Wednesday, November 16, 2011

A simple but effective prayog for having mental peace


उतार   चढाव  तो मानो  जीवन का  एक हिस्सा हैं  ,  और  जो इस  बात  को समझ लेता हैं  वह   कुछ  हद  तक  जीवन की गति को  भी समझने लगता हैं   वह अब  बात बात में  दुखी  नहीं होता  वह पुरे  जीवन  को एक सम भाव दृष्टी से   ही देखने लगता  हैं .. और   यही  तो रहस्य हैं सम भाव में  जीने  का , वह    जो     दुःख में  दुखी होता  और     जो  सुख में  सुखी होता हैं वही    तो हे  अर्जुन मेरा प्रिय हैं,,  ऐसा  भगवान् श्री कृष्ण  ने कहा था ,,, सदगुरुदेव  जी कहते हैं इसका  यह मतलब  नहीं लिया  जाए  की व्यक्ति निठल्ला  ही  बैठ जाये यह भी  तो ध्यान में  रखो   की  जिस महा योगी  परम  पुरुष ने  यह बात  कहीं थी   वे  जीवन  में  कितने  कर्म शील  थे   उन्होंने कब जीवन   से   समझौता  का  मार्ग  हमेशा  बताया ,   हाँ वे शांति के पक्ष धर  थे  पर  एक सीमा  तक  ही .......उन्होंने  यह भी  तो कहा था की  ऐसा   क्या  नहीं  हैं  जो मुझे  प्राप्त नहीं हैं  पर   फिर  भी मैं कर्म रत  हूँ क्योंकि जैसा  उच्च व्यक्ति करते हैं उसी    को दृष्टी  गत  करके  अन्य  लोग  अपना  जीवन   निर्धारित  करते हैं..
 पर यह भी सच हैं की  जीवन के  इस  बार बार उतार चढाव  से व्यक्ति  कभी कभी परेशां  हो कर   यह भी सोचने लगता हैं की कुछ  पल के  लिए  तो इस  उतार चढाव  से  हट कर  शांति का  अहसास  तो  हो ,, और तब  तंत्र   की षट कर्म  विधा में से  एक   शांति कर्म का  स्थान  आता हैं .
 हमें इस बात  को नहीं भूलना  नहीं  चाहिए  की   तंत्र के " ष ट  कर्मो "  में  "शांति  कर्म"   का  भी अपना  स्थान हैं   जिस पर  साधक  ध्यान नहीं देते , आप  ही बताये  किसी भी   साधना करने  के लिए  एक निश्चित वातावरण मतलब अनुकूलता  की  तो जरुरत  होती हैं  ही   और यह न   हो  तो कम स एकं  जब तक मंत्र  जप किया जा  रहा  हो  तब  तक  तो... 
 सदगुरुदेव  जी ने   एक मंत्र   बहुत पहले  पत्रिका  में  दिया   था  , व्यक्ति के  क्रोध  को शांत  करने  का  उसी से मिलता  जुलता यह प्रयोग  आपके  जीवन में   आराम के  पल  लायेगा,
 बार बार यह भी कहा  जा  चूका हैं  और  सारे  तंत्र्ग्य  इस बात  पर  एक मत हैं कि पीपल के  पेड़ में   ऐसा कुछ  विशेष  हैं जो व्यक्ति की  अनेको  समस्याए   बहुत आसानी  से दूर  कर सकता है   , जैसे की गंभीर  रोगों  से  युक्त  व्यक्ति  पीपल के  पेड़  पकड़  कर  खड़ा   हो जाये   और महसूस करे  की  पीपल की जीवन प्रदायनी   शक्ति  उसके  अन्दर  प्रविष्ठ    हो रही हैं  तो पायेगा   वह  की उसकी जीवन शक्ति बढती जा  रही हैं  और उसके  गंभीर  रोग में सुधार   होना   चालू  भी होगया  क्योंकि यह  पेड़  अपने  आप में  परं उर्जा  का  विशाल  भण्डार  हैं.....
 तो इस  प्रयोग  में  आपको  सांय काल पीपल  के पेड़ में  मीठा  पानी  अर्पित करना हैं  और  यदि  कुछ  अगरबत्ती  आदि भी वहां लगा  दे  तो अच्छा होगा  मन्त्र-
 ॐ नमः  शान्ते  प्रशान्ते ॐ ह्रीं ह्रां सर्व  क्रोध  प्रशमनी स्वाहा |
 आप प्रति  दिन १०८ बार उच्चारण  कर सकते हैं ,  और    जो भी लडाई झगड़ा  आपके परिवार में  यदि चल रहा हैं    तो वह भी दूर  होगा  और  अब  आप आराम से  अपनी साधना  या  उच्च  जीवन के बारे  में   निर्णय  ले  सकते हैं , क्योंकि  यदि  हमारा  आवास स्थान में  ही  लडाई झगड़ा  और तनाव    बना  रहेगा  तो यह कैसे  संभव हैं की व्यक्ति  आगे  कुछ  उच्च सोच सके , भले  ही यह प्रयोग बहुत सरल हैं पर यह भी  ध्यान देना  चाहिए  की यह जरुरी  नहीं हैं की  सरल प्रयोग  हैं तो  देर से अ सर  देगा ....  जीवन में  सभी चीज का  एक अर्थ तो हैं  ही ...
