Jai Sadgurudev,
Om
Satyam Ch ShriyeShradheJanmaniVrateKaaryKaaryateePravradhe Hah |
Tasmai
Shri Guruvai Namah, Tasmai Shri Guruvai Namah ||
“The lord who has taken birth as human and has tolerated all blows and
explained that human life blossoms in struggle , He Gurudev, please provide me
the strength and power to win over these struggles”
Brothers and sisters, life is not that much simple as understood by us. In fact, whatever we desire, nature does not let it get materialized, it happens exactly opposite of it, why? Why we cannot live life with simplicity and ease? Sometime we have the money but bereft of health, sometimes we possess health and wealth but do not child. If there is child, then he/she is not healthy or possesses negative qualities. Why?
Actually nature reminds us of our evil karmas committed earlier in this
life or past lives, which we cannot understand and we keep on blaming fate or
something else for other….
Brother and sister who is nature? It is none but mother Aadi Shakti…. So what is the need to worry when she is our mother….
And it is easy to appease mother. Isn’t! If we remember mother with pure heart and complete dedication then it is not possible that she does not become happy and is not compelled to provide boon….
Brothers and sisters, before Navraatri, Amavasya comes and if we try to get rid of ill-fortune on Amavasya and then do sadhna of symbol of power/accomplishment in these 9 days and achieve accomplishment too so that mother’s blessings are always with us and we can be the best in every field of our life…..so
Brother and sister who is nature? It is none but mother Aadi Shakti…. So what is the need to worry when she is our mother….
And it is easy to appease mother. Isn’t! If we remember mother with pure heart and complete dedication then it is not possible that she does not become happy and is not compelled to provide boon….
Brothers and sisters, before Navraatri, Amavasya comes and if we try to get rid of ill-fortune on Amavasya and then do sadhna of symbol of power/accomplishment in these 9 days and achieve accomplishment too so that mother’s blessings are always with us and we can be the best in every field of our life…..so
Get prepared for this sadhna, because------
It is rare and amazing sadhna to get rid of planetary and tantric obstacles, obstacles coming in way of our work, sadhna related obstacles. It is very easy too…
It is rare and amazing sadhna to get rid of planetary and tantric obstacles, obstacles coming in way of our work, sadhna related obstacles. It is very easy too…
On any Amavasya night, take bath after 10:00 P.M and sit on aasan facing
north direction. Establish picture/yantra/idol of Mother Durga in front of you.
Along with it, Guru Picture is necessary which is known to all of you.
Yellow aasan, yellow dhoti will be required. Ghee lamp is also required
and it should be ignited during entire sadhna duration. First of all, do brief
poojan of Guru, Lord Ganpati and Lord Bhairav. Then chant one round of Ganpati
Mantra (OM
GLOUM GAM GANPATYE NAMAH), Guru Mantra and Gayatri Mantra which
is for getting rid of curse….
Now after it, write your desire on a piece of paper and keep paper in front of you. Take Sankalp and chant one round of Guru Mantra. After it chant 5 rounds of below mantra by Rudraksh or Moonga rosary.
Now after it, write your desire on a piece of paper and keep paper in front of you. Take Sankalp and chant one round of Guru Mantra. After it chant 5 rounds of below mantra by Rudraksh or Moonga rosary.
OM AING HREENG KLEENG CHAAMUNDAAYAI
VICHHE |OM GLOUM GLOUM HOOM HOOM KLEEM KLEEM JOOM JOOM SAH SAH JWAALAY JWAALAY
JWAL JWAL PRAJWAL PRAJWAL AING HREENG KLEENG CHAAMUNDAAYAI VICHHE |
Now again chant 1 round of Guru Mantra and again perform Guru, Ganpati
and Bhairav poojan. Apologise for your faults and offer mantra to Gurudev….
Brothers and sisters, this sadhna may take 4-5 hours, but it is sadhna
to get rid of ill-fortune and obstacles completely and it shows complete effect
in first instance itself…….so do this sadhna and experience it yourself and see
the results…
“Nikhil Pranaam”
---------------------------------------------------------------------“Nikhil Pranaam”
जय सदगुरुदेव,
ॐ सत्यं च श्रिये श्रद्धे जन्मनि व्रते
कार्य कार्याती प्रवर्द्धे हः|
तस्मै श्री गुरुवै नमः, तस्मै श्री गुरुवै नमः ||
तस्मै श्री गुरुवै नमः, तस्मै श्री गुरुवै नमः ||
“जो ईश्वर मानव गर्भ से जन्म लेकर नर रूप
धारण कर सभी प्रकार के घात-प्रतिघातों को सहन करते हुए यह स्पष्ट करते हैं कि मनुष्य
जीवन संघर्षों में ही खिलता है, हे गुरुदेव मुझे इन संघर्षों पर विजय प्राप्त करने
की शक्ति प्रदान करें .”
