हमें अनेको गुरु भाई /.बहिनों के इ मेल मिलते ही रहते हैं जिसमे अपनी अपने कष्टों का उल्लेख छोटे या बड़े का उल्लेख रहता हैं , हम सभी साधनात्मक क्लिष्ट से बचना चाहते हैं और चाहते हैं की हमें १००% सफलता मिल जाये वह भी प्रथम बार में ,आप स्वयं ही सोचे की यही हर बार हो तो क्या जरुरत हैं बड़ी साधनाओ की, पर सबका एक अपना अर्थ हैं ही . समस्या तो तब बढ़ जाती हैं जब उन्होंने दीक्षा भी नहीं ली होती हैं, और किन्ही कारण वश वे यन्त्र माला भी नहीं ले पाते हो , आर्थिक कारण के अलावा यह कारण स्वयमं के घर वालों का असहयोगात्मक व्यवहार भी रहता हैं .
( हर असफलता आपके लिए मानता हूँकि स्वागत योग नहीं हैं पर जो इन सब का मूल समझते हैं वह जानते हैं की एक बड़ी सफलता के लिए रास्ता खोल रही हैं अन्यथा आप वही रह जाये ,)
जो कहा गया हैं की सदगुरुदेव तपाते हैं हैं तो इसका अर्थ हैं की हमें , वे आग में डाल देंगे??? नहीं नहीं , बल्कि इन असफलताओ के माध्यम से वह देखते रहते हैंकितने अभी भी टिके हैं कितने चल दिए , कितनी गंदगी , कितना संशय अभी भी हमारे मन में हैं ,
एक बार उन्होंने ही कहा था, कौन अपने बगीचे में मौसमी पोधा लगाना चाहता हैं वह तो सदा ब हार ही पौधे ही लगाये गे जो एक दिन वृक्ष बन कर , जो झुलसी हुए मानवता पर उस पर मेघ बना कर अमृत वर्षा कर सके ,,
पर जब ये संशय नहीं निकल पा रहा हो या किसी कारण वश साधना मंत्रो की न की जा पा रही हो तब क्या कोई और रास्ता नहीं हैं .
क्या करें जिससे हम सभी अपनी समस्या से मुक्त हो पाए ,
सदगुरुदेव भगवान् ने पत्रिका में कई बार ऐसे प्रयोग दिए हैं , उनमे से एक ऐसा ही स्त्रोत संबंधित प्रयोग हैं
वह हैं गजेन्द्र मोक्ष स्त्रोत
सदगुरुदेव भगवान् ने इस स्त्रोत सेसंबंधित अपने स्वयं के अनेको अनुभव बताये हुए हैं साथ ही देश के अनेक उच्चस्तरीय नेता और अधिकारी यो के अनुभव बताया हुए हैं , जब सदगुरुदेव जी ने कह दिया तो मन्त्र मूलं गुरु वाक्य के अनुसार अब और विस्वास के लिए क्या बाकी रह जाता हैं . जब स्वयं गरुडासीन श्रीनारायण ही अपने भक्त की रखार्थ दौड़े चलेआयेहों , तब कौन सी और कैसी परिस्थति हो ,क्या अर्थ रखती हैं तब उस भाव को प्रदर्शित करने वाला यह स्त्रोत तो सचमुच में अद्भुत हैं ही , आप इसे करें औरस्वयं भी एक प्रत्यक्ष प्रमाण बन जायेंगे .
स्त्रोत वास्तव में अपने ह्रदय के उदगार हैं शब्दोंमे बंधी एक ऐसी रचना(जो किसी काल में किसी महायोगी ह्रदय को मंथन से उत्पन्न हुए हो जब उसने अपने इष्ट को अपने सामने देखा हो ) जो आपके ह्रदय की भावना सीधे ही उस स्त्रोत के इष्ट के ह्रदय से संपर्क कर आपके लिए मनो बांछित परिणाम ला ही देती हैं चूँकि यह मंत्र नहीं हैं इसकार ण, इसका / इनका सही उच्चारण नहीं भी हो तो कोई समस्या नहीं हैं आपकी कितनी श्रद्धा और भावना युक्त आपका पाठ हैं उस पर ही सब निर्भर हैं ,
स्त्रोत पाठ के सामान्य नियम तो सभी जानते हैं ही , फिर भी कुछ नियम का पुनः उल्लेख करना बाकि रह जाता हैं ,
· स्नान करके साफ स्वच्छ वस्त्र धरण करके ही पाठ करे .
