Tuesday, March 5, 2013

KUCHH AUR TOTKE AAPKE LIYE





1)    While going outside home for any important work or going outside city for business purpose, take some Kidney beans (moong) in hands. These beans should be complete, they should not be broken. Stop near the gate of your house and while taking these beans in hand, recite the below mantra and blow on them.
OM SHREEM HREEM SARV VIGHNVINAASHAY SARV KARY SIDDHIM NAMAH
In this manner, recite this mantra 7 times and blow on them. After coming out of house, sadhak should throw those beans and then start the journey. By doing this, all obstacles coming in the way of sadhak are eradicated and work-related obstacles are eradicated.
)               Sadhak should get one feather of crow. Sadhak should write name of enemy on that feather with sindoor (vermillion) on Saturday and recite below mantra 108 times. There is no need of rosary for chanting. Sadhak should facing south direction. There are no rules for dress and aasan.
After it, sadhak should burn that feather in cremation ground or at boundary of cremation ground and take bath after coming to home. In this manner, sadhak’s enemy gets paralyzed and does not harm him in future.
)               On Sunday, sadhak should take bath and wear white dress. After it, at the time of sunrise sadhak should chantHREEM108 times while looking at sun. There is no need of any rosary to be used by sadhak. If sadhak wants, he can use crystal or rudraksh rosary. Offer divine offering to sun. After it, sadhak should apply Tilak (sacred mark) on his forehead with white sandal while chanting beej mantra “HREEM”. Sadhak can continue this procedure for future Sundays too. It is an amazing procedure as a result of which there is increase in respect and reputation of sadhak. Sadhak should keep one thing in mind that it is necessary to chant mantra while applying mark on forehead and it has to be applied in front of sun only.

)              There are various types of Totke known among siddhs related to circumambulation of Peepal tree. Sadhak should look for a peepal tree which is located near the river or at cremation ground boundary. On Sunday, sadhak should ignite one lamp near the tree at the time of sunset. Offer vermillion, turmeric and rice to tree. Offer Kheer as Bhog and take 11 circumambulations. These circumambulations should be taken in clockwise direction i.e. from left to right. After it, sadhak should pray for resolution of his troubles and go away. Sadhak should not look back. It is best to do this procedure at any uninhabited place. This procedure should be done only at the time of sunset. In this manner, sadhak’s troubles get resolved. If he is facing obstacles in any particular work or if his work is struck somewhere, sadhak gets solution. Sadhak can do this prayog more than once too.

)               On Tuesday, sadhak should take at least half meter of red cloth and keep wheat in it. Sadhak can keep as much wheat as he can. Along with it, sadhak should keep some money and make a bundle of it. Sadhak should take that bundle to Hanuman temple after sunset and touch the bundle with idol. After it sadhak should offer that bundle to priest or any need person as Dakshina. In this manner, sadhak gets relief from planetary obstacles. If sadhak is facing adversities in life due to adverse effect of planetary obstacles then sadhak gets relief.

