Every person knows how much important Lord Aaditya
(Sun) is for entire creatures. Lord Sun always works to provide Praan energy to
all creatures and to provide fixed impetus to earth.
Lord Sun has been called Aadi Dev. His highest
importance from both Veda and tantra point of you is obtained on the basis of
various sadhna padhatis and ancient scriptures. Abstract and very secretive
Vidya of Soorya (Sun) Vigyan and Soorya Vigyan Tantra is possible only through
grace of this lord. While providing basic power, light, Praan energy etc. to
all creatures, he keeps on providing blessings to creatures. Lord Sun has got an
important place in astrology too .Even in field of Parad Vigyan, getting his
assistance is necessary.
Upasana of Lord Sun has been done in both tantric
and Vedic way. There are so many forms of Aadi Dev Soorya known among sadhaks
and there are many sadhna in vogue based on his special forms and corresponding
powers related to those forms. Due to dominance of fire element in it, Lord Sun
is also considered as indicator of Agni (Fire). This form of Lord Sun which
provides fire i.e. heat and Praan energy to entire universe is called Agni
Soorya. By worshiping this form of Lord Sun, sadhak’s evil karmas are destroyed
and many Karma faults are remedied. Person get relief from problems related to
planet Sun and attains progress. Today it is dream of every person that there
is cheerful environment in his home and family and there is cordial and
peaceful relationship among family members. Beside it, every family member
succeeds in their respective work-field and makes family proud. Prayog
presented here is one such prayog related to Lord Sun after doing which sadhak
and his family members get above-mentioned benefits in their lives. Though it
is one day prayog but it is better for sadhak if he keeps on doing this prayog
whenever he finds time and he feels convenience.
Sadhak can do this prayog on any Sunday or any
other auspicious day.
It should be done in day time. It is better if
sadhak do this prayog at any time between sunrise and afternoon.
Sadhak should take bath and wear white dress.
Sadhak should make a divine offering to Sun and sit
on white aasan. Sadhak should face east direction.
After this sadhak should do Guru Poojan and chant
Guru Mantra. After it, Sadhak should chant Gayatri Mantra according to his
capacity.
After it, sadhak should chant 11 rounds of below
mantra .Chanting should be done by crystal (sfatik) rosary.
After it sadhak should ignite fire and offer 108
oblations of pure ghee by this mantra.
OM BHOORBHUVAH SVAH AGNAYE JAATAVED IHAAVAH SARVAKARMAANI SAADHAY SAADHAY SWAAHAA
In this manner, this prayog is
completed. Sadhak should not immerse rosary. This rosary can be used again in
future for this prayog.
भगवान आदित्य सूर्य का महत्त्व समस्त जीव के लिए कितना और क्या है यह बात तो हर कोई व्यक्ति जानता ही है. समस्त जिव को प्राण उर्जा प्रदान करने वाले तथा पृथ्वी की सुनिश्चित गति के लिए भगवान सूर्य देव हमेशा ही कार्यरत रहते है.
भगवान
सूर्य को आदि देव कहा गया है, वेदोक्त तथा तंत्रोक्त दोनों द्रष्टि से इनका उच्चतम
महत्त्व विविध साधना पद्धति तथा आदि ग्रंथो के आधार पर प्राप्त होता है. सूर्य
विज्ञान तथा सूर्य विज्ञान तंत्र जेसी गुढ़ और अत्यंत ही रहस्यमय विद्या भी तो
इन्ही देव की कृपा द्रष्टि से सम्प्पन हो पाती है. समस्त जिव को आधार शक्ति,
प्रकाश, प्राण ऊर्जा आदि प्रदान करते हुवे जिव मात्र को सहज रूप से अपना वर प्रदान
करते ही रहते है. ज्योतिष के क्षेत्र में भी भगवान सूर्य का अमूल्य स्थान है, वहीँ
दूसरी तरफ पारद विज्ञान में भी इनका सहयोग प्राप्त होना आवश्यक ही है.
भगवान
सूर्य की तंत्रोक्त एवं वेदोक्त दोनों ही रूप से उपासना होती आई है. आदि देव सूर्य
के कई स्वरुप साधको के मध्य प्रचलित है तथा उनके विशेष रूप तथा शक्तियों के आधार
पर उनसे सबंधित कई कई साधना पद्धतियाँ प्रचलन में है. अग्नि तत्व की पूर्ण
प्रधानता को अपने अंदर समेटे हुवे भगवान
सूर्य का प्रतिक अग्नि को भी माना गया है. सम्पूर्ण सृष्टि को अग्नि अर्थात ऊष्मा
और प्राण उर्जा प्रदान करने वाले भगवान सूर्य के इस स्वरुप को अग्नि सूर्य कहा
जाता है. भगवान सूर्य के इस स्वरुप की उपासना करने पर साधक के पाप कर्मो का नाश
होता है, तथा कई कार्मिक दोषों की निवृति होती है. सूर्य ग्रह से सबंधित समस्याओ
में राहत मिलती है. तथा घर परिवार में उन्नति प्राप्त होती है. आज हर एक व्यक्ति
का स्वप्न होता है की उनके घर में परिवार में खुशहाली का वातावरण रहे तथा सभी
सदस्य मिल जुल कर शान्ति पूर्वक तो रहे ही, इसके साथ ही साथ सभी अपने अपने कार्यों
में उन्नति को प्राप्त करे, घर तथा परिवार का नाम रोशन करे. सभी को अपने जीवन में
सफलता की प्राप्ति हो. प्रस्तुत प्रयोग भी भगवान श्री सूर्य देव से सबंधित एक ऐसा
ही प्रयोग है जिसे सम्प्पन करने पर साधक के जीवन में तथा परिवारजनो के जीवन में
उपरोक्त वर्णित लाभों की प्राप्ति होती है, वैसे तो यह प्रयोग एक दिवसीय प्रयोग है
लेकिन साधक के लिए उत्तम रहता है की वो इस प्रयोग को समय तथा सुभीता के अनुसार
करते रहे.
यह
प्रयोग साधक किसी भी रविवार या कोई भी शुभदिन कर सकता है.
समय
दिन का रहे. साधक सूर्योदय से ले कर दोपहर तक के समय के मध्य यह प्रयोग सम्प्पन
करे तो उत्तम है.
साधक
सर्व स्नान आदि से निवृत सफ़ेद वस्त्र धारण करे.
साधक
सूर्य को अर्ध्य प्रदान करे तथा उसके बाद सफ़ेद आसन पर बैठ जाए. साधक का मुख पूर्व
दिशा की तरफ होना चाहिए.
इसके
बाद साधक गुरुपूजन तथा गुरु मन्त्र का जाप करे. इसके बाद साधक गायत्री मन्त्र का
भी यथा संभव जाप करे.
इसके
बाद साधक निम्न मन्त्र की ११ माला मन्त्र जाप करे. यह जाप स्फटिक माला से होना
चाहिए.
इसके
बाद साधक अपने सामने अग्नि को प्रज्वलित करे तथा शुद्ध घी से इस मन्त्र की १०८
आहुति अग्नि में समर्पित करे.
ॐ भूर्भुवः स्वः अग्नये जातवेद ईहावह
सर्वकर्माणि साधय स्वाहा
(OM BHOORBHUVAH SVAH AGNAYE JAATAVED IHAAVAH
SARVAKARMAANI SAADHAY SAADHAY SWAAHAA)
इस प्रकार यह प्रयोग पूर्ण होता है. साधक को
माला का विसर्जन नहीं करना है यह माला आगे भी इस प्रयोग के लिए उपयोग में लायी जा
सकती है.
****NPRU****
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