Monday, June 22, 2015

पुरुषोत्तम मास की नारायण साधना




श्री हरी साधना

 शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥

भगवान श्री हरि के कृष्ण अवतार मानव कल्याण के लिए हुआ था | श्री कृष्ण स्वरुप में भगवान् श्री हरि पूर्ण योगेश्वर, भक्ति, शक्ति, पराक्रम तथा नीति के साक्षात संगम हैं | पुरुषोत्तम माह में भगवान् श्री हरि की उपासना या योगेश्वर कृष्ण की साधना का एक ही प्रतिफल मिलता है | कृष्ण का स्वरुप आज से पाँच हज़ार वर्ष पूर्व जितना सार्थक था आज भी उतना ही है | कृष्ण का जीवनचरित्र बालपान से लेकर निर्वान तक हर कदम पर रस से, योग से, प्रेम से, माया से, नीति आदि से ओतप्रोत था | उनके जीवन की हर घटना प्रेरणादायक है, वे साक्षात परब्रह्म हैं उन्होंने अपने जीवन में कभी भी कर्म की राह नहीं छोड़ी व जीवन को पूर्ण आनंद और वैभव के साथ जिया | इसलिए कहा जाता है के सबसे बड़ा योगी तो गृहस्थ होता है जो इतने बंधनों को सँभालते हुए भी जीवन यात्रा करता है और इनसब कर्मों को निभाते हुए साधना करता है और प्रभु तक पहुँचाने का मार्ग प्रशस्त करता है
श्री हरि साधना/ यानि श्री युक्त हरि यानी नारायण साधना----
इस साधना हेतु आवश्यक सामग्री—चांदी के समतल श्री यंत्र और उस पर विष्णु जी की खड़ी प्रतिमा जो श्री यंत्र के ऊपर ही स्थापन होगी, तथा कमलगट्टे की माला | लकड़ी की चौकी पर पीला वस्त्र बिछाएं और उस पर कुमकुम से स्वास्तिक बनायें तथा उस श्री स्थापित कर फिर उस विष्णु जी की प्रतिमा स्थापित करें |

  भगवान् श्री हरी विष्णु की साधना हेतु कुछ आवश्यक तथ्य इस माह १ समय सात्विक भोजन – पीले वस्त्र, पीला आसन, उत्तर दिशा, ब्रहमचर्य, भूमिशयन इत्यादि |
पूजा हेतु – केसर, गंगाजल, अष्टगंध, घी का दीपक, नारायण की प्रतिमा, कमल के फूल यदि मिल जाएँ तो, वर्ना पीले पुष्प की पंखुडियां और भोग हेतु खीर . प्रातः ५ से के बीच और और संध्या काल में १० बजे के पहले इस साधना को पूर्ण करें


ध्यान-

मंगलम भगवान् विष्णु, मगलम गरुडध्वज: |
मंगलं पुण्डरीकाक्ष:     मंगलाय तनो हरि ||
Mangalam  bahgavaan Vishnu ,  mangalam garudhjaah |
Mangalam pundariikshaah ,        mangalaay  tano hari  ||

मन्त्र--  “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”
Om  namo  bhagvate  vaasudevaay 

इस मन्त्र की ११ माला करें फिर विष्णुसहस्त्रनाम के १,५,७,या ११ पाठ करें
विशेष- इस साधना में  नारायण सहस्त्रनाम का पाठ अति आवश्यक अंग है, जो कि किसी भी पूजा शॉप पर सरलता से मिल जायेगा या नेट पर भी उपलब्ध है | साधना अति सरल किन्तु शीघ्र फलदायी है |

 पिछले वर्ष मेरी एक बुजुर्ग आंटी ने मुझसे कहा कि- “बेटी मै कई वर्षों से नारायण की पूजा आराधना कर रही हूँ और उनके दर्शन की आकांक्षा है किन्तु ऐंसा लगता है कि अब इस युग में ये संभव नहीं है या मेरी श्रद्धा भक्ति पर मेरे पाप कर्म भारी हैं मेरे गुरुदेव ने मुझे कहा था कि तुझे ईष्ट दर्शन होंगे किन्तु अब जीवन संध्या में उम्मीद छोड़ बैठी हूँ | यदि बिटिया तुम कुछ बता सको तो मै बड़ी आभारी रहूंगी, और उन्होंने पुरुसोत्तम माह नहीं अपितु कार्तिक माह में इस साधना को संपन्न किया और उन्हें प्रभु बिम्बातामक दर्शन लाभ हुआ और ये मेरे कार्य की सार्थकता थी |
    
भाइयो-बहनों मुझे नहीं मालूम कि किसको क्या मिलेगा किन्तु जो जिस भाव से इस साधना को संपन्न करेगा उसे उसी भाव का फल मिलेगा ही |
अतः साधना करें और अनुभव करें शेष नारायण कृपा J

निखिल प्रणाम


रजनी निखिल 

No comments: