जीवन की सार्थकता मात्र धन अर्जन में नहीं है,ना ही भौतिक
सुखों की प्राप्ति जीवन को सार्थक कर सकती है, क्योंकि सत्य मात्र ज्ञान है......
और इसी का आश्रय लेकर न हम भौतिक सुखों की प्राप्ति कर सकती हैं बल्कि अध्यात्म की
उन ऊँचाइयों को भी प्राप्त कर सकते हैं जो जीवन का सौभाग्य कही जाती हैं. परन्तु
ये तो सत्य है की आज भी ये ज्ञान प्राप्य है पर है लुप्त होने की कगार पर ही. ना
जाने क्यूँ जिनके पास ये ज्ञान है वो इसे आगे क्यूँ नहीं प्रसारित करना चाहते हैं.
क्यों इतनी कृपण प्रकृति को अपना व्यक्तित्व उन्होंने बना लिया है
...............सोचिये जिनसे उन्हें ये ज्ञान प्राप्त हुआ है यदि वो भी यही कृपणता
का भाव इस ज्ञान को देने में बरतते तो क्या इन्हें ये उपलब्धि मिल पाती. यदि हमें
आगे अपना सर अपने सदगुरुदेव और समाज के सामने गर्व से उठाना है तो कम से कम हमें
कृपणता का भाव त्यागना ही पड़ेगा. जो भी रुखा सूखा हमें मिला है ,मधुर या तिक्त
अनुभूतियाँ हमें मिली हैं,वो हम आपस में आदान-प्रदान करे तभी हमारे जीवन की
सार्थकता है.
विगत काफी समय
से हम रसशाला और कार्य शाला की तैयारी में
लगे हुए थे ,जहाँ पर विभिन्न प्रकार के विज्ञानं और ज्ञान का प्रायोगिक रूप हम समझ
सके. उन विज्ञानों से सम्बंधित उपकरण और पद्धति की प्राप्ति कर सके. ये भी सत्य है
की वर्तमान में ये सब इतना सहज और सस्ता नहीं है. हमने मात्र एक प्रयास किया की ये ज्ञान विलुप्त न हो जाये और उसे बचाने के
लिए अपने उसी प्रयत्न को हम लगातार गति दे रहे हैं और सदगुरुदेव के आशीर्वाद से वे
प्रयत्न सार्थक भी हुए हैं,हमने अभी तक ३ कार्यशाला आयोजित की जो की पारद तंत्र और
तीव्र तंत्र पर रही है. और ये कहते हुए हमें गर्व है की पूर्ण सफलता के साथ ५०
वर्षों बाद संस्कारों और उनके प्रायोगिक रूप को पुनः हम समाज के सामने ला पाए. ऐसा
नहीं है की ये ज्ञान मात्र हमें ही है,मगर वही कृपणता के वशीभूत मष्तिष्क भला सामाजिक सरोकार की बात क्यों
करेगा. खैर कुछ ही दिनों में पुनः ६ कार्यशाला का लगातार आयोजन होने जा रहा है
जहाँ हम सभी आपस में इन ज्ञान के विभिन्न रूपों का आदान-प्रदान करेंगे. और ये सभी
क्रियाएँ अत्यधिक गुप्त रही हैं खास तौर पर इनका प्रायोगिक विश्लेषण और पद्धति की
प्राप्ति.
