Friday, August 19, 2011

FINAL FEELING


प्रिय भाइयों एवं बहनों,
               जय गुरुदेव,
  आज मैं finally आप लोगों से अपने दिल की कुछ बात करना चाहता हूँ और आप सभी को ये भी बता दूँ की इसके बाद हम कभी इस विषय पर कोई बात नहीं करेंगे. सदगुरुदेव ने कहा था की जिज्ञासा का समाधान किया जा सकता है कुतर्को का नहीं. और  किसी को अपनी बात तब तक नहीं समझाई जा सकती जब तक की वी खुद समझने को सहमत ना हो.
   जैसे लोगो ने खुद लिखा की उन्होंने गुरुदेव कैलाश जी से पूछा था की क्या आपने पारद वर्कशॉप की अनुमति दी थी,तो उन्होंने कहा की हाँ दी थी.
ओ.के .
फिर इस बात को पोस्ट भी किया की गुरुदेव कैलाश जी ने कहा की मैंने मात्र पारद की वर्कशॉप की अनुमति दी थी, बाकी के कार्यों की नहीं.
फिर लिखा की आरिफ झूठ बोल रहे हैं,उन्होंने कोई अनुमति नहीं दी थी.अब आप खुद ही लिख रहे हो की अनुमति दी थी और खुद ही कह रहे हो की आरिफ झूठ कह रहे हैं. मैंने जब इसी बाबत लिखा की क्या आप लोग पढ़े लिखे हो ,तो मेरा मतलब था की खुद अपनी बात का खंडन क्यूँ कर रहे हो. वो भी उस बात का जो की आप ने खुद लिखा था ,तो क्या आपने नहीं पढ़ा है. अब उस पर मेरी प्रिय बहन मुझे अपनी शैक्षणिक योग्यता बताने लगी की मैं साइंस में ये हूँ,मैंने ये किया है वो किया है, तो ऐसा है की मैं भी अनपढ़ नहीं हूँ, मैंने भी बहुत सी उपाधियाँ ली हैं.परन्तु उसका यहाँ कोई अर्थ नहीं है. मुझे अनुमति गुरुदेव ने दी थी ये पारद विज्ञानं के सम्बन्ध में और ये उन्होंने इन बहन से भी कहा था. खैर मैंने भी कैलाश गुरु जी से बात की थी ,तो उन्होंने कहा की बेटा मेरी बात को तोड़ मरोडकर प्रस्तुत किया गया होगा,यदि तू गलत होता तो मैं तुझसे अभी बात क्यूँ कर रहा होता. फिर शाम को एक और भाई का पोस्ट आया, उन्होंने कहा की वो भी मिलकर आरहे हैं..... और गुरुदेव ने विरोध करने को कहा है..... ठीक है...
तो इसका अर्थ ये है की मेरी बात गुरुदेव से नहीं हुयी होगी. बहन जी ने तो प्रिय छोटू भाई(जो की गुरुदेव की सेवा में हैं) का नम्बर दिया था,पर मेरी बात तो गुरुदेव के खुद के मोबाइल पर हुयी थी.(और वो कॉल डिटेल मैं १-२ सितम्बर को फस बुक पर उनके नम्बर के साथ डाल दूँगा जिससे आप खुद ही देख पाओगे की कितनी बात हुयी थी,और मैंने कॉल के पहले गुरुदेव को मैसेज किया था की मुझे आपसे अति आवश्यक बात करनी है,तब उनका कॉल आया था और मैंने उसे कट कर खुद कॉल लगाया था )
इसलिए उस दिन सभी की बात हुयी होगी, अब किसको गुरुदेव ने क्या कहा ये वही जाने, पर मुझसे भी बात करके वही कहा था जो मैंने लिखा,और इसके लिए मैंने सीधे उन्हें ही कॉल किया था.