· कोशिश करे की प्रिंटेड स्त्रोत का पाठ करे या वह संभव नहीं हो तो अपने घर के या किसी और व्यक्ति से कहे ही वह उसे उतार कर आप को दे दे , क्योंकि स्वयं लिखा हुआ उच्चारण करना अच्छा नहीं माना जाता हैं ,(पर जब कोई ऐसे विशेष स्त्रोत हो की जिसका बारे में अन्य को न बताना हो तब परिस्थति और कालानुसार आप स्वयं ही उसे उतार कर लिखे .
· सम्बंधित स्त्रोत के इष्ट का चित्र मिल जाये तो उपयोग करे
· पूजा स्थान में सदगुरुदेव और पूज्य माताजी का चित्र तो होगा ही
· धुप दीप , अगरबत्ती तो आपके ह्रदय की भावना को व्यक्त करने के एक प्रकार हैं उसे तो उपयोग करना ही चाहिएआखिर सदगुरुदेव और इष्ट के प्रति इतना हो हम बच्चो को करना ही चाहिए ही
· सबसे पहले जैसा की स्त्रोत में निर्देशित किया गया हो उतनी संख्या में उसका पाठ करके उसे सिद्ध करे , फिर आप उसका उपयोग कर सकते हैं
· या फिर अपनी समस्या को संकल्प में बता कर निश्चित संख्या में जैसा की निर्देशित किया हो , , पहले से ही आप द्वारा निश्चित दिन तक जप करे .
· एक निश्चित समय पर साधना में बैठना तो सफलता का मूल मन्त्र हैं ही .
· हर किसी को की आप क्या कर रहे हैं और क्यों कर रहे हैं बताना उचित ही नहीं बल्कि असफलता के द्वार पर आपको ला खड़ा कर देता हैं
· सबसे अंत में सबसे महत्वपूर्ण बात की हर दिन का पाठ का जप सदगुरुदेव भगवान के श्री चरणों में समर्पण करना न भूले , आखिर वे ही तो अनेक देव देवी के माध्यम से हमें परिणाम दे रहे हैं , हमारी आँखों में व ह निर्मलता नहीं आई हैं इस कारण वह ऐसे भी कार्य करते हैं ...
आप मेसे जो भी किसी भी समस्या से पीड़ित हो उसका कोई हल नहीं सूझ रहा हो , समय न हो ,बड़ी साधना करने की तो एक बार इस स्त्रोत को पूरी गंभीरता से उपयोग करे , यह स्त्रोत ,बाज़ार मेंआसानी से मिल जाता हैंबहुत ही अल्पमोलीय हैं पर इसका प्रभाव बहुत ही अद्भुत हैं ,
सदगुरुदेव के मूल स्वरुप भगवान् नारायण के पालन कर्ता और रक्षा कर्ता स्वरुप का यह स्त्रोत आपके लिए सौभाग्य के रास्ते खोल देगा और इसे जीवन की हर वह स्थति जो की आपके लिए समस्या हो उसके लिए उपयोग किया जा सकता हैं .
आज के लिए बस इतना ही
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We are continuously getting so many mails from our guru brother and sisters mentioning so many problem(every aspect of life) what they are facing. think about a minute, we all are trying to escape from the hard work/devotion/faith needed for success in sadhana, and still want to have 100% success in very first attempt!!!!, then think about yourself what is the value and usefulness of big sadhana?, if all the work can be easily completed by small sadhana. Each sadhana has its own value . problem could be worse, when sadhak has not taken guru Diksha, and due to any reason, they are not able to purchase yantra or mala and may be sometimes non corporation of member of their family.
