Sunday, April 22, 2012

मनो वांछित निश्चित जीवन प्राप्ति हेतु सरल तंत्र साधना विधान ..…..(Saral Tantra Sadhna Process to get desired Life Partner)


 भारतीय मनिषियों ने   मानव  जीवन  को सुचारू  रूप से  गतिशील   बनाये  रखने  और  समाज में  एक   निरंतरता   के  साथ   मर्यादा  का पालन  भी हो सके   इसकेलिए  अनेको संस्कार   की  कल्पना   की .जिन्हें  हम   सोलह  संस्कार   के नाम से भी  जानते  हैं .पर   आज   इनमे से  अनेको   का पालन  वेसे नही होता   जैसे की होना   चाहिये .अब न  वेसे योग्य विद्वान   रहे  न ही उन  संस्कारों को पालन  करने लायक हमारा  मानस ...पर  कुछ संस्कारों का  अस्तित्व  आज भी हैं   उनमे से  प्रमुख हैं ..विवाह  संस्कार ..जो जीवन  की  एक महत्वपूर्ण घटना   कही जा  सकती हैं .जिस  पर   एक  पूरे  समाज  की आधार  शिला  रहती हैं.पर इसके लिए  योग्य  जीवन साथी का होना  जरुरी हैं . अनेको    विधिया   हैं  फिर चाहे  कुंडली     हो या  अन्य .पर अगर कोई मन  को भा गया  हैं तब  क्या ...क्या तब  भी कुंडली के  पीछे  दौड़े ...खासकर  उस समय   जब की  उसकी जन्म समय  की शुद्धता  के बारे  में   ही प्रशन चिन्ह  हो ..और  फिर  प्रामाणिक  विद्वान   न मिले  जो   सत्य   विश्लेषण  कर सके  तब ....
हमारी इस सनातन संस्कृति  में क्या उन   उच्चस्थ  पुरुषों को  यह न  ज्ञात   रहा होगा  की कतिपय  ऐसी   भी स्थिति भी बन सकती  हैं ...की जब कोई मन  को भा गया.और उसे  ही अपने  जीवन साथी के  रूप में  देखना  चाहता  हो   तब ..देवर्षि  नारद   ने   यह व्यवस्था   दी की .जो प्रथम  बार  के  दर्शन में  ही मन  को भा जाए  वही कन्या  श्रेष्ठ   हैं जीवन साथी के  रूप में ..क्योंकि  उन्हें   तो जीवन  के  हर  स्थिति  को ध्यान में  रखना   था .आज के इस  आधुनिक काल  में  यही समस्या   बहुत विकट  हैं.की कैसे  योग्य  जीवन साथी पाया  जाए .
और  जहाँ  योग्य हैं वहां वह आपके लिए तैयार   हो  यह भी तो  संभव  नही .तब क्या किया  जाए??
और  यह अवस्था .किसी  पुरुष के लिए   ..स्त्री पक्ष   की हो सकती हैं .
तो किसी स्त्री के लिए ...पुरुष  पक्ष   से  हो सकती हैं .अर्थात   यह प्रयोग   दोनों के लिए  ही लाभ दायक हैं .
पर ध्यान  में  रखने  योग  बात हैं .यह  किसी भी  उछंख्लाता   को बढ़ावा देनेके लिए  नही हैं .जहाँ सच में मनो भाव  पवित्र  हो .उनके लिए   हैं यह साधना ...क्योंकि   जब   कुछ  ओर  शेष  न हो तब ...
ऐसे समय ही साधना   की उपयोगिता  सामने  आती  हैं  ध्यान रखने  योग्य  बात   हैं की हर साधना  का एक अपना ही अर्थ हैं  और कोई भी मंत्र  जप  व्यर्थ नही  जाता  हैं इस  बात   को किसी भी साधना  करने  से पूर्ण मन मस्तिष्क  में  अच्छे से  उतार  लेना चहिये .
सदगुरुदेव जी ने इस  तथ्य   को कई कई  बार  कहा हैं की लंबी साधनाओ  का  अपना   महत्व  तो हैं ही .पर इस कारण   सरल   और अल्प समय  वाली  साधनाओ को   उपेक्षित   भी नही किया जा सकता   हैं .
अनेको बार   यह सरल  कम अवधि की साधनाए   बहुत  तीव्रता  से परिणाम  सामने ले आती हैं . इस प्रयोग  को  सिद्ध करना  जरुरी नही हैं ,पर   हमारी  इच्छा  शक्ति और  कार्य  सफल  हो ही इस  कारण  मात्र   दस  हज़ार  जप  कर  लिया जाए   तो सफलता  की  सभावना  कहीं ओर भी   बढ़ जाती  हैं  
नियम :
  • मंत्र  जप  यदि करना  चाहे  तो  केबल  दस  हज़ार .यह करने पर  सफलता  की सभावना  कई  गुणा  अधिक होगी .
  • पीले वस्त्र  और  पीले आसन का  उपयोग   होगा .
  • कोई भी  माला  का  उपयोग  किया  जा सकता  हैं .
  • किसी भी शुभ  दिन से  सदगुरुदेव   जी का पूर्ण  पूजन   कर प्रारंभ  कर सकते हैं .
  • सुबह  या रात्रि  काल में  भी मंत्र   जप किया  जा  सकता  हैं .
  • दिशा  पूर्व या  उत्तर   हो तो अधिक  श्रेष्ठ   हैं .
मंत्र ::

