Friday, March 6, 2015

धनदा रतिप्रिया यक्षिणी प्रयोग (भाग २)




अहम् चिन्त्यं मनः चिन्त्यं प्राणा चिन्त्यं गुरौश्वर |
सर्व सिद्धि प्रदातव्यंतस्मै श्री गुरुवे नमः ||

हे इश्वर सिर्फ आपसे एक प्रार्थनाहै कि सदैव मेरा शरीर और जीवन सदैव गुरुदेव का ही स्मरण करता रहे, मेरा मन प्रत्येक क्षण गुरु चरणों में लीन रहे, मेरे प्राण गुरु स्वरुप इश्वर में अनुरक्त रहें, ब्रह्माण्ड में केवल गुरु ही है जो मुझे समस्त प्रकार कि सिद्धियाँ प्रदान कर सकतें हैं | अतः ऐसे सदगुरुदेव को शत् शत् नमन है |

  स्नेही स्वजन,
     होली कि शुभकामनाओं के साथ जय सदगुरुदेव

 उम्मीद ही नहीं पूर्ण विश्वास है के आपने होली पूर्णिमा का साधनात्मक लाभ उठाया होगा और सदगुरुदेव से यही प्रार्थना है कि आप सबको पूर्ण सफलता प्रदान करें |
 जिन साधकों ने कल इस साधना को एक हि दिन में पूर्ण किया है उनके लिए आगे के तीन महत्वपूर्ण प्रयोग दिए जा रहे हैं, जिनसे इस साधना को पूर्णता प्राप्त होगी |


चूंकि रुद्रयामल तंत्र में वर्णित है कि धनदा रतिप्रिया यक्षिणी के साथ यदि काम देव का पूजन किया जाये (जो कि आप सबने किया ही है) तो देवि अत्यंत प्रसन्न होती हैं व साधक के सांसारिक जीवन के सभी मनोरथों को पूर्ण करती है | चाहे वो कन्याओं द्वारा श्रेष्ट पति कि प्राप्ति हेतु हुए हो या किसी भी रोगी के द्वारा शारीरिक दोषों और दुर्बलताओं का नाश करने हेतु हो | कामदेव ओर रतिप्रिया यक्षिणी के समिल्लित पूजन से साधक स्वयं कामदेव के सामान सौन्दर्य व पूर्णता भी प्राप्त कर सकता है |

 लक्ष्मी तंत्र कि सर्वोत्तम साधना मानी जाती है | भाइयों बहनों हम यदि प्राचीन ग्रंथों में भारत कि वैभवता व श्रेष्टता के बारे में पढ़ते हैं तो आश्चर्य लगता है लेकिन यह पूर्ण सत्य है ओर इसका कारण यह है कि उस समय लोगों के द्वारा किया जाने वाला आचार विचार और साधनाओं के प्रति पूर्ण आस्था, तांत्रिक ज्ञान की पूर्ण प्रमाणिक जानकारी की प्रमुखता | जैसे जैसे धर्म अर्थात प्राचीन विद्याओं को लोग भूलते चले गए वैसे वैसे दरिद्रता का आगमन होता चला गया |

 अतः आवश्यकता है इस विशेष ज्ञान को पूर्ण प्रमाणिकता के साथ समझे, परखें, स्वयं प्रत्यक्ष क्रियाओं को संपन्न करें और अपने जीवन को समृद्ध, सुसंपन्न व वैभवशाली बनायें |

 इसी क्रम में इस साधना के तीन प्रमुख प्रयोग-

·        ऋण मोचन प्रयोग
·        आकास्मिक धन प्राप्ति हेतु
·        व्यापार एवं कार्य वृद्धि हेतु

 इस साधना को संपन्न करने के बाद साधक को आवश्यकतानुसार प्रयोग संपन्न करना चाहिए

1.     ऋण मोचन हेतु
||ॐ ह्रीं श्रीं मां देहि धनदे रतिप्रिये स्वहा ||
           Aum hreem shreem maam dehi dhanade ratipriye swaha

2.     आकस्मिक धन प्राप्ति हेतु
||ॐ ह्रीं ॐ माम ऋणस्य मोचय मोचय स्वाहा ||

Aum hreem aum maam rinasy mochay mochay swaha


3.     व्यापार एवं कार्य वृद्धि हेतु
|| ॐ धं श्री ह्रीं रतिप्रिये स्वाहा ||

Aum dham shreem hreem ratipriye swaha

इन प्रयोगों को संपन्न करने के लिए जो नियम मूल साधना के हैं उन्ही को संपन्न करना चाहिए तथा मूल मन्त्र की एक माला करने के बाद सम्बंधित मन्त्र की १०१ माला एक दिन में ही सपन्न करके प्रयोग पूर्ण करें | सदगुरुदेव से यही प्रार्थना है कि आप सभी साधना संपन्न बनें और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में पूर्ण सफलता प्राप्त करें |

निखिल प्रणाम

रजनी निखिल


***NPRU***  

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