आधुनिक रसायन शास्त्र की दृष्टि से प्रत्येक तत्त्व का अपना एक्परमाणु संघटन होता है,जो की उस तत्त्व की अपनी विशेषता प्रदान करता है और किसी अन्य तत्त्व के परमाणु से वैभिन्य प्रदर्शन में मदद करता है.किसी भी तत्त्व के परमाणु एक जैसे होते हैं(अयुसोतोप अपवाद है).मोटे रूप में परमाणु संघटन सौरमंडल के संघटन के जैसे होता है.लोर्ड रुथरफोर्ड के सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक परमाणु का एक केन्द्र या नाभिक होता है, इस्नाभी का निर्माण होता हैदो तरह के हैवी कानो से :
1. protons(+ prapranu)
2.nutrons(- prapranu)
इस केन्द्र के आस पास अलग अलग कक्षाओं में एलेक्ट्रोंस नाम के लगभग भार विहीन -विध्युतात्मक कण लगातार गति करते हैं.
पारद के प्रत्येक परमाणु के सेंटर में ८० प्रोटोन और १२० नेउत्रोन होते हैं,इस तरह इकाई का भर २०० होता है,और सेंटर के ८० एलेक्ट्रोंस चक्कर लगते रहते हैं.
गोल्ड का परमाणु अंक ७९ है और परमाणु भर १९७.......
मतलब पारद ज्यादा करीब है गोल्ड के ,तब तो इसे गोल्ड में बदला जा सकता है पारद के परमाणु को १ प्रोटोन से इस तरह विद्ध किया जाए की वह सेंटर में सेंटर में क्षण भर ठहर कर हेलियम के रूप में बहार आ जाए तो पारद का गोल्ड बन जाएगा:
80 hg200+ip1=79 au 197+he4
1. protons(+ prapranu)
2.nutrons(- prapranu)
इस केन्द्र के आस पास अलग अलग कक्षाओं में एलेक्ट्रोंस नाम के लगभग भार विहीन -विध्युतात्मक कण लगातार गति करते हैं.
पारद के प्रत्येक परमाणु के सेंटर में ८० प्रोटोन और १२० नेउत्रोन होते हैं,इस तरह इकाई का भर २०० होता है,और सेंटर के ८० एलेक्ट्रोंस चक्कर लगते रहते हैं.
गोल्ड का परमाणु अंक ७९ है और परमाणु भर १९७.......
मतलब पारद ज्यादा करीब है गोल्ड के ,तब तो इसे गोल्ड में बदला जा सकता है पारद के परमाणु को १ प्रोटोन से इस तरह विद्ध किया जाए की वह सेंटर में सेंटर में क्षण भर ठहर कर हेलियम के रूप में बहार आ जाए तो पारद का गोल्ड बन जाएगा:
80 hg200+ip1=79 au 197+he4
parad ke परमाणु सेंटर में से २ - ३ + - विद्युत कण बाहर निकलने के लिए उस सेंटर को तेज ठोकर लगने पर ही यह ट्रांस्मुटेशन होगा.
यह काम पढने में तो सरल लगता है,पर है बहुत कठिन,इसीलिए पारद के ८-१८ संस्कार किए जाते हैं। शत गुन गंधक का जारण,क्रमण ,खरल ,पुट तथा बिडों आदि के द्वारा उनके अनु,रेनू,परमाणु को भेद कर सुक्षमातिसुक्ष्मा करना.
यदि हम इस जानकारी को ध्यान में रखकर क्रिया करेंगे तो हमें सफल होना ही है.और इस ज्ञान को आत्मसात कर अपनी लाइफ को हैल्थ और वेअल्थ से भर लेना है.पारद संस्कार आदि नेक्स्ट लेख में.........
यह काम पढने में तो सरल लगता है,पर है बहुत कठिन,इसीलिए पारद के ८-१८ संस्कार किए जाते हैं। शत गुन गंधक का जारण,क्रमण ,खरल ,पुट तथा बिडों आदि के द्वारा उनके अनु,रेनू,परमाणु को भेद कर सुक्षमातिसुक्ष्मा करना.
यदि हम इस जानकारी को ध्यान में रखकर क्रिया करेंगे तो हमें सफल होना ही है.और इस ज्ञान को आत्मसात कर अपनी लाइफ को हैल्थ और वेअल्थ से भर लेना है.पारद संस्कार आदि नेक्स्ट लेख में.........
****ARIF****
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