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  Ups  and  down makes the rhythm of life, and  one , who understand  this philosophy  he  is  able  to understand   the   way of life a little, now  he  is  not in sorrow  in small misfortunate  nor  he felt extremely  happy , when he  encounter  something very positive.  And    he  , now  takes  life  in even mindness condition.    Bhagvaan shri krishn  advocated this  things.  Sadgurudev ji  says  that   this  does not mean  that person  became   total  idle  , one should  see ,  who  is  saying the  word ,  and  how  was  the life of Bhagvaan shri krishn ,,that is  full of extremely working ,  busy   in  positive  work. And  bhagvaan shri krishn said  that ,  I have  everything ,   I  do not need anything  but still I  do  work ,  since  as  the higher level  person  do  , other  person in society  will work accordingly.
 But this is  also true  sometimes  person is  , because of the  rhythm of  thses ups and  down  felt  very sad   and  want some  moment   of peace .   and  this  is the place  where one of the  karm of  famous  tantra’s  shat karm  comes  in to picture.
 One  should not  forgot that    this  “shanti karm “ has  its  own place in  tantra  shat karm.  On that  in general sadhak often  does not pay  much attention. Think about  a minit  without  having peace in your life ,  how  you can proceed on the path   or proceed on the sadhana  field. At least one should  have  mental peace  when  he is  doing the  mantra jap.
 Sadgurudev ji has given one , such   a  mantra   to  control person’s anger,  and   very similar to that mantra  here  in this sadhana ..mentioned.
This has  been told many times  ,that there is  some very  vital  force  reside in pipal  tree , and  this has  been accepted  by   all the  tantragy  too. And if any person suffering from   severe illness  and if  stand   very  close to this  tree  and  try to  encircled   this  tree   with his  both hand   and  feel that   the  great energy forces  coming in his body  so  instantly,  he  will receive that too. Since this   tree is  full of  great  life energy forces.
So you have  to offer  some  sweet water   to  this tree in evening time and   do poojan with  agarbaati ,
Mantra :
Om namah  shante prashante   om  hreem  hraam  sarv krodh  prashamni  swaha ||  
 Now you can chant  every day 108  times this mantra   than whatever  the friction arises in your  family  life  means  between your  family member , that  will  be reduces  to much  level  and   you  will feel  much relax.  Do not think that  since  this  is very easy prayog  so  may be its  result  will be  very late   .. each and  every prayog  ha s its  own  value.
****NPRU****

3 comments:

TANTRA said...

Dear
''you havnt given any prayog for navgrah shanti.....yet, that should have been your first priority.....''
Rahul

Anu said...

dear brother this is not a question of first priority , since we are also publishing tantr a kaumudi e mag and kindly visit our face book group "nikhil-alchemy" where too you can find the nav grah related sadhana .prayog , so we try our best that atleast no previously published article should be again post on blog.
any way we will see what will the best can be given in this regard very sson since your suggestion is in our mind, smile
Anu

TANTRA said...

so sweet of you...
Mmmuuaah!