प्रिय मित्र ,
हम मैं से हर एक साधना में सिद्धिता जल्दी से पाना चाहता हैं . शब्दकोष (अंग्रेजी ) में ही सफलता , कार्य के पहले आती हैं.इसी तरह से साधना के बाद ही सफलता आती हैं . आधी से ज्यादा सफलता तो आपको उसी समय प्राप्त हो जाती हैं जब आप किसी भी साधना करने के लिए अपना मन बना लेते हैं .तोआपके लिए परीक्षा काल भी उसी समय प्रारंभ हो जाता हैं . इन पोस्ट में आपके साथ कुछ ऐसी ही समस्यां पर बिचार रख रहा.
प्रारंभ करे ...
१९८७ में शुन्य सिद्धि साधना करना चाहता था साधारण सी जानकारी के साथ साधना प्रारभ कर दी .इस साधना के अंत में एक मिटटी का घड़ा चौराहे पर रात्रि में रखन था , घर के पास ही चौराहा था , तो में तैयार था परन्तु सर्दी की रात्रि में ९/१० बजे ही वह वीरान सा हो जाता था , परन्तु उस दिन वहां पेर लोग रात्रि के २ बजे तक भी बैठे रहे . में परेशां था की क्या करूँ ....
मेरे एक गुरु भाई ने स्वर्णाकर्षण भैरव साधना प्रारंभ की , उसमे पीले रंग के लड्डू ,स्वान को खिलाना था ,जैसे ही साधना में कुछ दिन हुए ,उन्हें स्वान मिल पाना ही कठिन सा हो गया जिसे वे नैवद्य अर्पित कर सके .वे परेशान थे,एक दिन मेरे सामने उन्होंने उसे नैवेद्य अर्पित किया आश्चर्य तो ये था कि स्वान ने खाने से ही मना कर दिया . इसी साधना के दौरान उन्हेंआर्थिक समस्या इतनी बढ़ गई , कि एक दिन जब वे यह नहीं झेल पाए तो दुखित मन से साधना ही रोक दी .और लगभग दो सप्ताह के अंदर साधना प्रारंभ करने से पहले ही आर्थिक अवस्था में वह पहुंच गए. (ऐसा क्यों हुआ...)
जब भी मैं एक निश्चित साधना प्राम्भ करता था तो जैसा ही साधना के लिए निर्दिष्ट दिन आता , मैं साधना प्राम्भ करने से पहले ही हाथ खड़े कर देता .पर रात्रि के समय जब उस साधना को प्राम्भ करने का समय निकल जाता तो मेरे मन में बहुत इच्छा होती कि मैं उसे प्राम्भ करूँ , परन्तु समय तो मैंने खो ही दिया हूँ ये समस्या इतनी बढ़ गए कि एक दिन मैंने गुरुदेव जी सेइसके बारे में पूछा , कि मैं इसके बारे मैं क्या करूँ ,उन्होंने हँसते हुए कहा की मैं उस समय के बाद भी कर सकता हूँ .
पर
मैं वे फूल जो की उस साधना के लिए जरुरी थे, कहाँ से लाऊंगा क्योंकि रात्रि के उस समय फूल को पाना बहुत कठिन था , उन्होंने कहा मैं बिना उसके ही साधना कर सकता हूँ .
हाल ही मुझे आरिफ जी ने SMS SMS किया चन्द्र ग्रहण के बारे मैं , मैंने उसके अनुसार रात्रि में साधना के साधना में बैठने से पहले उन्हें सूचित किया तब उन्होंने बताया कि समय तो दिनमें ही निकल गया था .
क्या मैंने AM/PM पर धयान नहीं दिया , जबकि SMS में ध्यान से ही देखा था .
मैं अल्लाहाबाद के शिविर जो मिंटो पार्क में हुआ था एक गुरुभाई के संपर्क में आया उन्होंने बताया कि वे कुण्डलिनी जागरण कि पांच दिवसीय साधना कर रहे थे जिसमे पूर्ण ब्रहमचर्य का पालन जरुरी था .उन्होंने सफलता पूर्वक तीन दिन तो साधना की पर चौथे दिन वे खुद ही नहीं समझ पा रहे थी की वे कैसे ब्रहमचर्य नहीं रख पाए .(ऐसा क्यों हुआ जबकि वे ७/८ वर्षों से साधना के पहलेही विवाहित थे..)