बहुत दुःख होता है की हमारे उद्देश्य की पवित्रता भी लोगो के
समझ में नहीं आती ,अपनी अज्ञानता को लोग हमारी कपोल कल्पना मानकर नवीन साधकों को
भ्रमित करते हैं. मुझे कई भाइयों का मेल मिला और फोन आये की ‘भाई आपने जिन
दीक्षाओं का विवरण ब्लॉग और तंत्र कौमुदी में दिया है ,जब उसके बारे में गुरुधाम
में पता करो तो वो लोग कहते हैं की आरिफ के पीछे मत जाओ ,ऐसी कोई दीक्षा नहीं होती
है’ अब उन मूढ़ मतियों को मैं क्या कहूँ जो सदगुरुदेव द्वारा निर्देशित
दीक्षाओं को कपोल कल्पना बताते हैं. मेरे
पास उन सभी दीक्षाओं का प्रमाण है की कब कब उन दिव्य दीक्षाओं के रहस्य को
सदगुरुदेव ने अपने श्रीमुख से विवेचित किया . “सप्त जन्म सर्व देवत्व सर्व साधना
दीक्षा” सदगुरुदेव ने भोपाल जन्म महोत्सव शिविर में सामूहिक रूप से १९९६-९७ में
प्रदान की थी,उठाइए कैसेट और स्वयं सुन लीजिए ,इसी का विधान और विवरण मैंने दिया
था,ठीक इसी प्रकार “पञ्च महाभूत संस्कार दीक्षा” का विवरण भी १९८८ में सदगुरुदेव
ने दिया था और वो पूरी वार्ता मेरे पास सुरक्षित है जो मैं सप्रमाण अपने प्राणाधार
सदगुरुदेव की ही दिव्यवाणी में मैं सुना सकता हूँ. बहुत सी ऐसी दीक्षाएं हैं जिनके
बारे में सदगुरुदेव ने स्वयं कहा है की इन दीक्षाओं को मेरे अतिरिक्त और कोई नहीं
दे सकता है. मेरे अतितिरिक्त का मतलब एकमात्र मैं ही दे सकता हूँ ,और ये उन्होंने
मंच से कहा है चाहे तो आप १९९७ शारदीय
नवरात्री के प्रवचन सुन ले या १९९८ मंजुल महोत्सव के (महाकाल युक्त
बगलामुखी दीक्षा )विवरण को सुन ले आज भी ये शब्द उन्ही की दिव्या वाणी में
प्राप्य हैं. यदि मैं की सी दीक्षा का या साधना का विवरण पत्रिका या ब्लॉग में
देता हूँ तो इसमें मेरा क्या स्वार्थ है ???? क्या ये दीक्षाएं मैं दे रहा हूँ ??
कदापि नहीं मेरे भाई-बहन पढ़ने के बाद सीधे गुरुधाम ही जाते हैं.परन्तु ना जाने
क्या बैर है ,क्यूँ इन ज्ञान को नहीं बताया जा रहा है.
खैर एक शिष्य के रूप में अपने सदगुरुदेव के द्वारा प्रदत्त
ज्ञान को शिष्य धर्म का निर्वाह करता हुआ मैं अपने भाई बहनों के समक्ष प्रायोगिक
रूप से रख सकूँ और वे भी सदगुरुदेव के आशीर्वाद से इन क्रियाओं में सफलता पा सके
मात्र इस निखिल चरण रज की यही प्रार्थना है.और अब हम किसी भी दिव्य दीक्षा के बारे
कोई बात नहीं करेंगे क्यूंकि मैं उचित नहीं समझता हूँ की मेरे भाई बहन कोई जानकारी
लेना चाहे औए उन्हें निराश होना पड़े. हाँ कार्यशाला में विज्ञानं और तंत्र के कई
गोपनीय रहस्य प्रक्टिकली जानने को मिलेंगे पहले के ३ कार्यशाला के समान ही.
(जिसमे हमने प्रायोगिक रूप से उन क्रियाओं और ज्ञान को समझा और समझाया था.) और आगे
मिलते रहेंगे ये वादा है मेरा अपने भाई बहनों से. अगले कुछ दिनों में हम ६
कार्यशाला का आयोजन कर रहे हैं.
१.शमशान
कार्यशाला- तीव्र साधनाओं के अद्भुत रहस्य से परिचित होने का प्रायोगिक प्रयास
२.पारद विज्ञानं कार्यशाला- ये
एक साथ दो चरण में होगी नए भाई बहन १-१२ संस्कार समझेंगे और पुराने १३-१५ संस्कार
३.सम्मोहन तंत्र कार्यशाला-
सम्मोहन विज्ञानं का तांत्रिक विधान और उसका प्रायोगिक ज्ञान
४. सूर्य सिद्धांत कार्यशाला-
सूर्य विज्ञानं के अद्भुत रहस्यों का प्रायोगिक अध्यन
५.कायाकल्प तंत्र कार्यशाला-
गौरान्गना और ३ अद्भुत आयुर्वेदिक पारदिय कल्पों की निर्माण विधि जो आंतरिक व
शारीरिक सौंदर्य व निर्जरा देह की प्राप्ति करवाती है
६.काल विज्ञानं कार्यशाला- काल
विज्ञानं व समय के तीनो खण्डों को समझने का प्रायोगिक प्रयास
ये सभी कार्यशाला
लगातार दिवसों में आयोजित होंगी प्रत्येक कार्यशाला के मध्य पहली और दूसरी के लिए
७ दिनों का अवकाश रहेगा.१ वर्कशॉप अधिकतम १० दिन की होगी. हम कोई नवीन कार्य नहीं
कर रहे हैं ,जो कुछ पहले सदगुरुदेव समझा व करवा चुके हैं उन्ही को जितना हमने
प्रायोगिक रूप से समझा है ,मात्र उसी को अपने अन्य भाई बहनों के समक्ष रखना और
उसकी प्रायोगिक कुंजियों की जानकारी देना, ताकि अभ्यास और सदगुरुदेव की कृपा से वे
भी सफल होकर इन विधाओं को जीवित रख सके.