भाइयो बहनों जीवन उतना सरल नहीं है जितना हम सोचते हैं. दरअसल हम जैसा चाहते हैं प्रकृति वैसा होने नहीं देती, उसका विपरीत होता है. क्यों ? क्यों हम जीवन को सहज और सरलता से जी नहीं पाते ? कभी धन है तो स्वास्थ्य नहीं और स्वास्थ्य और धन है तो संतान नहीं . संतान है तो वह स्वास्थ्य नहीं या दुर्गुणी है.क्यों ?
दरअसल प्रकृति हमें हमारे पूर्व जीवन कृत इह जीवन कृत पाप दोष का आभास कराती है , जो कि हम समझ ही नहीं पाते और कभी किस्मत को या कभी किसी को दोष देते रहते हैं .......
भाइयो बहनों प्रकृति कौन ? अरे भाई प्रकृति यानि मा आदि शक्ति ही न.... तो फिर कैसी चिंता जब माँ है तो ....
और माँ को मनाना सबसे सरल है न! यदि सच में बिलकुल निश्छलता औए पूर्ण समर्पण के साथ माँ को याद भी करले तो ऐसा हो ही नहीं सकता की वो प्रसन्न होकर वरदान देने के लिए बाध्य न हो......
भाइयो बहनों नवरात्रि के पहले अमावस्य आती है और यदि इस अमावस्या को ही हम अपने दुर्भाग्य को दूर करने का प्रयास करें, और फिर निश्चिन्त होकर माँ आदि शक्ति के इन नव दिनों में जो शक्ति के प्रतिक माने गए हैं सिद्धि के प्रतीक माने गए हैं, हर्षित मन से न केवल साधना की जाये अपितु सिद्धि भी हासिल की जाये जिससे माँ का वरद हस्त सदैव आपके शीश पर हो और आप जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में पूर्ण सफलता के साथ सर्वोपरि रह सको ..... तो
इस साधना के लिए तैयार हो जाओ, क्योंकि इससे यदि -----
ग्रह बाधा, तांत्रिक बाधा, किसी कारणवश हरेक कार्य में बाधा आ रही हो, साधना में बाधा आ रही हो, समस्त बाधाओं को मिटा कर पूर्ण अनुकूलता देने वाली दुर्लभ साधना है और अत्यंत सहज भी.......
किसी भी अमावश को रात्रि में १० बजे के बाद स्नान कर उत्तर दिशा की और मुह कर बैठ जाएँ और सामने ही माँ दुर्गा का सुन्दर चित्र हो या दुर्गा यंत्र हो या विग्रह हो, साथ ही गुरु चित्र भी आवश्यक है ही, जो की आप जानते ही हैं
पीला आसन, पीली धोती और घी का दीपक जो साधना काल में जलना चाहिए, सबसे पहले गुरु, गणपति और भगवन भैरव का संक्षिप्त पूजन करें फिर एक माला गणपति मन्त्र (ॐ ग्लौं गं गणपतये नमः) की एक माला गुरु मन्त्र की और एक गायत्री मन्त्र की जपना चाहिए जो शाप विमोचन हेतु है....
अब इसके पश्चात् एक कागज पर अपनी मनोकामना लिख कर सामने रख लें और संकल्प लेकर फिर एक माला गुरुमंत्र की संपन्न करे, तथा उसके पश्चात् रुद्राक्ष या मूंगा माला से पांच माला निम्न मन्त्र की करें,
भाइयो बहनों जीवन उतना सरल नहीं है जितना हम सोचते हैं. दरअसल हम जैसा चाहते हैं प्रकृति वैसा होने नहीं देती, उसका विपरीत होता है. क्यों ? क्यों हम जीवन को सहज और सरलता से जी नहीं पाते ? कभी धन है तो स्वास्थ्य नहीं और स्वास्थ्य और धन है तो संतान नहीं . संतान है तो वह स्वास्थ्य नहीं या दुर्गुणी है.क्यों ?
