तंत्र में एक से एक विधान कहे जाते हैं या दिए जाते हैं साधारण साधक को यह बहुत अचरज लगता हैं की की यह भी प्रयोग करना चाहिए फिर आ जाता हैं की यह भी करना चाहिए , फिर यह भी जरुरी भी हैं इसके बिना सफलता नहीं मिल सकती हैं , या फिर इसके लिए यह भी विधान भी जरुरी हैं , अब क्या क्या हम और क्या नहीं या तो यह विधान यह साधना को ही करते रह जाये , मूल साधना को कब करे ?? तो पहले यह हम समझ ले , की यह क्षेत्र ऐसा नहीं हैं की बस यन्त्र माला ले ली और कल एक अनुष्ठान कर लिया और हम और आप विश्व प्रसिद्द हो गए , थोडा सा देखें की जिन्होंने सफलता पाई हैं कितनी कठिनाई सहन की हैं .
पर आप कहेंगे की वह एक ,आपके पहचान का हैं उसे तो एक ही बार में .. उसने तो यह नहीं और यह भी नहीं किया था .....तब भी ..
मित्रों , तंत्र जगत में कुछ भी एक दम से नहीं होता हैं अगर किसी ने विगत जन्मो में साधना की हैं या वह साधना की हैं और उसका थोडा सा ही रास्ता बाकि था तो उसे इस जीवन में जल्दी ही सफलता मिल ही जाएगी/जाना ही चाहिए न पर इसका मतलब हम हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे की कोई आ कर पहले हमें हमारे विगत जीवन के बारे हमें बताये की यह साधना करो ..
नहीं नहीं .
यह तो भाग्य वादी दृष्टी कोण हो गयी हैं . तो हमें जब तक सफलता नहीं मिल जाये तब तक अपनी साधना के लिए विशेष विशेष विधान समय समय पर अपनाना ही चाहिए , यह बिलकुल हैं की कोई मात्र एक किताब पढ़ कर टॉप कर लेता हैं तो किसी किसी को tution भी लेनी पड जाती हैं पर सफल तो सभी कहलाते हैं .
ठीक इसी पूज्य सदगुरुदेव जी ने अनेको विधान दिए हैं आप से जिसको लगे यह विधान उनके लिए उपयोगी हो सकता हैं वह आगे आये और इस विधान को करे
Imp:
पर ध्यान
रखे
यह विधान
या
बहुत
ही उग्र
हैं
इसलिए कमजोर ह्रदय
वाले
को इस के बारे में सोचना
भी नहीं चाहिए
मंत्र :
ॐ मेखले सर्व
सिद्धिं तन्त्र सिद्धिं कुरु कुरु नमः
साधारण नियम :
·
दिशा
दक्षिण.
·
इस मंत्र
को रुद्राक्ष या काली हकीक माला से जपना हैं
·
काले
वस्त्र पहन कर और काले आसन ही उपयोग
करना हैं
·
निखिलेश्वरानंद
कवच का उपयोग करे और आवश्यक रक्षा विधान करके ही इस
प्रयोग में जाये
·
क्योंकि स्मशान
कोइ मजाक या प्रयोग करने की जगह नहीं हैं इसका विशेष
ध्यान रखे ,
·
स्मशान
मे रात्रि काल मे ( after 10 pm )२१ माला २१ दिन तक जपने से आगे की जाने वाली
साधनाओं में तन्त्र सिद्धि होती है
और साधक को आगे की साधनाओ के लिए देवी
बिम्बात्मक रूप मे दर्शन देकर आशीर्वाद देती है
आज के लिए बस इतना ही
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There are various sadhana and prayog
are in tantra sadhana jagat , and
its very natural that a common sadhak
often get confused on reading that
this sadhana /prayog is must , and
this too , and without this prayog
one cannot get success , and this
is an essential sadhana , than what to do or not to do is a big question ?, if we go this way
so it seems when we have time
for our main sadhana ,???
Than at
first we understand that , this is not such a
field that you have
taken one yantra and mala and
just do a single anusthan
and get
world fame. Just see
those who have got success how
much hard work they took.
But on
replying this simply you would say that , he is one whom you know , did not do any of such thing and got success in one attempt. why Is it so …
Friend
there is no
sanyog/coincidence in tantra sadhana , if he
undertook that sadhana in his
previous life and just little
more was needed to have the success, s o
its quite natural
that in this life
he will get success in very
little minimum efforts. And it should
be , but that does not means that we just sitting effortlessly , waiting for some one
to come and tell that this sadhana
you have to do ,since in past life..
No no
Than is
just not a good approach ,we
should apply each and every sadhana that will give us success
in our aimed sadhana, which is
in someone views helpful
for success in sadhana
. this is just like that
someone get top in exam by just reading a book
and other one has to take tuition ,
but on the success both are considered successful and equal .
So considering
these facts poojya Sadgurudev ji has
given so many prayog , which ever
you think good for you ,
go ahead .
Imp: keep it in mind
this prayog is
tough , so do not undertake it in any cost if you
are having weak in heart.
Mantra :
Om mekhle sarv siddhim tantra
siddhim kuru kuru namah
General rules :
- Direction would be south
- Do jap with using either rudraksha or black hkik mala .
- Use black color aasan and clothes.
- Chant nikhileshwaranand kavach and do necessary rakshatmak vidhan .
- Always remember shamshan is not a place for joke or for experimenting .keep this always in mind.
- In shamshan , night time(after 10pm) do jap 21 round of rosary for 21 days , than you got tantra siddhi .
And devi
will bless you for
getting success in coming sadhana
.
This is enough for
today
****NPRU****
1 comment:
Bhaia ji, kya yeh sadhna sirf samshan me ki jaa sakta hai, kahi aur nai aur Chant nikhileshwaranand kavach kya hota hai and rakshatmak vidhan ke bare me bhi kuch btae.
With Respect
Harshal
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