Tuesday, May 21, 2013

RATN AUR TANTRA 1 - HAKEEK PATTHAR




हिमालयोऽपि                     नतमस्तकोऽस्ति
संदर्शन         भवति         ह्रदयं          प्रसन्नं 
 गंगावगाहनं     सुखं     लभते           चित्तं
 सौभाग्यदं      सदगुरुं   प्रणतोऽस्मी    नित्यं ||
                 जिनकी साधना कि उच्चता को देखकर हिमालय में नतमस्तक है . जिनके दर्शन से ही मन प्रफ्फुलित होकर ह्रदय गंगा मे अवगाहन करने लगता है . उन सौभाग्य दायक गुरुदेव श्री पूज्य श्री निख्लेश्वरानन्द स्वामीजी महाराज के श्री चरणों मे मैं अत्यंत उदात्त भावों से नम करती हूं...
                   जय सदगुरुदेव ,
            भाइयों बहनों, मानव जीवन बड़ा जटिल है , इसको समझना और फिर इसे अपने अनुसार जीना बड़ा ही कठिन है.
      क्योंकि अनेक रहस्य छुपे हैं जीवन और इस प्रकृति के मध्य .और उन रहस्यों को समझना ही बड़ी टेढ़ी खीर है . किन्तु यदि आप उनको समझना चाहे तो कठिन भी नहीं . भाइयो बहनों सिर्फ जरा सा प्रयास हमें उन रहस्यों की परतें खोलने में अति सरल हों जाता है .
         आदि काल से ही समस्त संसार के क्रिया कलापों के संचालन हेतु अनेक विधाओं का जन्म स्वतः ही आवश्यकतानुसार होता चला गया .... और वह ज्ञान विज्ञान के रूप प्रचलित होता चला गया ....
             भाइयों बहनों ज्योतिष विज्ञान के द्वारा और उसकी अन्य विधाओं के माध्यम से हम जीवन की जटिलताओं को समझ कर व उनके समाधान हेतु न केवल प्रयास कर सकते हैं अपितु समाधान भी कर सकते हैं .
        एक व्यक्ति की स्वस्थ्यता ही उसके सम्पूर्ण जीवन का आधार मात्र होती है क्योंकि यदि शरीर निरोग है तो वह हर तरह से सक्षम है, किन्तु व्याधि के साथ जीवन जीना अत्यंत कठिन है ....
            सदगुरुदेव ने चिकित्सा की अनेक विधियाँ बताई हैं ...
  जैसे ग्रहों को अनुकूल करना, रत्न चिकित्सा , आयुर्वेद चिकित्सा , मन्त्र चिकित्सा , तंत्र चिकित्सा .... जो कि हमारी npru teem के माध्यम से आप तक अनेकों प्रयोग पहुँच ही रहे हैं
                    अब मै आपको कुछ रत्नों के बारे में क्रमशः बताना चाहती हूं जिससे कि हम बड़ी सरलता से कई रोगों से छुटकारा पा सकते हैं, जैसे आज हम हकीक पत्थर कि ही बात करें तो भले ही हकीक पत्थर सामान्यतः प्राप्त होने वाला पत्थर है,किन्तु प्रकृति ने इसमें विविध गुणों का संयोजन किया हुआ है. यदि स्मरण शक्ति कमजोर हों या मष्तिष्क सम्बन्धी कोई रोग हों तो आवश्यकता है इस पर ध्यान देने की, यदि कोई भी सामान्य सा हकीक पत्थर लेकर उस पर एक विशिष्ठ मंत्र का संयोजन कर लिया जाए तो ना सिर्फ ये स्मरण शक्ति को कमजोर होने से बचाकर शनैः शनैः प्रखर कर्ता है अपितु आत्मविश्वास जो कहीं दब गया है,उसे भी उभार कर लाता है,जिससे आपके बहुत से कार्य सरल हों जाते हैं.
इस हेतु रविवार को प्रातः स्नान कर सफ़ेद वस्त्र धारण कर सफ़ेद आसन पर बैठ कर पूर्व दिशा कि ओर मुख करके बैठ जाएँ, गुरु पूजन, गणपति पूजन संपन्न कर सामने एक हकीक पत्थर, सफ़ेद तिल कि ढेरी पर स्थापित कर लें और घी का दीपक प्रज्वलित कर सुगन्धित धूप जला लें अब उस हकीक पर ध्यान एकाग्र करते हुए आधे घंटे तक निम्न मंत्र का उच्चारण करें.
मंत्र –

  ऐं ऐं  ऐं ऐं ह्रीं  ऐं ऐं  ऐं ऐं

AING AING AING AING HREEM AING AING AING AING

  जप समाप्ति के बाद जप समर्पण कर दें, और उस हकीक पत्थर को पूर्ण प्रणम्य भाव से पीले वस्त्रा मे बाँध कर स्वयं के पास जेब मे रख लें. निश्चय ही आपको इस लघु मगर प्रभावकारी प्रयोग का लाभ मिलेगा ही.
  निकट भविष्य मे मैं अन्य रत्नों के प्रयोग भी आपके समक्ष रखने का प्रयास करुँगी.
“निखिल प्रणाम”
****RAJNI  NIKHIL****

****NPRU****

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