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१)                किसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए घर से बहार जाते वक्त या व्यापार हेतु शहर से बहार जाना पड़े उस वक्त घर से बहार जाते समय अपने हाथ में मुंग के कुछ दाने लें, यह दाने साबुत होने चाहिए टुटा हुआ दाना न लें. दरवाज़े के पास रुक कर उन दानो को हाथ में ले कर साधक निम्न मन्त्र को बोले और फूंक मारे.
ॐ श्रीं ह्रीं सर्वविघ्न विनाशाय सर्व कार्य सिद्धिं नमः
(OM SHREEM HREEM SARV VIGHN VINAASHAY SARV KARY SIDDHIM NAMAH)
इस प्रकार ७ बार मन्त्र बोले और फूंक मारे. इसके बाद साधक बहार निकले तथा उन मुंग के दानो को घर के बहार फेंक दें. और यात्रा का प्रारम्भ करे. इस प्रकार करने से, साधक के रस्ते में आने वाले सभी विघ्न समाप्त होते है तथा कार्य में होने वाली बाधा का निराकरण प्राप्त होता है.
२)                साधक को कौए का एक पंख प्राप्त करना चाहिए. फिर साधक शनिवार की रात्री में उस पंख पर सिन्दूर से शत्रु का नाम लिखे तथा निम्न मन्त्र का १०८ बार पाठ करे. इसके लिए कोई भी माला की ज़रूरत नहीं है. साधक का मुख दक्षिण दिशा की तरफ होना चाहिए, वस्त्र आसन आदि का विधान नहीं है.
ॐ क्रीं शत्रु उच्चाटय उच्चाटय फट्
(OM KREENG SHATRU UCCHAATAY UCCHAATAY PHAT)
इसके बाद साधक उस पंख को ले जा कर स्मशान में जला दे. या स्मशान के किनारे जला दे तथा घर आ कर स्नान कर ले. इस प्रकार करने से साधक के शत्रु का स्तम्भन होता है तथा शत्रु भविष्य में उसे परेशान नहीं करता.
३)                रविवार के दिन साधक स्नान आदि से निवृत हो कर साधक सफ़ेद वस्त्र को धारण करे. इसके बाद साधक सूर्योदय के समय सूर्य के सामने देखते हुवे बीज मन्त्र ‘ह्रीं’ (HREEM) का १०८ बार जाप करे इसके लिए साधक को कोई भी माला की आवश्यकता नहीं है अगर साधक चाहे तो स्फटिक या रुद्राक्ष की माला का प्रयोग कर सकता है. सूर्य को अर्ध्य प्रदान करे. इसके बाद साधक बीज मन्त्र ‘ह्रीं’ का जाप करते हुवे ही सफ़ेद रंग के चन्दन से अपने मस्तक पर तिलक करे. इस प्रकार साधक यह क्रिया एक या कई रविवारों तक कर सकता है. यह अद्भुत प्रयोग है जिससे साधक के मान सन्मान में वृद्धि होती है. साधक को ध्यान रखना है की तिलक ऐसे ही नहीं लगाना है तिलक लगाते समय बीज मंत्र ‘ह्रीं’ का जाप होना इस प्रयोग में आवश्यक है तथा तिलक सूर्य देव के सामने ही लगाना है.

४)                 सिद्धो के मध्य पीपल की प्रदक्षिणा से सबंधित कई प्रकार के टोटके प्रचलित है. साधक को पीपल के ऐसे पेड को देखना चाहिए जो नदी के किनारे हो या स्मशान के किनारे हो. रविवार को सूर्यास्त के समय साधक पेड के पास एक दीपक प्रज्वलित करे. पेड पर कुमकुम हल्दी तथा अक्षत समर्पित करे, भोग के लिए खीर रखे. तथा ११ प्रदक्षिणा करे. यह प्रदक्षिणा घडी की दिशा में अर्थात बाएँ से दाएँ तरफ होनी चाहिए . इसके बाद साधक अपने कष्टों के निवारण के लिए प्रार्थना करे तथा चला जाए. पीछे मुड़ कर ना देखे. सामान्यतः निर्जन स्थान में यह प्रयोग करना सर्वोत्तम है, यह प्रयोग मात्र सूर्यास्त के समय ही होना चाहिए. इस प्रकार करने से साधक के कष्टों का निवारण होता है, अगर कोई विशेष कार्य आदि में बार बार बाधा आ जाती है या कोई काम रुक गया है तब साधक को समाधान की प्राप्ति होती है. साधक यह प्रयोग एक से ज्यादाबार भी कर सकता है.

५)                मंगलवार के दिन साधक कम से कम आधामीटर का एक लाल रंग का कपडा ले, उसी कपडे में साधक गेहूं रखे. साधक जितना चाहे उतना गेहूं रख सकता है, साथ ही साथ उसमे कुछ पैसे भी रख दे तथा पोटली बना ले. उस पोटली को सूर्यास्त के बाद किसी हनुमान मंदिर पे ले जाएँ, तथा मूर्ति को स्पर्श कराएं. उस पोटली को फिर ब्राह्मण को या किसी ज़रूरत मंद व्यक्ति को दक्षिणा रूप में अर्पित करे. इस प्रकार करने से साधक को ग्रह सबंधित पीड़ा से राहत मिलती है. अगर ग्रह दोष के विपरीत प्रभाव साधक के जीवन  पर पड़ रहे है तो साधक को राहत मिलती है.



****NPRU****

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