Human life, containing various types
of specialities is very complex creation of universe and is a particular
portion of time. Happening of particular incidents with particular creature
till particular time is a universal concept. Due to particular influence of
Karmas, state of each person is different and certainly current state of our
life and the circumstances which we are facing today is due to our Karmas of this
life and past lives too. Definite activity leads to definite results. In this
manner, our karmas give birth to definite results in universe which is nothing
but creation of our fate. After birth, person performs various types of
activities in order to make his life better. Every person has desire to attain
happiness in life by attaining various pleasures and at particular time in life,
he tries to perform some work or other in order to fulfil that desire and
attain happiness. Person puts in lot of hard-work in order to attain pleasure
and fulfil desire like doing different type of business and jobs but sometimes
despite all these, he is not able to get suitable results in proportion to his
hard-work. And when it happens multiple times that luck does not favour him or
he does not get suitable results after doing work by which he can attain
prosperity, person becomes depressed and he becomes victim of inferiority
complex. Due to all these reasons,
person’s health can deteriorate and person’s life worsen after being afflicted
with various types of physical and mental diseases. In fact, this situation
can’t be called ideal in any respect, such type of life becomes burdensome life
in which person faces so many other problems in absence of pleasure and prosperity. At such time, person tries to get various
solutions but he is unable to see any solution or solution which he is able to
see seems unrealistic. But if we look forward to field of Tantra then we get
solution to all problems of our life. In fact, it is our ignorance and
carelessness which has depleted this great knowledge but due to efforts of Maha
Siddhs, this rare knowledge could be secured. It contains procedures related to
solution of problems of our materialistic life as well as procedures for spiritual
progress.
Shri Sadgurudev in his lifetime has
provided special procedures on various instances through which sadhak can solve
many problems of his life. He explained so many procedures for increase in
prosperity and attaining pleasures in life to sadhaks and also made sadhak do
them practically. But slowly and gradually, these procedures became obsolete.
So many of such procedures became extinct with time. One of such procedure was Bhuwaneshwari
prayog which is unparalleled procedure for attaining prosperity. After doing
this procedure, there is development of prosperity in sadhak’s life in many
respects. There is increase in respect of sadhak, reputation of sadhak
increases in society. Sadhak gets riddance from financial problems. If sadhak
is not getting suitable post in business or work field, he gets promotion. In
this manner, this procedure is very effective in today’s era. Along with it,
this procedure is very easy too which can be done by any sadhak.
Sadhak can start this procedure form
any auspicious day.
Sadhak should take bath in night,
wear red dress and sit on red aasan facing North direction. First of all,
sadhak should establish Bhuwaneshwari yantra/picture on red cloth in front of
him. Sadhak should then perform Guru Poojan. After it sadhak should do poojan
of goddess Bhuwaneshwari yantra/picture. Sadhak should offer red flowers in
poojan. Sadhak should chant Guru Mantra as much as possible. Sadhak should then
do Nyas with Maya Beej.
KAR NYAS
HRAAM ANGUSHTHAABHYAAM NAMAH
HREEM TARJANIBHYAAM NAMAH
HROOM MADHYMABHYAAM NAMAH
HRAIM ANAAMIKAABHYAAM NAMAH
HRAUM KANISHTKABHYAAM NAMAH
HRAH KARTAL KARPRISHTHAABHYAAM NAMAH
ANG NYAS
HRAAM HRIDYAAY NAMAH
HREEM SHIRSE SWAHA
HROOM SHIKHAYAI VASHAT
HRAIM KAVACHHAAY HUM
HRAUM NAITRTRYAAY VAUSHAT
HRAH ASTRAAY PHAT
After it, sadhak should do Dhayan (meditation)
of goddess.
Udydindyutimindukireetaam Tungkuchaam
Nayantryyuktaam |
Smaremukheem
Vardaangkuchpaashaabheetikaraam Prabhje Bhuwnesheem ||
After it, sadhak should chant 51
rounds of below mantra
OM SHREENG HREENG HROOM SAH
Sadhak can use any Shakti rosary or
Moonga rosary for chanting. After completion of chanting, sadhak should offer
101 oblations of honey in fire. Sadhak should do this procedure for 3 days.