सॉफ्टवेर कंपनी में कार्यरत उच्च अधिकारी मेरे मित्र ने कर्ण पिशाच साधना के बारे में साधना सामग्री ही नहीं बल्कि साधना स्थल भी चुना जहा जा कर वे इस साधना को करना चाहते थे पर ठीक उसके पहले उन्हें विदेश जाना पड़ा .
एक गुरु भाई जो दीपावली की रात्रि में एक प्रयोग करना कहते थे पूरी उन्होंने तैयारी की ओर थोडा सा आराम करने के लिए साधना कक्ष में लेट गए , अब अगली सुबह ही उनकी नीद खुली .
चलिए इन सब को तो सामान्य ओर संयोग माना जा सकता हैं पर इसे क्या कहे जब की साधना के जप के दौरान ही मन और विचार में गालिया ओर अश्लील विचार पूर्ण वेग से आ रहे हो .साधक परेशान सा हो जाता हैं कि ये क्या हो रहा हैं .
पूज्य सदगुरुदेव जी अपने एक प्रवचन में स्पष्ट बताया हैं कि इस तरह के विचार न केबल वस्तु ही नहीं पवित्र पुरुषों के बारे में भी अगर आते हैं तो भी परेशान नहीं होना चाहिए ,क्योंकि पहले अशुद्दियां जाएगी तभी तो खाली जगह बनेगी जहाँ पर शुभता आ पायेगी .
इसी तरह लक्ष्मी साधना में भी साधक के सामने आर्थिक समस्या सामने आती हैं यदि उसका विस्वास साधना ओर सदगुरुदेव जी पर अडिग बना रहता हैं तो साधना के पूर्ण होने पर उसे सफलता प्राप्त होती हैं ही . एक महत्पूर्ण तथ्य यह हैं कि जो भी उच्च देव वेर्ग कि हम साधना करते हैं तो सबसे पहले उनके गण ही आते हैं वे मार्ग कि बाधाये हटाते हैं ओर हमरे कर्मो कि शुद्ध होनाजरुरी हैं, इसी कारण ये समस्या सामने आती हैं ,क्या अपने ध्यान दिया हैं कि देव वेर्ग के यन्त्र स्वरुप वास्तव में एक किले जैसे होता हैं जिसमे उनके भिन्न भिन्न गण ,सहयोगी शक्तिया निवास करती हैं .
सामान्यतः जब भी मंथन होगा तो जहर ,अमृत से पहले ही बाहर आएगा ,इसी कारण साधना के दौरान आपके निकट सम्बन्धी क बीमार होना ,इनके बहुत से कारण हो सकते हैं जैसे पूर्व कर्म ,असावधानी,अधर्यता ,कमजोरी जो भी आप नाम दे.
बहुत सारे क्षुद्र देवता और शक्तियां आपको साधना में नहीं चाहते हैं कि आप बैठे .
सदगुरुदेव जी ने लिखा हैं कि माँ भगवती छिन्नमस्ता कि साधना प्रारंभ करने कि मानसिक इच्छा मात्र से उसी क्षण से ही साधक कि परीक्षा प्रारंभ हो जाती हैं. तो बहुत भाग्यशाली ही सफल हो पाते हैं, भला विश्व निर्धरण शक्ति माँ की कमजोरो के भाग्य में कहाँ .....
मेरे प्रिय ,माँ तो शुभ और अशुभ दोनों की शक्तिया में हैं उनसे भला अलग कहा हैं कुछ .
.ओर यह साधना पथ कोई मजाक में लेने की बस्तु तो नहीं हैं ...
यह राजसी पथ आपकी परीक्षा पग पग पर लेता ही रहता हैं ओर सदगुरुदेव जी के आशीर्वाद के तले हम उन साधना में भी सफल हो सकते हैं जिसमे सफलता पाना विगत कई हज़ार साल में साधको का भी स्वपन रहा हैं.
पर प्रश्न ये हैं ही इन समस्याओ को जीता कैसे जाये. तो हर प्रश्न क उत्तर तो होता ही हैं ....