नियम-
पहले के कार्यशाला में हमने भरोसा करके हर किसी को जगह दी
थी जिसका परिणाम बाद में हमें बहुत बुरा भुगतना पड़ा है. आज उन्ही में से कई
ढ़ेड सयाने हो गए हैं मानो उन्हें सब कुछ आ गया हो. तो अबकी बाद सुरक्षा के
दृष्टिकोण से हम ऐसा नहीं करेंगे जिससे ये ज्ञान गलत हाथों में ना पहुच जाये. ना
ही राजनीती का प्रयोग कर फूट डालने वाला व्यक्ति हमें चाहिए.... हम मात्र यही
चाहते हैं की इस बार कार्यशाला के पहले एक परिचय गोष्टी का आयोजन हो जाये ,जिसमे
हम सभी आपस में मिल ले.और इन कार्यशालाओं में भाग लेने के लिए क्या तैयारी करके
आना पड़ेगा वो भी समझ ले.
(A) ये सभी कार्यशाला और इनसे सम्बंधित उपकरण बहुत ही महंगे होते हैं और सहज
प्राप्त नहीं होते हैं परन्तु ये सभी
कार्यशाला पूर्णतयः निःशुल्क हैं जिसके
लिए कोई भी शुल्क नहीं देना होगा. ताकि आर्थिक रूप से कमजोर भाई-बहन आसानी से इस
विषय को बिना किसी तकलीफ के समझ सके.
(B) रहने ,खाने-पीने की
व्यवस्था हमारी और से रहेगी जो की NPRU की और से होगी.
(C) इसमें कोई भी जिज्ञासु
,भाई-बहन सम्मिलित हो सकता है. कृपया कुतर्क करने वाले दूर ही रहे.
(D) चरित्र की शुद्धता बहुत
मायने रखती है अतः आपत्तिजनक व्यवहार नहीं किया जाये.
(E) गोष्टी और कार्यशाला में
भाग लेने हेतु पहचान पत्र की फोटो कॉपी पहले ही भेज दीजिए और बाद में ओरिजिनल
पहचान पत्र साथ में रखे.
(F) गोष्टी मे भाग लेने वाले
भाई बहन मात्र ही कार्यशाला मे भाग ले सकेंगे.
Workshop and Regulations
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The true meaning of life is not about
collecting wealth; neither it’s about colleting the material comforts only,
because only truth is knowledge. With which not only we can have material
comforts but with that even achievements in the spirituality is also possible
which biggest fortune is. But this is also a primary fact that this knowledge
is available today even but about to be extinct. Those who have this knowledge
are not willing to pass it further with no understandable actual fact. Why
those have made this wired reserve nature their personality…. Think; from whom
so ever they have received this knowledge if they have made it so reserve in
that condition would they have been able to receive achievements they hold? If
we want over head to be up in front of Sadgurudev and society then we must
quite our reserving and so called secret policies for the knowledge. Whatever
we have received, sweet and bitter experiences if we exchange it with each
other than our life will have a goal.
Since long, we were into arrangement
for the lab and workshop, where we can understand various science and their
practical aspects. We can have appropriate materials and processes related to
those sciences. It is also a point that in today’s era this is not so easy or
cheap. We have only tried to save these sciences and we are trying our bests
and with blessings of sadgurudev our efforts have received success too. Till
the time we have arranged 3 workshops which are related to paarad tantra and
tivra tantra. And we feel glad to say that after 50 years with full success
these sanskaras were carried out in front of society. It is not that only we
have knowledge about this, but again those who want to keep this as personal
wealth, how can they even think of society. Anyways, in some days again 6 workshops
are about to be arranged where we all will exchange various aspects related to
this knowledge; the processes which have remained secret especially practical
aspects and methods.
It is sad that our motive’s fact are
not been understandable by the people, such people misguides new sadhaka with
their unawareness which is often termed as our mental fictions! I received so
many mails and calls of brothers that bhai the diksha you mentioned in blog and
tantra kaumudi about which when we made inquiry at gurudham; those told us that
‘don’t run behind arif; there is no such diksha’ now who will make this
mentally sick people understand those term fiction about the diksha mentioned
by sadgurudeva. I have evidence of those dikshas that at which time sadgurudev described
about those diksha. “ Sapt Janm Sarv Devatv Sarv Sadhana Diksha” had been given
by sadgurudev in public on janm Mahotsav shibir Bhopal-1996-97, get the
cassettes and listen with your own ears, description of same diksha which I
gave. Same way “Panch Mahabhoot samskaar diksha” has also been described by
sadgurudev in 1988 which full talk I have saved with me which I can make anyone
hear in sadgurudev’s divine voice. There are lots of diksha about which
sadgurudev told that “these disksha could not be given by anyone except me.