ओं ह्रीं  कामातुरे  काम मेखले  विद्योषिणि नील लोचने .........वश्यं कुरु  ह्रीं  नम:||
Om  hreem  kamature  kaam mekhle  vidyoshini neel lochne …….vasyam kuru  hreem  namah ||

जहाँ   पर   ....  हैं  वहाँ  पर इच्छित   पुरुष या  स्त्री का नाम   ले कर मंत्र   जप  करें . फिर  इस प्रयोग को सम्पन्न  करने के  बाद  जब   भोजन  करने   बैठे   तो  जो भी पहला  ग्रास  आप   काह्ये  उसे  पहले सात   बार   ऊपर  दिए मंत्र  से  अभी मंत्रित   कर  स्वयं  ग्रहण कर ले .
बहुत ही  अल्प  समय में आप इसका  परिणाम देखसकते हैं .
पर  इस प्रयोग में  यह  आवश्यक हैं की   स्त्री पुरुष ..जो भी जिसके लिए  प्रयोग कर रहा हो .उनका  आपस में  कहीं भी मिलने की सम्भावना  तो  होनी  ही चहिये ...
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 Indian saints, in order to ensure smooth functioning of society and to maintain continuously the decorum in a society have imagined of various sanskars which are usually known by the name of 16 sanskars. However, most of these sanskars are not followed as they should be. Neither do we have the capable scholars nor do we have the mind to follow this sanskars.But still, some of these sanskars do exist. The most prominent among them is Vivah Sanskar  ( Marriage) , which is very important incident of anyone’s life. It is the foundation stone of any society, but for that able life partner is necessary. There are many methods whether it’s horoscope or some other. But if you start liking someone then what……still do we run after horoscope? Especially when there are question marks about the correctness of horoscope or when we can’t find an authentic scholar who can analyse it correctly…..
Would high level persons in ancient sanatan culture have not taken cognizance of the fact that there could be situation where you start liking someone and you want him/her to be your life partner? Then Devrishi Naarad made an arrangement that the girl whom one likes at very first sight is the best choice as life partner because they had to keep in mind all the possible situation in life. In today’s modern times also, the problem of getting a suitable life partner is grave.
And if you find a suitable match then there is no guarantee that he/she is ready to acceptyou. Then what should one do?
And this condition can be with female side for any male, it can be with male side for female…meaning thereby that this process is beneficial for both of them.
But one thing has to be kept in mind that this is not to promote any disharmony but rather this sadhna is for those whose hearts are pure …….because when nothing can be done then……
At such times the utility of sadhna comes into the picture. Important thing to take note of is that every sadhna has its own meaning and any mantra chanting does not go useless. We should imbibe this thing fully into our mind before doing any sadhna.
Sadgurudev ji has revealed this fact multiple times that lengthy sadhnas have importance of their own but we can’t neglect the simple and less time-consuming sadhnas.
Many times, these simple less duration sadhnas yield result very quickly. There is no need to siddh(accomplish) this process but in order to ensure that our willpower and work is success, if this mantra is chanted 10000 times ,then possibility of our success increases.
Rules:
·        Mantra Jap if one wants to do, then chanting 10000 amplifies your chance of success multiple times.
·        Use yellow clothes and yellow aasan (mat).
·        Any rosary can be used.
·        One can start from any auspicious day after doing the complete poojan of Sadgurudev.
·        Mantra Jap can be done in morning or night time.
·        If direct is east or north, then it is best.
Mantra:
ओं ह्रीं  कामातुरे  काम मेखले  विद्योषिणि नील लोचने .........वश्यं कुरु  ह्रीं  नम:||

Om  hreem  kamature  kaam mekhle  vidyoshini neel lochne …….vasyam kuru  hreem  namah ||

Where there is ……., there you should use the name of desired male or female. After completing the process when one sits for eating the food, before having first bite, chant the above mantra 7 times.
One can see the results in a very short period of time.
But it is important in this process that male or female…..whosoever is doing this process for any person…there should definitely be some possibility of their meeting each other anywhere.                                                                                              
 ****NPRU****   
                                                           
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