Thereafter, sadhak should establish picture/yantra in the worship-place. Sadhak
should not immerse rosary. It can be used in future for procedure related to
Bhuwaneshwari.
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मनुष्य का जीवन कई कई प्रकार से विशेषताओ को लिए हुए अपने आप में एक अत्यधिक जटिल ब्रह्मांडीय रचना है जो की काल का एक विशेष खंड है. एक विशेष खंड तक एक निश्चित जिव के साथ एक निश्चित घटनाओं का घटित होना यही ब्रह्मांडीय संकल्पना है. विशेष कार्मिक प्रभाव के कारण विविध मनुष्य या जिव की गति अलग अलग होती है तथा निश्चय ही हम आज जिस स्थिति में रह रहे है तथा जिन परिस्थितियों का सामना कर रहे है उसके पीछे हमारे इस जीवन के तथा विगत जीवन के कर्म की द्रष्टि होती ही है. क्यों की एक निश्चित क्रिया एक निश्चित परिणाम को जन्म देता ही है. इस प्रकार हमने जो कर्म किये है उसका एक निश्चित परिणाम ब्रह्माण्ड में निहित हो जाता है जो की हमारे भाग्य की रचना है. जन्म के बाद मनुष्य कई प्रकार की विविध क्रियाकलापों से गुज़रता हुआ अपने जीवन को श्रेष्ठ से श्रेष्ठतम बनाने की और अग्रसर होता है, जीवन में विविध सुख भोग की प्राप्ति कर जीवन में खुशी को प्राप्त करने की आकांशा प्रायः सभी मनुष्य में होती ही है तथा जीवन के एक भाग में वह इच्छा के प्रबल वेग की पूर्ति के लिए वह सुख की प्राप्ति के लिए कुछ न कुछ कार्य करने के लिए आगे बढ़ता है. इसी सुख की प्राप्ति तथा कामना के लिए मनुष्य परिश्रम करता है, विविध व्यापार, कार्य, नौकरी आदि लेकिन कई बार इन सब के बावाजूद भी वह योग्य परिणाम प्राप्त नहीं होता है जो की परिश्रम के अनुपात में होना चाहिए था. और जब इस प्रकार कई बार होने लगता है जब भाग्य साथ नहीं देता या फिर जब कार्य करने पर भी योग्य परिणाम की प्राप्ति नहीं होती है जिसके द्वारा सुख भोग या समृद्धि को प्राप्त किया जा सके तब मनुष्य हताश हो जाता है, निराशा उसके जीवन में गर्त होने लगती है तथा वह हिनभावना का शिकार होने लगता है, इन सब कारणों के तहत मनुष्य का स्वास्थ्य भी बिगड सकता है तथा विविध प्रकार के शारीरिक मानसिक रोग से ग्रस्त वह व्यक्ति का जीवन और भी अधिक समस्याओ से ग्रस्त हो जाता है. वस्तुतः किसी भी रूप से यह योग्य परिस्थिति नहीं कही जा सकती है, इस प्रकार का जीवन एक बोजिल जीवन बन जाता है जहां पे सुख समृद्धि के अभाव में और भी समस्याओ का सामना मनुष्य करता ही रहता है. ऐसे समय पर मनुष्य विविध समाधान को प्राप्त करने के लिए अग्रसर भी होता है मगर कोई समाधान द्रष्टिगोचर नहीं होता है, या फिर जो समाधान नजरो के सामने आते भी है वह अवास्तविक प्रतीत होते है. लेकिन अगर हम तंत्र क्षेत्र की तरफ द्रष्टि करें तो निश्चय ही हमें अपने जीवन की सभी समस्याओ का समाधान प्राप्त होता है, वस्तुतः हमारी अवलेहना तथा लापरवाही ने इस महान विद्या का ग्रास किया है लेकिन फिर भी कई महासिद्धो के कारण यह दुर्लभ ज्ञान सुरक्षित रह सका जिसमे एक तरफ भोग पक्ष या भौतिक जीवन से सबंधित सभी समस्याओ का समाधान