Except me means only I can give” this had been told by him from the stage if
you wish you can hear it in the discourse of 1997 sharadiya Navaratri or 1998
manjul mahotsav(mahakaal yukt bagulamukhi disksha) listen this in his divine
voice only. If I mention about any Diksha or sadhana in Blog or magazine it is
my selfishness? Am I going to give these diksha? Never. After reading my
brothers-sisters go to the gurudham only. But I don’t understand what state of
enmity they have with me, why this knowledge is not being spoken.
Anyways, in the form of disciple I can
place the knowledge given by sadgurudev in front of my brothers and sisters by
following disciple hood mentioned by sadgurudeva and those too my brothers and
sisters may have success with sadgurudev’s blessings that I will always pray in
holy Nikhilfeet. And from now onwards we would not speak about any divine
diksha as I do not find it appropriate that my brothers and sisters be upset
when they approach for information of the same. Yes in workshop so many
practical secret will come to in front like all three previous workshops. (
those about which we have understood practical aspects and we made them
understood) and will for sure will come in
future this is our promise to our brothers and sisters. In forthcoming
days we are arranging six workshops.
1. Shamshan sadhana workshop –
to get brief ideas about divine secrets of Tivr Sadhana
2. Paarad Vigyan
Workshop – this will be done in two steps symontaniously new brothers sister
will go for 1-12 samskaras and previous will go for 13-15th samskar
3. Hypnotism Tantra workshop –
Tantric process of Hypnotism and practical aspects of the same.
4. Surya Siddhant workshop –
mysterious and divine secrets and their practical aspects
5. Kayakalpa Tantra Workshop –
Gaurangana and 3 divine Ayrvedik paarad kalpa’s preparation which provides
Nirjara Deha with internal and external beauty.
6. Kaal Vigyan workshop – to
understand practically Kalvigyan and three aspects of time.
This all
workshop will be arranged in continuous days and between one to second workshop
there would be gape of seven days only. One workshop will be for 10 days
Maximum. It is not anything new, Whatever sadgurudev have made understand
practically whatever we did practical among that, that only we are willing to
place infront of brothers and sisters and to give practical keys of those. With
a mottow that by blessings of the sadgurudev they may have success in preserving
these sciences
Rules:
In previous workshops with a trust we
gave place to everyone for which we paid in sufferings a lot. Now among them
many have become over knowledgeable like they know everything so this time with
a mottow of security of the knowledge we are not going to repeat the same that
it does not go to people who are not appropriate. Neither those will be allowed
whose motto is to play politics and ruin the stuff of all. This time we only
want that before workshop there should be an interface discussion, by which we
can meet each other and to what is the preparations requires joining the
workshop.
(A)These all workshops and
their materials are very costly and are not easily available but these all
Workshops are completely free for which no amount would be taken. With a motto
that brothers and sister which are not financially firm too may have the
knowledge of these subjects.
(B)Facility of Accommodation
& food will also be arranged by us; I.e. NPRU team
(C) Any knowledge curious
brother or sister may join. Sophistries are never welcomed, please stay a part.
(D) Good Character has a vital
role. Following good conduct is must.
(E) One is requires to send
Identity Card’s Photocopy to participate in Discussion or workshop after that
bring original Icard with you.
(F) People who attend
discussion will only be eligible for workshop.
Those who are willing to join the
discussion should contact Anurag Bhai, (NIKHILALCHEMY2@YAHOO.COM) As this discussion will 3rd november in jabalpur take
place in hotel’s big hall and it will be deom 9AM to 8PM for food and other
expenses we all will have to contribute. There would be NO arrangement from us
to stay for the discussion (you may arrange it by your own) the details could
be get from anurag bhai. There only it would be decided that who will join
which workshop. In this discussion details of the workshop will also be given,
and for every workshop there is a preparation needed thus what preparation
should be done for workshop that processes will also be told with which it
become easy to understand subject. And will also be benefited to know each
other. Those who take part in the discussion will only be able to attend
workshop. Stay Sure and certain that in discussion
there would be no discuss for hidden costs or secret funds. All the above
mentioned workshops are totally free for which there would be no charge even
single paisa. And this rule goes for all
brothers and sisters. In discussion or workshop who will take a part for which
all rights are reserved with NPRU thus again acting critics are not welcomed to
save their and our time.
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