1. हमेशा से यह ध्यान रखे की सदगुरुदेव जी केबल आपके गुरु ही नहीं हैं बल्कि माँ ,पिता ,भाई, मित्र सभी हैं, उनके दिव्य नेत्रों से कुछ भी छुपा नहीं हैं ,तो उनके सामने अपनी गलती स्वीकार करने में कैसे शर्म .एक कागज में अपनी समस्या को लिख कर उनके चित्र के सामने रख दे ,प्रार्थना करे की वे आपकोसद पथ पर बढ़ने में निर्देशित करे .वे करेंगे ही .
2. किसी भी साधना को प्रारंभ करने से पूर्व उससे सम्बंधित साहित्य पढ़े ,उनसे मिले जिन्होंने इसमें सफलता पाए हो ,ओर इन सबसे अच्छा तो ये होगा की आप सीधे ही जोधपुर जा कर गुरुदेव त्रिमूर्ति से संपर्क करे , वे आपको किसी भी अन्य गुरुभाई कि तुलना में हज़ार क्या लाख गुना मार्ग दर्शन करेंगे ही .(वे ही हमारे सामने सदगुरुदेव जी एक मात्र प्रतिनिधि हैं .
3. यदि साधना सम्बंधित उचित दीक्षा उनसे प्राप्त कर के इस मार्ग में चला जाये तो अनेकों समस्या स्वमेव ही दूर हो जाएँगी .
4. पूज्य पाद सदगुरुदेव का नित्य पूर्ण पूजन तो हर साधक के लिए अनिवार्य हैं ही ,साधना काल में तो यह अनिवार्य ही हैं .
5. भैरव पूजन ओर साधना तो हर उस साधक के लिए जरुरी हैं जो सफलता प्राप्त करना ही चाहता हैं . (सदगुरुदेव जी ने अपनी किताब भैरव साधना में इस बारे में बिस्तार से दिया हैं .)
अंत में यही निवेदन करना चाहूँगा कि आप सभी सदगुरुदेव जी के दिव्य बच्चे हैं आप कैसे असफलता पूर्ण रूप से स्वीकार कर सकते हैं सफलता निश्चय ही आपकी होगी ,ये छोटे मोटे परीक्षा आपका बिस्वास सदगुरुदेव ओर साधना से नहीं हिला सकता. इसी बिस्वास के साथ ......
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Dear friends
Every one want to achieve siddhi so early, no one have time to wait, in only dictionary where success comes first before work, but success comes after sadhana. half of the success comes as you made up your mind for a sadhana and test started for you. Here in this article some of the point I share with you.
Lets begun.
in 1987 I was very much interested in shoonya siddhi sadhana, with very little knowledge I started that and at the end of that I have to put small pot in a square in night time, usually in winter time that square became emptyafter 8/9 Pm but on the day ,I waited till 2 Am night, so many people gathered. I puzzled what to did.
One of mine guru brother doing sadhana of Swarnakarshan bhairav I that he had to put yellow color laddu to dog, but as his sadhana little bit progressed he found almost difficult to find any dog to whom he has offer Navaidya , he was very much depressed .what to do and one day in front me he offered yellow laddu to a dog, the dog refused to eat. Amazing thing. And during sadhan kaal ,my friends also suffer very much financially difficulty. He could not withstand the situation one days he told me with tearful eyes he was going to stop the sadhana. And with in two week he was again financial sound as he was earlier before starting the sadhana. Why this happened.
Whenever I too started a particular sadhana , when the sadhana days arrived , I almost given up the thought to start the sadhana . in night time, I felt strongly urge to start that again but the specified time I lost. this problem so serious with me ,one day I had to ask Gurudev ji what should I do, he smiling replied do that even the time mentioned passed,
But
How I gathered the flower for that sadhana (essential for that time I can not get that)
he replied not to worry do that without flower .