(every failure not a welcome things, but those one ,who can understand the basic phenomena lies behind every failure, already knows that it just opening of a new horizon for success, other wise on getting success on that point ,may be you will not grow/interested to go ahead.)
It has been said that Sadgurudev always purify us through fire , that simply does not means that he would throw us in the midst of fire but created such a circumstance and condition ,where we can easily find out mistake weakness and other impurities of our life , and he also watches us in the midst of these failure how many of us will move other destination /other guru and how many still on the path, how we react s and how much doubt still lies in our heart and mind,
Once Sadgurudev ji wrote that who want to sow the seasonal plants in his garden ,every one preferred evergreen plants, so that he also plants such a evergreen plants who one day become the tree, that provide shelter to whole mankind in this time of highly testing.,
(some guru bhai and sister are in confusion regarding using of certain words in sabar mantra, like “shiv ko trishul pade” for them ,we just want to say that not to pay much attention on the literal meaning of the sabar mantra since mantra is a force that works on the vibration , so do not change the words, and also you will get no harm, and if any where any such a precaution is needed,we will already mentioned,)
But when this doubt is not loosing its ground from our heart, and we are not having time to go for big sadhana, is there any more way?.
So that we can set aside our problem.
Sadgurudev Bhagvaan provide so many prayog in our mag. And one of such a prayog is “gajendra moksha strot” Sadgurudev Bhagvaan wrote many experiences related to himself and from high ups and top political leaders, when Sadgurudev ji has said than according to “mantra moolam guru vakya” what more is needed to write. When bhagvaan Vishnu /narayan himself run to protect his bhakt ,than any worst condition can stand in front of him? this strot really provide amazing miraculous result. just go for that and you also become a witness of its effects.
What is the strot means , this is the combination of so many shlok composed by mahyogies/great one/masters, when their isht appeared before him , and that time their heart voice comes in the form of strot. And these words carries your heart feeling directly towards the your isht and proved the miraculous result., since this is not mantra so if any pronunciation problem occurs that not much matters since it depends upon your purity of heart and feelings,
As many of you already aware of general rules applicable in this strot sadhana, but here are some general and some special points.
· Have a bath and wear clean cloths,
· Try to have printed strot, if not possible than do try to get the strot written by some one else, since it s not recommended that person note down in his own handwriting the strot and than start path of that, but if sometimes such a circumstance occurs where you do not want to show other than you can d o that yourself.
· Try to have the photograph of that strot isht before you,
· In your pooja room Sadgurudev and param bandniya mataji’s photo must be present.
· Try to light up the earthen lamp, and ddhoop agarvatti , theses are the instrument to show the proper respect and your feeling for towards your isht.
· Do try to chant the strota as the minimum number specified for that to have siddhita, and than you can use.
· Or take water in your hand say your problem and mentioned clearly how many day and how much number of path you are going to do.
· Always be very punctual regarding your sadhana starting time, it’s a must factor for the sadhana success.
· Never publicize what you are doing and how you are doing , this many time bring you failure.
· And last but not the least point that always offer every days jap/path in the divine lotus feet of Sadgurudev ji, since through many dev /devta only he is giving us the fruits/result of that path to all of us . since still we have not get those purity in our eyes.
If any one of you having so much trouble some life and not getting any way to overcome that , have a try for this strot with full heart and devotion, and you will see the result yourself in some days. And this strot is very easily available in any market religious shop. Bhagvaan shri narayan is the real form of Sadgurudev ji’s when he is caring all of us, this surely open doors of good luck, and this strot can be used in any type of problem in life you are facing.
This is enough for today.
****NPRU****
2 comments:
Shabd nahi he aap ko thanks kahne ke bhai ji
yahe karya guru kriepa aur guru prerana se hi ho sakata hai,
guru kripa hi kevalam !!
samajne vale is bat ko samje
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