दरअसल प्रकृति हमें हमारे पूर्व जीवन कृत इह जीवन कृत पाप दोष का आभास कराती है , जो कि हम समझ ही नहीं पाते और कभी किस्मत को या कभी किसी को दोष देते रहते हैं .......
भाइयो बहनों प्रकृति कौन ? अरे भाई प्रकृति यानि मा आदि शक्ति ही न.... तो फिर कैसी चिंता जब माँ है तो ....
और माँ को मनाना सबसे सरल है न! यदि सच में बिलकुल निश्छलता औए पूर्ण समर्पण के साथ माँ को याद भी करले तो ऐसा हो ही नहीं सकता की वो प्रसन्न होकर वरदान देने के लिए बाध्य न हो......
भाइयो बहनों नवरात्रि के पहले अमावस्य आती है और यदि इस अमावस्या को ही हम अपने दुर्भाग्य को दूर करने का प्रयास करें, और फिर निश्चिन्त होकर माँ आदि शक्ति के इन नव दिनों में जो शक्ति के प्रतिक माने गए हैं सिद्धि के प्रतीक माने गए हैं, हर्षित मन से न केवल साधना की जाये अपितु सिद्धि भी हासिल की जाये जिससे माँ का वरद हस्त सदैव आपके शीश पर हो और आप जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में पूर्ण सफलता के साथ सर्वोपरि रह सको ..... तो
इस साधना के लिए तैयार हो जाओ, क्योंकि इससे यदि -----
ग्रह बाधा, तांत्रिक बाधा, किसी कारणवश हरेक कार्य में बाधा आ रही हो, साधना में बाधा आ रही हो, समस्त बाधाओं को मिटा कर पूर्ण अनुकूलता देने वाली दुर्लभ साधना है और अत्यंत सहज भी.......
किसी भी अमावश को रात्रि में १० बजे के बाद स्नान कर उत्तर दिशा की और मुह कर बैठ जाएँ और सामने ही माँ दुर्गा का सुन्दर चित्र हो या दुर्गा यंत्र हो या विग्रह हो, साथ ही गुरु चित्र भी आवश्यक है ही, जो की आप जानते ही हैं
पीला आसन, पीली धोती और घी का दीपक जो साधना काल में जलना चाहिए, सबसे पहले गुरु, गणपति और भगवन भैरव का संक्षिप्त पूजन करें फिर एक माला गणपति मन्त्र (ॐ ग्लौं गं गणपतये नमः) की एक माला गुरु मन्त्र की और एक गायत्री मन्त्र की जपना चाहिए जो शाप विमोचन हेतु है....
अब इसके पश्चात् एक कागज पर अपनी मनोकामना लिख कर सामने रख लें और संकल्प लेकर फिर एक माला गुरुमंत्र की संपन्न करे, तथा उसके पश्चात् रुद्राक्ष या मूंगा माला से पांच माला निम्न मन्त्र की करें,
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे | ॐ ग्लौं ग्लौं हूँ हूँ क्लीं क्लीं जूं जूं सः सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल
प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे |
अब इसके बाद फिर एक माला गुरु मन्त्र की संपन्न कर दुबारा गुरु,
गणपति और भैरव का पूजन संपन्न कर क्षमा याचना कर गुरुदेव को मन्त्र
समर्पित करे .....
भाइयों बहनों उक्त साधना में चार से पांच घंटे लग सकते हैं किन्तु दुर्भाग्य और बाधाओं को पूर्ण रूप से मिटाने वाली साधना है जो की पहली बार में ही अपना पूर्ण प्रभाव दिखाती है .... तो कीजिये इस साधना को और रही बात अनुभव की तो वो स्वयं करिए और देखिये .......
“निखिल प्रणाम”
भाइयों बहनों उक्त साधना में चार से पांच घंटे लग सकते हैं किन्तु दुर्भाग्य और बाधाओं को पूर्ण रूप से मिटाने वाली साधना है जो की पहली बार में ही अपना पूर्ण प्रभाव दिखाती है .... तो कीजिये इस साधना को और रही बात अनुभव की तो वो स्वयं करिए और देखिये .......
“निखिल प्रणाम”
****RAJNI
NIKHIL****
****NPRU****
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