Recently Arif bhai send me an sms mentioning time of Chandra grahan . I read that, and in night time I informed him I am ready for that but what he replied, time already passed in mid day time I did not pay attention to AM /PM .i read sms very carefully but it happened…
I met one guru brother in first Allahabad shivir At Minto park ,he told me he was doing a kundalini jagran sadhana in that he has to fully follow bramcharya in those 5 days , he successfully did for first three days but on the fourth days he could not control. He told me that he did not know why that urge so great in his mind that.(why this happened, he was married person and leading a married life for 7/8 years at that time)
One high profile It manger (my friend ) wanted to start karn pishach sadhana for that he select a place and collect the samagri for that but after selecting that place he immediately went sudden foreign assignment.
One guru brother on the Deepawali eve arranged all the sadhana material for sadhana that had to done in night time, and he took little rest before starting sadhana in his sadhan room , but his eye opened only the next morning.
Let take this easy and normal but what happened when doing sadhana jap and thought of abuse and physical relation comes to mind with a force. sadhak worried why this happened.
Poojya Sadgurudev ji in one pravchan clearly mentioned that it happened if thought of abusing toward object and person holy comes not to worry ,impurities had to go only than a place vacant create for new power to come.
During lakshmi sadhana this usually happened to sadhak that during the sadhana time he has to face very tight financial difficulty, but if his faith towards sadhana and Sadgurudev ji unshaken than after completing the sadhana he can enjoy the benefit,
Very important fact is that when ever any higher deity or devata through sadhana effect comes to us, his associated shakti and gan comes first they cleared the way for his, so cleaning of various karma is precondition ,because of that that problems arises, have you not noticed that in his yantra so many circle and triangle created way that actually yantra is nothing but a representation of his full fort in that place all his associated sahyogi shaktiyan resides.
Normally this is also a fact that whenever manthan started poison comes first, so during the sadhana period either you are your close one falls ill. there are so many reason can be given for that either past karam your negligence ,impatience, weakness what ever you can call them.
And many evil forces or khudra devta also not wanted to do that sadhana,
Sadgurudev ji once wrote that in sadhana like ma chhinmasta , test started even only sadhak mentally decide to go for that sadhana. only very few success to do that.
Dear one maa power same lies in good or bad forces, maha maya also test you,
this sadhana is not the path to take it for easy.
This royal path test you strength and with Sadgurudev blessing we can get success in those sadhana what will be dreams for sadhak of last thousands years.
But question remains how we can over come that is their any way.
Yes every question has an answer
- Always keep in mind that poojya pad Sadgurudev ji is your not only your guru but he I s also your father ,brother, friends, nothing is hidden from his divine eyes, so why to has any guilt to say him your problem, simply write in a piece of paper your problem and place just below of his divine photograph pray to guide him proper way,
- Secondly before starting any sadhana do study some material related to that and meet the sadhak for guidance and but above most you can directly contact Gurudev Trimurti ji at jodhpur they will proper guide you, thousand times much better than any guru brother.(they are only authorized person by Sadgurudev ji )
- If appropriate Diksha obtained from Gurudev sadhana related much problem get automatically solved.
- Poojya pad Sadgurudev purna poojan (daily) became a must for a sadhak, who else expect him can give us success.
- Bhairav poojan and his sadhana is also a must for removing many evil and obstruction during a sadhana.(Sadgurudev ji mentioned that in bhairav sadhana book written by him in details)
At the last you are the Sadgurudev divine child how you can accept defeat finally, take one more step..success will be yours, have faith ,theses little test can not shake our faith in Sadgurudev ji and in sadhana.
Smile
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2 comments:
bahut badhiya... kya sateek likha hai..ye bilkul satya baat hai ki jabhi sadhna karne ka vichar bhi agar man me aa jata hai to pariksha tabhi se prarambh ho jati hai..apne bahut sahi nabs pakdi hai..ye lekh aage koi bhi sadhna ko karte vakt nishchit yaad ayega aur bal dega us sadhna ko purna karne ka..Akhirkar sadgurudevji kisi na kisi madhyam se hame samzha hi dete hai..Jai ho..
JAY GURUDEV,
ARIF KHAN JI, MAIN GAURANG BOL RAHA HU . MUJE TANTRA KOMUDI KA NAY AANK 1 OR 2 NAHI MILA HAI AAP KYA MUJE VOH BHEJ SAKTE HO TO BADI MAHERBANI HOGI.MY EMAIL ID; gaurang.tundaliya@gmail.com,
mlp_5280@rediffmail.com
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