इस युग मे धन की आवश्यकता कदम कदम पर पड़ती है. जीवन मे धन और
ऐश्वर्य की प्राप्ति हमें हो पाए और हमारे भौतिक और आध्यात्मिक पक्ष मे किसी भी
तरह की बाधा ना आए यह चिंतन कोई गलत नहीं है. यु यहाँ पर धन प्राप्ति से सबंधित
प्रयोगों को देने का उद्देश्य भी यही है की व्यक्ति अपनी धन सबंधी समस्याओ का
निराकरण प्राप्त कर सके.
यक्षिणी व् अप्सराओ की साधना यु इस द्रष्टि से महत्वपूर्ण है,
कई लोगो को ये कहते सुना है की जिनकी शादी हो गयी हो उन्हें इन साधनाओ से दूर रहना
चाहिए. ये बात तथ्य हिन् है. इनकी साधनाओ के कई विधान है जिनमे कुछ एक विधान
सन्याशी साधको के लिए ही ज्यादा योग्य है लेकिन उन कुछ विधानों के सबंध से इनकी
सभी साधनाओ के बारे मे ये कहना योग्य नहीं है की यह साधना गृहस्थों के लिए हे ही
नहीं. तन्त्र मे भोग पक्ष और मोक्ष पक्ष को सामान रूप से महत्व दिया गया है. भोग
का अर्थ सिर्फ शारीरिक धरातल पर नहीं होता. भोग का अर्थ है उन्नति पूर्वक अपने
भौतिक जीवन को पूर्ण रूप से जीना. भौतिकता का आनंद लेना. और उसी क्रम मे कई देवी
देवता या देव वर्ग सहायक होते है, जिनमे अप्सरा एवं यक्षिणी दोनों का समावेश होता
है. रति प्रिया यु एक देव वर्ग की यक्षिणी का नाम है जो की अपने साधक को शीघ्र फल
देने मे सक्षम है. आदि काल से इनकी साधनाओ का प्रचालन धन व् ऐश्वर्य की प्राप्ति
के लिए होता आ रहा है. इसके लिए कोई ज़रुरी नही है की यक्षिणी आ कर आपको खुद ही
सोने के सिक्के दे जाए. वरन वह तो एसी परिस्थितियो का निर्माण कर देती है की साधक
को अपने आप ही धन और आय के स्त्रोत मिलते रहते है, अपने आप ही परिस्थिति मे बदलाव
आने लगता है, रुका हुआ धन प्राप्त होता है, नोकरी मिलती है या मंद हुआ व्यापर वापस
चलने लगता है, कहने का अर्थ यह है की इस साधना को करने पर किसी भी रूप मे यक्षिणी
आर्थिक उन्नति का मार्ग खोल देती है, जिससे साधक के धन सबंधी सभी प्रश्नों का
निराकरण प्राप्त होता है.
इस साधना को शुक्रवार या रविवार की रात्रि मे १० बजे के बाद
शुरू करना है. इसके लिए साधक रुद्राक्ष या स्फटिक माला का उपयोग कर सकता है. किसी
भी वस्त्रों का चुनाव करने के लिए साधक स्वतन्त्र है. दिशा उत्तर या पूर्व रहे.
साधक को इत्र लगाना चाहिए. मिठाई का भोग लगाए जो की मंत्र जाप के बाद खुद ग्रहण
करना चाहिए. इसके बाद मन ही मन रतिप्रिया को प्रिया या मित्र रूप मे मदद करने के
लिए निवेदन (प्रार्थना नहीं) करना चाहिए.
इसके बाद साधक निम्न मंत्र की ३ माला जाप करे.
ओम ह्रीं रतिप्रिये नम:
यह क्रम सिर्फ ८ दिन करना है. दिखने मे ये भले ही साधारण
साधना लगे पर इसका प्रभाव अचूक है. ८ दिन बाद माला को धारण कर ले और एक महीने बाद नदी
या तालाब मे विसर्जित कर दे.
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n this era one needs money at every step of life. The
thought of being prosperous to stop obstacles in our material and spiritual
life is not wrong from any view. This way, to give processes related to the
monetary problems are part of the objective that sadhak can have solutions of
their problems.
Sadhana
of yakshini and apsara are important from this point of view, heard from many
people that married people should stay far from these sadhana. This is not a
fact. There are so many processes related to them in which few peocesses are
only suitable for sanyashi sadhaka but relation to those few processes it is
wrong to say that these sadhanas are not for married people. In tantra bhoga
and moksha have equal significance. The meaning of bhoga is not only in body
pleasure. The meaning of bhoga is to progress in the material life with living
it at its best. To have the joy of material life. In this relation, there are
so many god goddesses and demy gods who may help, including apsara and yakshini
both.
Rati
Priya is classified under demy goddess who is capable to benefit their sadhaka
quickly. From long time their sadhana has remained famous to have prosperity.
It is not essential in this sadhana that yakshini herself will come to you and
give gold coins. But actually, she creates situations that lead sadhaka to have
prosperity itself. Conditions get change, the money traped will release,
getting a job orr slow business will have a bust, the base meaning is in one or
another way, yakshini opens the gate of fortune for prosperity development by
which sadhaka will have answers for all his monetary troubles.
This
sadhana could be start after 10pm of Friday or Sunday. For this sadhana, sadhak
can use rudraksha or sfatika rosary. Cloth could be any. Direction should be
north or east. Sadhak should use perfume. Offer sweets which should be taken by
sadhaka only when mantra chanting is done. After that sadhaka should request
(not pray) mentally to help in form of lover or friend
After
that sadhak should chant 3 rosaries of the following mantra
Om hreem Rati Priye namah
This
process should be done for 8 nights. Though it seems like ordinary process but
it have a sharp result. After 8 days wear that rosay around neck for 1 month
and then drop it in river or pond.
****NPRU****
3 comments:
dear gurubhai aakarshini mudra kis tarah se hoti hai kripya ho sake to pics ke sath blog ya facebook par dikhaye.
kya ye sadhna sadharan vyakti ghar pe kar sakte he?
जी भाईजी इस साधना को कोई भी व्यक्ति अपने घर पे भी कर सकता है
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