दूसरा मैंने कौन सा काम किया है जिसकी जानकारी उन्हें नहीं है. जो क्लिप मैंने डाली थी वो उस दिन की है जिस दिन ३० गुरु भाइयों को रसेश्वरी दीक्षा दिलाने मैं ले गया था और गुरुदेव को तंत्र कौमुदी की प्रति भी भेंट की थी और उस के कुछ माह पहले स्वर्ण रहस्यम की भी एक प्रति भेंट की थी. गुरुदेव ने मुझे ये भी कहा था की मैं स्वर्ण रहस्यम यही से छपवाना चाहूँगा,तू मुझे दे दे मैं उसे पढ़ कर देखता हूँ,खैर मुझे ये लगा की मुझे कल की बात भी रिकॉर्ड करनी थी, है ना...................
अब मैं कुछ बाते और कह दूँ की एक गुरु भाई मुझसे छोटा भाई बनकर चेट करते हैं,उनसे मैंने अपने दिल की बात शेयर की,उन्होंने फटाक से फस बुक पर डाल दिया, मैंने उन्हें बताया की मुझे कुछ गुरु भाई नन्द गुरु जी के नाम पर धमका रहे थे  और कह रहे थे की ऐसी आज्ञा गुरुदेव नन्द जी की है (ये अलग बात है की मैं इसे मानू या ना मानू) खैर ये तो सत्य है की मेरे बारे में नन्द गुरु जी के गुरुधाम की राय अच्छी नहीं है.इसका कारण मुझे भली भांति पता है.कुछ ऐसे गुरु भाई जिन्होंने मुझसे ही पारद विज्ञानं और आयुर्वेद को समझा ,आज वह वहाँ जाकर मेरा विरोध कर रहे हैं और अपने को चौधरी बता रहे हैं.खैर मुझे इस बात से कोई लेना देना नहीं है.
अब इन लोगो ने मुझे पाखंडी बना ही दिया है  मुझे अन्य  द्रोहियों की श्रेणी में खड़ा कर ही दिया है तो कुछ बाते मैं बता दूँ की १.  शास्त्र कहता है की जो गुरु द्रोही हो  और जिसे आपका मन गुरु द्रोही मानता हो उसके साथ एक क्षण नहीं रहना चाहिए –तो मैं इन लोगो की नजर में गुरु द्रोही,पाखंडी हूँ तो कृपया जिन भी लोगो की नजर में मेरा व्यक्तित्व ऐसा है वो एक पल भी गवाए बगैर ये निखिल अल्केमी ग्रुप छोड़ दें, क्यूंकि यहाँ पर अब सिर्फ साधनाओं और सदगुरुदेव की चर्चा ही होगी,यदि कोई भी इसके इतर कोई आलोचना करता है तो उसे रेमोवे कर दिया जायेगा. आलोचना करने के लिए वो महानुभाव अपना खुद का ग्रुप बनाये या कही और जाये.
२. अब से जो वर्कशॉप होगी (तंत्र शिविर या साधना शिविर नहीं,बल्कि स्वस्थ भाइयों के मध्य की कार्य शाला,इस बात का ध्यान रखे)उसके लिए हम कोई अनुमति नहीं लेंगे,जिसे आना हो आये नहीं आना हो ना आये. वह हम सभी शिष्य ही रहते हैं ,कोई गुरु नहीं बन जाते हैं. और हर उस विषय पर होगी जिसका जिक्र आज गुरुधाम में दूर दूर तक नहीं होता है.कार्यशाला की जिम्मेदारी मेरी अपनी होगी.अब से हम इस प्रकरण में गुरु त्रिमूर्ति को नहीं खीचेंगे.
३.मैं ना ही कोई दीक्षा देता हूँ और ना ही कभी दूँगा, ना ही कोई साधना सामग्री का विक्रय करूँगा. पारद का क्षेत्र मेरा अपना है, “मुझे इस विद्या का ज्ञान देते समय स्पष्ट सदगुरुदेव ने कहा था की ये विद्या तुझे स्वावलंबी करेगी और याद रख पारद कभी किसी को किसी का दास बनने नहीं देता है”.उस पर मुझे किसी की भी अनुमति नहीं चाहिए .