Wednesday, December 17, 2008

रस शास्त्र के अद्भुत ग्रन्थ

पारद तंत्र ब्रह्माण्ड का सर्व श्रेष्ठ तंत्र है इसमे कोई दो मत नही है. ऐसा मैं इस लिए नही कह रहा हूँ की मैं ख़ुद रस शास्त्र का अभ्यास करता हूँ बल्कि इस लिए मैं ऐसा कह रहा हूँ क्यूंकि यह एक मात्र वो तंत्र है जिसके द्वारा सृजन , पालन और संहार की क्रिया संपन होती है. सदगुरुदेव कहते हैं की ६४ तंत्रों में यह सबसे महत्वपूर्ण और अन्तिम तंत्र है मतलब इस तंत्र तक पहुचने के लिए आपको सारी चुनौतिया पार करनी पड़ती हैं, अपने आपको साबित करमा पड़ता है , और यदि इस बात को ग़लत मानते हैं तो बताइए की आज ऐसे कितने लोग हैं जो प्रमाणिक रूप से १८ संस्कार करके दिखा सकते हैं.

सदगुरुदेव की विराट महिमा का एक पहलु यह भी रहा है की उन्होंने सबसे पहले समाज के सामने उन १०८ संस्कारों के विषय में बताया जिनके विषय में कभी लोगो ने सुना भी नही था. आख़िर ऐसा क्यूँ था? इसकी वजह यह रही है की पारद ८ संस्कार के बाद शक्ति वां होकर आपको भौतिक और शारीरिक उपलब्धियां देता है , यह तो ठीक है पर १८ के बाद तो वो विपरीत क्रिया करने लगता है और उसे संभालना और नियंत्रण में रखना बहुत कठिन कार्य या ये कहे की लगभग असंभव ही हो जाता है . यदि इसे नियंत्रित कर लिया जाए तो साधक को ब्रह्माण्ड के वे रहस्य उपलब्ध हो जाते हैं जिनके विषय में शायद कल्पना भी नही की जा सकती.

सदगुरुदेव ने स्वर्ण तन्त्रं में कहा है की यदि मुझे २-४ शिष्य भी मिल जाए तो मैं भारत को उसका आर्थिक गौरव पुनः दिला सकता हूँ, साथ ही साथ उन ग्रंथो को भी फिर से समाज के सामने रखा जा सके जो पारद जगत के दुर्लभ ग्रन्थ हैं.

रस शास्त्र का अध्यन करने वाले साधको के लिए यह ग्रन्थ अनिवार्य हैं क्यूंकि यह सारे ग्रन्थ न सिर्फ़ प्रमाणिक हैं बल्कि कालातीत भी हैं.

इन ग्रंथों में वर्णित क्रियायें साधकों को विस्मित कर देती हैं . अलग अलग सम्प्रदाय की गुप्त क्रियाओं को समझना और क्रियात्मक रूप से करने का आनंद ही और है. विदेशों में लोग रस तंत्र को सिर्फ़ दर्शन शास्त्र तक ही रखे हुए हैं पर हमारे यहाँ इनका कई बार प्रमाणिक रूप से दिग्दर्शन भी कराया है. यह ग्रन्थ हैं:

स्वर्ण तन्त्रं

स्वर्ण सिद्धि

स्वर्ण तन्त्रं (परशुराम )

आनंद कन्द

रसार्नव

रस रत्नाकर – नित्य नाथ

रस रत्नाकर – नागार्जुन

रस ह्रदय तंत्र

रस सार

रस कामधेनु (लोह पाद)

गोरख संहिता (भूति प्रकरण)

वज्रोदन

शैलोदक कल्प

काक चंदिश्वरी

रसेन्द्र मंगल

रसोप्निशत

रस चिंता मणि

रस चूडामणि

रसेन्द्र चिंतामणि

रसेन्द्र चूडामणि

रस संकेत कलिका

रस पद्दति

रोद्रयामल

लोह सर्वस्व

रसेन्द्र सार

और भी अनेक ग्रन्थ हैं जिन्हें प्राप्त कर अध्यन करमा ही चाहिए क्यूंकि जब आप इनका अध्यन करेंगे तभी आप हमारी गौरवशाली परम्परा के मूल्यों को समझ पाएंगे.

****आरिफ****

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