Monday, June 29, 2015

आदि महादेव का पंचाक्षरी महामंत्र प्रयोग




आदि महादेव का पंचाक्षरी महामंत्र प्रयोग

प्रचंडं  प्रकष्ठं प्रगल्भं परेशं,  अखंडं अजं भानु  कोटि प्रकाशं,

त्रयः शूल निर्मूलनं शूल पाणी, भजेऽम भवानिम पति भाव-गम्यं |


प्रिय स्नेही स्वजन !

ये साधना मूल रूप से भगवान् शिव की कृपा प्राप्ति हेतु है और पंचाक्षरी मन्त्र से शिव की प्राप्ति भी संभव है इतिहास और हमारे पुराण प्रमाण हैं कि भगवती पार्वती ने भी इसी मन्त्र के द्वारा भगवान् शिव को प्राप्त करने के लिए पहला चरण बढ़ाया था | शिव यानि परब्रम्ह | और परब्रम्ह की प्राप्ति यानी मूल उत्स से लेकर सहस्त्रार तक पहुँचने कि क्रिया |
साधना और प्रयोग में अंतर है यदि इस क्रिया को साधनात्मक रूप में करना है तो समय और श्रम दोनों ही लगेंगे और यदि मात्र प्रयोग करना है तो कृपा तो प्राप्त हो जाती है क्योंकि महादेव तो भोलेनाथ है ही |      हैं ना J

साधना विधान और सामग्री—शिव लिंग निर्माण हेतु--- तंत्र साधको के लिए शमशान की मिटटी,और भस्म, श्यामा (काली) गाय का गोबर दूध और घी, गंगा जल, शहद बेलपत्र धतूर फल और फूल स्वेतार्क के पुष्प, भांग रुद्राक्ष की माला, लाल आसन, लाल वस्त्र |
इन सभी सामग्री को पहले ही इकत्रित कर लें | स्नानादि से निवृत्त होकर जहा पर शिवलिंग का निर्माण करना है उस स्थान को गोबर से लीप कर पवित्र कर लें | तथा मिटटी भस्म और गोबर को गंगा जल से भिगोकर एक १६ इंच लम्बा और पांच इंच मोटा यानि गोलाई ५ इंच होनी चाहिए, शिवलिंग का निर्माण करें |

साधना विधान—
     पीले वस्त्र और पीला आसन उत्तर दिशा की ओर मुख कर आसन ग्रहण करें और संकल्प लेकर जो भी आप चाहते हैं, मैंने पहले ही कहा है कि यदि आप साधना करना चाहते हैं तो संकल्प पूर्ण सिद्धि का और प्रयोग करना चाहते हैं तो उस कार्य का दिन ११ या २१ करके जो आप माला निश्चित करना चाहते हैं जैसे--- ३१,०००, ५१००० आदि |  किन्तु साधना हेतु ५ लाख जप ही आवश्यक है | मंत्र के पूर्व गुरु पूजन कर चार माला अपने गुरुमंत्र की अवश्य करें जो इस साधना में आपके शरीर को निरंतर उर्जा और सुरक्षा प्रदान करती रहेगी|  गौरी गणेश की स्थापना सुपारी में कलावा लपेटकर करें और पुजन संपन्न करें तथा अपने दाहिने ओर भैरव की स्थापना करें यदि आपके पास भैरव यंत्र या गुटिका हो तो अति उत्तम या फिर सुपारी का भी उपयोग कर सकते हैं  अब भगवान् भैरव का पूजन सिन्दूर और लाल फूल से करें तथा गुड का भोग लगायें | उनके सामने एक सरसों के तेल का दीपक प्रज्वलित करें जो मन्त्र जप तक जलता रहे | अब अपने बायीं ओर एक घी का दीपक प्रज्वलित करें जो कि पूरे साधना काल में अखंड जलता रहे |

ध्यान-
ध्यायेन्नितय् महेशं रजतगिरिनिभं चारूचंद्रावतंसं ,
रत्नाकल्पोज्ज्व्लाङ्ग परशुमृगवराभीति हस्तं प्रसन्नम् |
पद्मासीनं समन्तात् स्तुतममरगणैव्याघ्रकृत्तिं वसानं,
विश्ववाध्यम विश्ववध्यम निखिल भयहरं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रं |
ॐ श्री उमामहेश्वराभ्यां नमः आवाहयामि, स्थापयामि पूजयामि ||

Dhyayenityam  mahesham  rajatgirinibham  charuchandravatansam,
Ratnakalpojvlang  parshumragvrabhiti  hastam  prasannam .
Padmasinam  samataat   stutmmarganevyaghrkrttim  vsanam,
Vishwvadhyam  vishwavandhyam  Nikhil bhayharam panchvaktram trinetram.
Om  shree  umamaheshwrabhyam namh  avahyami ,sthapyami  pujyami .

इसके शिव का पूजन पंचामृत, गंगाजल और फूल और नैवेध्य आदि से करें और एक पंचमुखी रुद्राक्ष की छोटे दानों की माला शिव को पहना दें और दूसरी माला से जप करें | सहना के संपन्न होते ही ये माला दिव्य माला हो जाएगी जो जीवनपर्यंत आपके काम आएगी |
अब एक पाठ रुद्राष्टक का करें व मन्त्र जप की सिद्धि हेतु प्रार्थना करें अब अपनी संकल्प शक्तिअनुसार जप करें |  


मन्त्र—

ॐ नम: शिवाय ||
Om namh shivay .  

                                       
इसके बाद फिर एक पाठ रुद्राष्टक का और पुनः गुरु मन्त्र | पूरे दिन आपका यही क्रम होना चाहिए | किसी भी साधना में नियम संयम का पालन पूरी दृढता होना ही चाहिए न कि अपने अनुसार कम या ज्यादा |
नियम- जो कि अन्य साधना में होते हैं- पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन, भूमि शयन, क्षौर कर्म वर्जित आदि |

विशेष—ये साधना  शैव साधकों की है अतः उनमे कुछ अघोर पद्धति से भी होंगे और कुछ वामपंथ से भी अतः उनके लिए उनका तीनों संध्या अर्थात क्रम पूजन अति आवश्यक है और यदि उन्हें शिव का अघोर पूजन क्रम आता हो तो प्रतिदिन उसी पूजन को करें क्योंकि मूलतः ये अघोर साधना ही है किन्तु शौम्यता का समावेश लिए हुए |

इस साधना क्रम को पूर्णिमा से प्रारम्भ कर पूरे श्रावण माह तक संपन्न करना है अतः जो भी साधना का संकल्प लें अच्छे से सोच समझकर करें ताकि बीच में क्रम टूटे न |
तो, जो साधक हैं वे तैयारी करें और हो जाएँ शिवमय |

भाइयो बहनों ब्लॉग पर अनेकों साधनाएं हैं आप जिन्हें पढ़ते भी हैं किन्तु सदैव कुछ नए की आसा रखते हैं ये अच्छी बात किन्तु साधनाएं सिर्फ पढ़कर मनोरंजन की लेख नहीं हैं इन्हें अपने जीवन में उतारें जरुर | मुझे लिखने में या आपको कोई भी साधना विधि बताने में कोई परेशानी नहीं है किन्तु सार्थकता तब है जब आपमें से एक व्यक्ति भी सफल हो जाता है, मै सदैव आपके इस प्रयास में साथ हूँ गुरुदेव आपको सफलता प्रदान करें-------

रजनी निखिल
***N P R U***

No comments: