गुरु पूर्णिमा साधना
गुरुर्ब्रह्म्हा गुरुर्विविष्णु, गुरुर्देवो महेश्वरा,
गुरु हि साक्षात् परब्रम्ह, तस्मै
श्री गुरुवै नमः|
स्नेही स्वजन,
‘आप सभी गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं’
बहनों, भाइयों ये पर्व उनके लिए लिए अति महत्वपूर्ण है जो गुरु परम्परा से
जुड़े हैं वैसे तो सभी के लिए महत्व है किन्तु हमारे लिए सर्वोपरि है .
आप सब के लिए, गुरुदेव द्वारा
प्रदत्त, गुरुदेव को ही समर्पित है ये प्रयोग-----
क्योंकि ये पर्व संतों का और गुरुओं का ही है—इस व्यास पूर्णिमा भी कहा
जाता है, आप सभी इस दिन को गुरु को समर्पित करते हुए यदि इस प्रयोग को संपन्न करते
हैं तो निश्चित ही गुरु कृपा के पात्र बन जाते हैं, और उनका आशीर्वाद चाहे अद्रश्य
या द्रश्य रूप से आपको प्राप्त होता ही है, इस पूजन के पश्चात् तो मेरा स्वयम का
अनुभव है कि कई साधनाएं स्वतः ही सिद्ध होती चली जाती हैं |
ये पूजन यदि प्रति गुरूवार भी या प्रति पूर्णिमा को भी किया जा सकता है----
वैसे तो गुरुदेव ने ११ प्रकार के गुरु पूजन का बताया है किन्तु उन सबमें इस
पूजन का विशेस कर तंत्र साधनाओं में दिलचस्पी रखने वाले साधकों के लिए अति आवश्यक
और महत्वपूर्ण है ये विधान |
तांत्रोक्त गुरु
पूजन --
पूजन हेतु सामग्री:-
गुरुचित्र,गुरुयंत्र,गंगाजल,चन्दन,कुमकुम,केशर,अष्टगंध,
अक्षत,पुष्प,बिल्बपत्र,दीप,अगरबत्ती,पुष्पहार,नैवेद्ध,पंचामृत,
आदि|
इस साधना हेतु प्रातः ब्रह्म मुहूर्त
में उठकर स्नानादि पीले वस्त्र धारण कर पीले आसन पर पूर्व दिशा की ओर मुख कर बैठ
जाएँ | अपने सामने एक चौकी रख कर पीला वस्त्र बिछाकर कर उस पर ताम्बे या स्टील की
प्लेट रख कर उस कुमकुम या चन्दन से ॐ लिखें और उस पर गुरु यंत्र या गुरु पादुका (जो
आपके पास उपलब्ध हो) गंगाजल से धोकर स्थापित करें |
बांये हाथ में जल लेकर दांये हाथ से
ढंक कर मन्त्र बोले,
ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां
गतोऽपि वा|
य: स्मरेतपूंडरीकाक्षं स बह्यभ्यांतर: शुचिः||
उसके बाद आचमन---
तत्पशचात सूर्य पूजन करें हाथ में
कुमकुम एवं पुष्प लेकर---
ॐ आकृष्णेन रजसा वर्तमानों निवेशयन्नमृतं
मर्त्यं च;
हिरण्येन सविता रथेन, याति भुवनानि
पश्यन ||
ॐ पश्येम शरदः शतं शृणुयाम शरदः शतं
प्रब्रवाम शरदः शतं,
जीवेम शरदः शतमदीना: स्याम शरदः शतं
भूयश्च शरदः शतात्|
गुरु ध्यान—
दोनों हाथ जोड़कर ध्यान करें इसमें
आपका ध्यान आज्ञाचक्र पर केन्द्रित होना चाहिए----
अचिन्त्य नादा मम
देह दासं ,
मम पूर्ण आशां देह देह स्वरूपं
न जानामि पूजां न जानामि ध्यानं
गुरुर्वे शरण्यं गुरुर्वे शरण्यं ||
मामोत्थवातं तव वत्सरूपं,
आवाहयामि गुरुरूप नित्यं ||
स्थायेद सदा पूर्ण जीवं सदैव,
गुरुर्वे शरण्यं, गुरुर्वे शरण्यं ||
आवाहन—
ॐ स्वरुप निरूपण हेतवे श्री निखिलेश्वरानन्दाय
गुरवे नमः आवाहयामि स्थापयामि |
ॐ स्वच्छ प्रकाश हेतवे श्री सच्चिदानंद,
परम गुरुवे नमः, आवाह्यामी स्थापयामि |
ॐ स्वात्माराम पिंजर विलीन तेजसे श्री ब्रह्मणे
पारमेष्ठी गुरवे नमः आवाहयामि स्थापयामि |
स्थापन—
इसके बाद गुरुदेव को अपने षट्चक्र में स्थापन करें-
श्री शिवानन्द नाथ परशाक्त्याम्बा, मूलाधार चक्रे स्थापयामि
नमः|
श्री सदाशिवानंद
नाथ चिछ्क्त्यम्बा स्वाधिष्ठान चक्रे
स्थापयामि नमः |
श्री ईश्वरानन्दंनाथ आनंद शक्त्यमबा, मणिपुर चक्रे स्थापियामि नमः |
श्री रूद्रदेवानंदनाथ इच्छा शक्त्यम्बा अनाहत चक्रे
स्थापयामि नमः |
श्री विष्णुदेवानन्द नाथ क्रिया शक्त्याम्बा सह्स्त्रारे
चक्रे स्थापयामि नमः |
पाद्ध्यम—
मम प्राण स्वरूपं, देह स्वरूपं आत्म्स्वरुपम, चिन्त्यं
स्वरुपं
समस्त रूपम रूपं गुरुम आवाहयामि पाद्दम समर्पयामि नम: |
अर्ध्य—
ॐ देवो तव वे सर्वा प्रणतवं परि, संयुक्त्वा: सक्रत्वं सहेवा: |
अर्ध्य समर्पयामि
नमः |
गंधं— निम्न नौ ‘सिद्धोघ’ का
उच्चारण करते हुए गुरु चरणों में या यंत्र निम्न सामग्री चढ़ावे----
ॐ श्री उन्मनाकाशानंद नाथ – जलं समर्पयामि
ॐ श्री सम्नाकशानान्दनाथ –
स्नानंसमर्पयामि
ॐ श्री व्यापकाशानंदनाथ- सिद्धयोगा
जलं समर्पयामि
ॐ श्री शक्त्यम्बाकाशानन्द नाथ-
चन्दन समर्पयामि
ॐ श्री ध्वन्याकाशानन्दनाथ –
कुमकुम समर्पयामि
ॐ श्री ध्वनिमात्रकाशानन्दनाथ-
केशर समर्पयामि
ॐ श्री अनाहताकाशानन्दनाथ-
अष्टगंध समर्पयामि
ॐ श्री विन्द्धवाकाशानन्दनाथ –
अक्षतान समर्पयामि
ॐ श्री द्वांद्वाकाशानन्दनाथ –
सर्वोपचरान समर्पयामि |
पुष्प, बिल्ब पत्र –
तमो स पूर्वां एतोस्मानं सक्रते
कल्याण त्वां कमलया सा
शुद्ध बुद्ध प्रबुद्ध सा चिन्य
अचिन्त्य वैराग्यं नमिताम,
पूर्ण त्वाम गुरुपाद पूजनार्थे
बिल्ब पत्रं पुष्प हारं च समर्पयामि
दीप— निम्न मन्त्र का उच्चारण कर
दीप दिखाएँ----
श्री महादर्पनाम्बा सिद्ध ज्योति
समर्पयामि
श्री सुन्दर्यम्बा सिद्ध प्रकाशं
समर्पयामि
श्री करालाम्बिका सिद्ध दीपं
समर्पयामि
श्री त्रिबाणाम्बा सिद्ध ज्ञान दीपं समर्पयामि
श्री भीमाम्बा सिद्ध ह्रदय दीपं
समर्पयामि
श्री कराल्याम्बा सिद्ध सिद्ध
दीपं समर्पयामि
श्री खराननाम्बा सिद्ध तिमिरनाश
दीपं समर्पयामि
श्री विधिशालिनाम्बा पूर्ण दीपं
समर्पयामि
नीराजन –
श्री सोम मंडल निराजनम समर्पयामि
श्री सूर्य मंडल नीराजनं
समर्पयामि
श्री अग्नि मंडल नीराजनं
समर्पयामी
श्री ज्ञान मंडल नीराजनं
समर्पयामि
श्री ब्रह्म मंडल नीराजनं
समर्पयामि
भाइयो बहनों
इसके बाद आप चाहें तो , पञ्च पंचिका भी
समर्पित कर
सकते हैं, जिसमें पञ्च लक्ष्मी, पञ्च कोष, पञ्च कल्पलता, पञ्च कामदुधा, और पञ्च
रत्न मंत्रो का प्रयोग कर पुष्प समर्पित करें, चूँकि ये सब परम्पराएँ हैं जो सब अपनी परम्परानुसार करें |
तीन बार
निम्न मन्मालिनी का उच्चारण करें –
ॐ अ आ इ
ई उ ऊ ऋ लृ लृ ए
ऐ ओ औ अ अः
क ख ग घ ङ
च छ ज झ ञ ञ
ट ठ ड ढ ण
त थ द ध न
प फ ब भ म
य र ल व श ष
स ह क्षं
हंसः सोऽम गुरुदेवाय नमः |
मूल मन्त्र
की माला करें, माला यदि मूंगा माला हो तो उत्तम या फिर अपनी गुरु माला से ही निम्न
मन्त्र की एक तीन पांच या ग्यारह माला |
मन्त्र—
“ॐ
निं निखिलेश्वराये ब्रह्म ब्रहमांड वै नमः”
|
समर्पण—
ॐ सह्नावतु सह
नौ भुनत्तु सहवीर्य करवावहे,
तेजस्विना
धीत्मस्तु मा विद्विषावहे
ॐ
ब्रह्मार्पणं ब्रहमहवि: ब्रह्माग्नो
ब्र्हम्णा हुतं
ब्रह्मेव
तेन गन्तव्यं ब्रह्म कर्म समाधिना ||
ॐ शांति:
| शान्तिः शांतिः
|
अपने गुरु के लिए अपनी परम्परा नुसार संकल्प
लेकर साधना संपन्न करें और गुरुदेव का आशीर्वाद प्राप्त करें अति शुभाकमानों के
साथ ----
***
रजनी निखिल
***
निखिल अल्केमी
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