है वहीँ दूसरी तरफ आध्यात्म उत्थान से सबंधित प्रयोग भी है. श्रीसदगुरुदेव ने अपने जीवन काल में समय समय पर कई विशेष प्रक्रियाओ को प्रदान किया था, जिसके माध्यम से साधक अपने जीवन में कई कई समस्याओ का समाधान कर सकता है. समृद्धि की वृद्धि तथा जीवन में सुख भोग प्राप्त करने के लिए उन्होंने कई विधानों को साधको के मध्य स्पष्ट किया था तथा प्रायोगिक रूप से संपन्न भी करवाया था. लेकिन धीरे धीरे ऐसे कई विधान लुप्त होने लगे. ऐसे कई दुर्लभ प्रयोग काल क्रम में जैसे अद्रश्य ही हो गए थे. ऐसा ही एक प्रयोग है भुवनेश्वरी प्रयोग जो की समृद्धि की प्राप्ति के लिए अद्वितीय प्रयोग है. इस प्रयोग को सम्प्पन करने के बाद साधक के जीवन में कई प्रकार से समृद्धि का विकास होता है, साधक का मान सन्मान बढ़ता है, समाज में व्यक्ति का स्थान और भी महत्ता लेने लगता है. साधक के जीवन में धन की समस्याओ का समाधान प्राप्त होता है, व्यापार कार्य क्षेत्र आदि में अगर साधक को योग्य पद नहीं मिलता है तो उसकी पदोन्नति होती है. इस प्रकार आज के युग में यह प्रयोग बहोत ही ज्यादा उपयोगी है, साथ ही साथ यह प्रयोग सहज भी है जिससे कोई भी साधक इसको सम्प्पन कर सकता है.
यह प्रयोग साधक किसी भी शुभ दिन से शुरू कर सकता है.
साधक को रात्री काल में स्नान करना चाहिए. स्नान करने के
बाद साधक लाल रंग के वस्त्र धारण करे तथा लाल रंग के आसन पर बैठ जाए. साधक का मुख
उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए.
साधक को सर्व प्रथम अपने सामने लाल रंग के वस्त्र पर देवी
भुवनेश्वरी का यंत्र या चित्र स्थापित करना चाहिए. साधक सर्व प्रथम गुरु पूजन
सम्प्पन करे. तथा इसके बाद देवी भुवनेश्वरी ये यंत्र चित्र का भी पूजन सम्प्पन
करे. पूजन में साधक लाल रंग के पुष्प समर्पित करे. साधक को यथा संभव गुरु मन्त्र
का जाप करना चाहिए. इसके बाद साधक मायाबीज से न्यास करे.
करन्यास
ह्रां अङ्गुष्ठाभ्यां नमः
ह्रीं तर्जनीभ्यां नमः
ह्रूं मध्यमाभ्यां नमः
ह्रैं अनामिकाभ्यां नमः
ह्रौं कनिष्टकाभ्यां नमः
ह्रः करतल करपृष्ठाभ्यां नमः
अङ्गन्यास
ह्रां हृदयाय नमः
ह्रीं शिरसे स्वाहा
ह्रूं शिखायै वषट्
ह्रैं कवचाय हूम
ह्रौं नेत्रत्रयाय वौषट्
ह्रः अस्त्राय फट्
इसके बाद साधक देवी का ध्यान करे.
उद्यदिनद्युतिमिन्दुकिरीटां
तुगंकुचां नयनत्रय्युक्ताम् !
स्मरेमुखीं
वरदाङ्कुशपाशाभीतिकरां प्रभजे भुवनेशीम् ||
ध्यान के बाद साधक
को निम्न मन्त्र की ५१ माला मन्त्र जाप करना चाहिए.
ॐ श्रीं ह्रीं ह्रूं सः (OM SHREENG HREENG HROOM SAH)
साधक यह जाप किसी भी शक्ति माला, मूंगा माला से कर सकता है.
मन्त्र जाप पूर्ण होने पर साधक को शहद के द्वारा इसी मन्त्र के माध्यम से १०१
आहुति अग्नि में समर्पित करनी चाहिए.
साधक को यह क्रम ३ दिनों तक करना चाहिए. उसके बाद चित्र
यंत्र को साधक अपने पूजा स्थान में स्थापित कर दें. माला का विसर्जन साधक को नहीं
करना है, भुवनेश्वरी सबंधित प्रयोग में इस माला का उपयोग किया जा सकता है.
****NPRU****
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