
स्थान पर रख दें एवं ध्वजा को पूर्णिमा तक ऐंसे ही बंधी रहने दें |
इस प्रयोग के बाद कर्ज में डूबे व्यक्ति भी उन्नति करते
देखे गए हैं, वर्षों से प्रयासरत व्यक्ति को रोजगार मिला है चूँकि साबर प्रयोग
असफलता का तो प्रश्न ही नहीं है |
एक बात बार बार कहती हूँ व हमेशा कहती रहूंगी की साधना की
सफलता मूलतः साधक की मन के भाव श्रद्धा पर निर्भर करती जितनी सिद्धत से आप साधना
संपन्न करेंगे उसी अनुरूप आपको सफलता भी प्राप्त होगी |
प्रयोग सम्पन्न करें और प्रत्यक्ष परिणाम प्राप्त करें J
स्नेही स्वजन !
अक्सर लोग दिवाली की रात में लक्ष्मीजी का
पूजन करते है, या उससे ही सम्बंधित कोई अन्य प्रयोग, किन्तु इस बार इस महा निशा
में आप उस दिन की उत्पन्न महाविद्धया की साधना करेंगे अर्थात महाकाली साधना | जो
जीवन में अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष यानी चारो पुरुषार्थों को देने वाली है इस
साधना के माध्यम से आप अपने जीवन को निष्कंटक कर पूर्ण सुख सम्रद्धि से आनंद युक्त जीवन
बना सकते हैं | क्रमशः---
NIKHIL
PRANAM
RAJNI
NIKHIL
***NPRU***
!
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