क्यूंकि मैं संतुष्ट नहीं हूँ पारद की सामग्री की किसी अन्य स्थान से प्राप्ति को लेकर,यदि मेरे अपने खेत में फसल होती है तो मैं कही और से अनाज क्यूँ लूँ. क्यूंकि खुद गुरुधाम में भी आज एक जानकार ऐसा नहीं है जो की पारद को बुभुक्षित बनाकर,उसे स्वर्ण ग्रास देकर उसका  रत्न युक्त शिवलिंग या अन्य विग्रह बना सके ,और मुझे इतना तो मर्रे सदगुरुदेव ने सिखाया है की बगैर सही अस्त्रों के युद्ध नहीं जीता जा सकते हैं.  अतः कोई मुझे ना समझाए.
मेरे लिए साधना पथ का बहुत महत्त्व है यदि मैं खुद अपने पैर पर खड़ा नहीं हो सकता तो किसी और को कभी नहीं उठा पाउँगा. मेरे लिए साधना भी गुरु सेवा का एक प्रकार है. और मैं उस रास्ते से मेरे भाई बहनों को परिचित करवाता रहूँगा,ये मेरी भीष्म प्रतिज्ञा है. क्यूंकि मेरा अंतर्मन मुझे इसकी अनुमति देता है. ये सब ज्ञान मैं सदगुरुदेव के आशीर्वाद से पाया है तो कम से कम मैं विकृपण  होकर कभी मरना पसंद नहीं करूँगा. इसके लिए यदि मुझे रौरव नरक में भी जलना मंजूर है.अतः कोई ये ना पूछे की मुझे अनुमति है या नहीं क्यूंकि गुरुशरण निखिल जी कल गुरुदेव के पास गए थे और उनके माध्यम से मुझे गुरु सन्देश ही मिला था ,जो खुद उन्होंने अपने पोस्ट में डाला है और वो मेरे लिए जीवन भर का गुरु वाक्य है ,और मैं उसे बखूबी फोलो करूँगा क्यूंकि यही वाक्य उन्होंने कल मुझे भी फोन पर कहा था परन्तु यदि मैं उसे तब लिखता तो सभी कहते की मैं अपने मन से लिख रहा हूँ. और वो वाक्य है Gurudev ne kaha hai ki jis me gun aur yogyta hote hai vah kisi ke naam ka sahara lekar karya nahi karta.vah apne naam se jaana jaata ha
अतः अब से मैं जो भी लिखूंगा और करूँगा वो मेरी अपनी जिम्मेदारी पर उसके लिए गुरु त्रिमूर्ति की कोई जिम्मेदारी नहीं रहेगी.उन तीनों के गुरु भाव में स्थित और विराजमान निखिल तत्व रुपी ज्ञान मेरे लिए प्रणम्य है,और ये सभी काम मैं आजन्म शिष्य नियम का पालन करता हुआ ही करूँगा.
मेरे गुरु भाइयों को भी उन विद्याओं की जानकारी मिले जो मोती सदगुरुदेव ने लुटाए हैं उस पर सबका हक है.मैं मात्र जानकारी दे सकता हूँ,और हमेशा देता रहूँगा. उसे करने ना करने की आज्ञा और सफलता प्रदान करना सदगुरुदेव जी के मात्र हाथों में है. दीक्ष देना या सामग्री का आदान प्रदान करना मेरा कार्य क्षेत्र नहीं है. जिसे भी ये लगता है की मैं गलत हूँ और मेरा बहिष्कार होना चाहिए,कृपया वो खुद ग्रुप छोड़ दे,और किसी और ग्रुप में जाकर मेरा पुरजोर विरोध करे क्यूंकि यहाँ रहोगे तो साधनों की चर्चा होगी और आलोचना हम पोस्ट में रहने नहीं देंगे.इस बाबत कोई वार्ता अब यहाँ नहीं होगी. मुझे गर्व है की मैं सदगुरुदेव का शिष्य हूँ और उन्होंने ज्ञान देकर मेरे जीवन को धन्य कर दिया है.मुझे मात्र यही पता है की....
त्वदीयं प्राणः निखिलं तुभ्यमेव समर्पये
****ARIF****

10 comments:

Rahul Agarwal said...

Arif bhaiya,hum nirantar aapke sath hain...Ap ap aalochana karne walo ki parwaah na karein...Humko purna roop se vishwaas hai ki aap dwara kiya jaa raha karya sadgurudev aur guru trimurti ke aashirwad ka hi fal hai..

Haan ek bat hai ki aap ab aalochako ko jawaab dena chhod den, ye bekar hi time waste karate hai apka aur hum sabka. waise tantra kaumudi ka 6th issue ka bahut beasbri se intjar hai.

Aapka rahul..

Anu said...

PRIY ARIF BHAI,
ME AAPKI BAATON SE PURNTAYAH SAHMAT HOON , JAB IN GURUSHRAN NIKHIL JI KAL SWAYAM HI POOJYA GURUDEV SHRIKAILASH GURUJI SE VYAKTIGAT MIL KAR AAYE AUR SWAYAM LIKHA KI " JISME GUN AUR YOGYTA HOTI HAIN WAH KISI DUSARE KA NAAM KA SAHARA NAHI LETA ,"
TO PHIR THIK HAIN YAHI HOGA ,SATH HI SATH , JO BHI YAH MAAN AR CHAL RAHE HAINYA MANTA HAIN YA AADH EMAN SE YA SHNSHAY ME HAIN , KI YAH NPRU TEAM ( ARIF KHAN ,ANURAG SINGH GAUTAM , RAGHUNATH NIKHIL ) GURUDROH KAR RAHE HAIN .
AAPNE THIK HI LIKHA HAIN ,KIJAHANPAR BHI AAPKE ANUSAR GURU NINDA /SADGURUDEV NINDA HO RAHI HO , USKE BAAD BHI AAP UN LOGONKI BAATE PADH RAHE HO YA UNKE GROUP ME HO TO YAH TO THIK NAHI HAIN NA, JO BHI AISA MANT EHAIN UNHE IS NIKHIL ALCHEMY GROUP KO TATKAAL CHHOD DENA CHAHIYE HI.
ME AAJ KI BAAT KA ULLEKH KARNA CHAHOONGA,MERE KSHETR KE EK GURU BHAI”NITIN DUBEY KIPOST HI DEKHO” KAMSE KAM 15 JAGAH KARI GAYI, JO MAN AAYA LIKHA..
JABKI SADGURUDEV JAB SASHIR THE , TAB BINA SADGURUDEV JI KI AGYA SE JABALPUR KE GOSALPUR KSHETR ME SADGURUDEV SE BINA PAERMISSION LIYE SHIVIR KE LIYE CHANDA EKTHTHA KARTE RAHE PHIR KUCH GURUBHAIYON KE SATH JAB JODHPUR JA KAR SADGURUDEV SE MILNE GAYE TO , SADGURUDEV NE , INKI BAAT BINA SUNE HI , MILNE SE MAN KAR DIYA , TEEN DIN TAK YE HAAL RAHA, JABSADGURUDEV BAAT BHI NAHI KARJNE KO TAIYAAR RAHE PHIR YE LOG TEENO GURUDEV JI KE GHAR PAR JAKAR BAITHE RAHE , BAHUT PRARTHANA KARNE PAR KISI TARH KARYKRAM KO SAMPT KARNE KO KAHA GAYA .
YE BAAT JABALPUR KE ANEKO GURU BHAI JO 1995 KE BAAD SE HAIN , SABHI JANTE HAIN ,AOR AAJ ,SWAYN YE BHAI , CHALE SIDHE PRAVCHAN KARNE KI SADGURUDEV INKO(TEENO POOJYA GURUDEV BHI NAHI BALKI SIDHE) NIRDESH DETE HAIN,BATAYA HAIN KI IN LOGON KE SATH NA RAHO .
EK BAAR APNE DIL PAR HAANTH RAKH KAR DEKHE TO. .KHUD KYA KIYA HAIN ,,,WAH YAAD NAHI .. PAR..
HAR VYAKTI KAH RAHA HIANMUJHE JABAB DO…MANO HAMNE INSE DIKSHA LI HO ..
TO ME ARIF BAHI ME AAPKE SATH HOON. AB SE KOI BHI JABAB NAHI ,
HAMRI APNI JEEMDARI HAIN ,
SABHI SWTANTRA HAIN APNA APNA GROUP BANA KAR HUM GURUDROHIYE KE LIYE EK NAY ABHIYAAN CHHHEDNE KE LIYE.

ANN said...

भाई साधना के पथपर ये वाद विवाद होते देखकर मुझे बडा दुख हो रहा है। यह आपने अच्छा किया की आपकी तरफ़से यह विवादपर पर्दा डाल दिया।

Sachin said...

आरिफ भाई आप आगे बढ़ो
हम तुम्हारे साथ मरते दम तक है
जय गुरुदेव !!!!!!!!!

Jogeshsahoo said...

Dear Arif Bhaiya,

Jai Gurudev.

Main is group main naya hoon, baar baar mujhe mail main kuch baad vibad ki suchna mila tab aaj main blog dekha, to mujhe thoda sa pata laga, aap log sare bahut din se ho jo ki sadgurudev ke saath aur guru trimurti ji ke saath bhi ho. magar ek baat samajh main nahin aata phir apas main ye takraw kyun hai, Jab hum sab ek gurudev ke adarsh aur dikhaye hue raste par chal rahe hai to phir apni raya aur mat rakhe ki baat kahan pe aaraha hai.
apni aham ehan pe kyun la rahe hai. hum history khol ke dekhe jahan jahan gurubhaion main vivad aya hai wohan us dharam sthan ka aur dharm ka bilop ho gaya hain. kya ehi humara udeshya hai ki hum Sadgurudev ji ko poora hi bhool jayen isi baad vibaad ko lekar. unki adrsh ko lekar. Arif bhaiya Aap mohan ho ki app ko Sadgurudev ji ki prateykhya kripa mila hai.Aap usi ko patheya kar ke agge baden. Sidhi ki rasata kabhi gulab ka bichayee hue phool ka sej nahin usme bhi kanten chughenge. Ye baat ko dhyan rakh kar agge chaliye.Apne maan ke dukh hoga ki hum sab guru bhai kuch baat ko lekar alag ho rahe hain.phir bhi apna manzil ek hain.app apna kaam karte chailiye. Sab kuch wohi sadgurdev ji ko samarpit kardijiye achha bhi aur bura bhi, sab kuch dhire dhire sahi ho jayega.
Jay Gurudev.

Prashant said...

Jay Gurudev Arif Bhai,
Karya kaunsa bhi ho achha ho yo bura ho? Log to bolege hi, ninda bhi karenge. Lekin hame aage badhana hai, guru gyan ka vitran karna hai to dar kis bat ka ? AAGE BADHIYE?
Aise maukonki kami nahi hodi. rasta hame khud hi chunana hoto hai. Aahnir nirdesh to Sadgurudev ke hi hote hai.

_ Prashant D. pbdafade@gmail.com

gaurav sharma said...

Amit Sharma said...

Jai gurudev Arif bhai, meri umar bhut kam hai, or me sadgurudev ji se 10 saal pahle juda hu, mane haal he me kuch time pahle hi aapki site par visit kiya, etni internal knowledge sadhna ke bare me kavel wahi de sakte hai jinhone guruji ke gyan ko soul se aatmsaat kiya ho, me aapka parsansak hu, or follower bhi. Arif bhai aap bas apna kaam karte rahiye or wo kahte hai na ki pratyaksh kim pramanum, mene aapke gyan ko aatmsaat kar liya hai, or jo adhure hote hai wahi log esi baat karte hai, aap aage badhiye me aapke saath hu with full force, jai Gurudev

gaurav sharma said...

Amit Sharma said...

Jai gurudev Arif bhai, meri umar bhut kam hai, or me sadgurudev ji se 10 saal pahle juda hu, mane haal he me kuch time pahle hi aapki site par visit kiya, etni internal knowledge sadhna ke bare me kavel wahi de sakte hai jinhone guruji ke gyan ko soul se aatmsaat kiya ho, me aapka parsansak hu, or follower bhi. Arif bhai aap bas apna kaam karte rahiye or wo kahte hai na ki pratyaksh kim pramanum, mene aapke gyan ko aatmsaat kar liya hai, or jo adhure hote hai wahi log esi baat karte hai, aap aage badhiye me aapke saath hu with full force, jai Gurudev

gaurav sharma said...

Amit Sharma said...

Jai gurudev Arif bhai, meri umar bhut kam hai, or me sadgurudev ji se 10 saal pahle juda hu, mane haal he me kuch time pahle hi aapki site par visit kiya, etni internal knowledge sadhna ke bare me kavel wahi de sakte hai jinhone guruji ke gyan ko soul se aatmsaat kiya ho, me aapka parsansak hu, or follower bhi. Arif bhai aap bas apna kaam karte rahiye or wo kahte hai na ki pratyaksh kim pramanum, mene aapke gyan ko aatmsaat kar liya hai, or jo adhure hote hai wahi log esi baat karte hai, aap aage badhiye me aapke saath hu with full force, jai Gurudev

Anu said...

Dear Gaourav bhai , aapka swagat hain aur aapki bhavna jo arif bhai ke prati hain wah to hamara soubhagy hain . aap par sadgurudev ji ki kripa hamesha rahe .
smile
Anu