Tuesday, May 24, 2011

DURLABH SHRIYANTRA SADHNAA AND ABHISHEK VIDHAAN RAHASYA



‘श्री’ जिनके बगैर सूना सूना लगता है  जीवन चाहे फिर वो मनुष्यों का हो या फिर अन्य उच्चस्थ योनियों का . और निश्चय ही जिस यन्त्र में उन श्री का वास है उस श्रीयंत्र से भला कौन अभागा अपरिचित होगा. उस अद्भुत यन्त्र की महत्ता का बखान तो सदियों से विभिन्न ग्रन्थ और वेद करते आये हैं ,पर बहुत से ऐसे भी रहस्य हैं जिन्हें की अत्यधिक गुप्त रखा गया है . साधक का शिष्याभिषेक संपन्न करने के बाद ही गुरु इन रहस्यों को इनको प्रयोग करने का विधान शिष्य के सामने प्रकट करते हैं. यहाँ एक विशेष बात में बताना चाहूँगा की अति उच्च स्तरीय परम सिद्ध योगी ही ऐसी दीक्षा दे सकते हैं.

             सदगुरुदेव ने एक बार इस रहस्य को समझाते  हुए बताया की  श्री यन्त्र अपने आपमें सम्पूर्ण  ब्रह्माण्ड का ज्यामितीय रूप है. समग्र लोकों की शक्तियों का वास इस दिव्य यंत्र में  है  शाक्त मार्ग की अत्यधिक विशेष साधनाएं मात्र इस यंत्र के द्वारा ही संपन्न हो जाती है. मात्र एक ही मंत्र एक ही यन्त्र परन्तु , स्थान , तिथि व सामग्री बदलने से यन्त्र से प्राप्त होने वाली शक्ति भिन्न भिन्न होती है. मंत्र व पूर्ण चैतन्य यन्त्र तो आप गुरुदेव से प्राप्त कर सकते हैं क्यूंकि १६ नित्याओं, तीन दिव्योघ,३ सिद्धौघ और तीन मान्वौघ का स्थापन साथ में समस्त सहचर शक्तियों का आवाहन और स्थापन  इतना दुष्कर है जो की वर्णनातीत है ,  यन्त्र को मत्स्य पृष्ठीय रखना है या कूर्म पृष्ठीय , सुमेरु रूपी बनाना है या धारा पृष्ठीय, यन्त्र का निर्माण शिष्य के लिए लय क्रम से करना है या सृष्टि क्रम से, इन सभी बातों का निर्धारण तो गुरु ही कर सकते हैं. मैं यहाँ मात्र उन गुप्त तथ्यों को आपके सामने रख रहा हूँ जिनका प्रयोग कर हम उन शक्तियों की प्राप्ति इस यंत्र  के द्वारा कर सकते हैं .   
   श्री यन्त्र अर्चन के पूर्व  गुरुपूजन और गुरु को संतुष्ट करना अनिवार्य कर्म है इसके बाद ही  यन्त्र का अर्चन करना चाहिए.  श्वेत चन्दन, रक्त चन्दन , कपूर और आम इन चारो से काम रूप पीठ में यन्त्र का अर्चन करने से सिद्धि प्राप्ति का मार्ग सुगम होता है.
रविवार-लाल कमल-खीर , सोमवार –कुमुद-गाय का दूध,मंगलवार-लाल कमल-केला,बुधवार –तगर-माखन,गुरुवार-कल्हार-मिश्री,शुक्रवार-श्वेत कमल-घी,शनिवार-नील कमल-गुड़.

गंध,ऊपर वर्णित दिवस अनुसार पुष्प एवं नैवेद्य , धूप-दीप अर्पित कर जो साधक अर्चन करता है उसकी गृह पीड़ा शांत होती है.
किसी सिद्ध पर्वत के ऊपर चन्दन,गोरोचन,हल्दी रुपी सिद्ध द्रव्यों के साथ बेला या कदम्ब के पुष्पों से गुरू प्रदत्त मन्त्र  से अर्चन करने पर ३६ यक्षिणी सिद्ध होकर मनोकामना पूर्ण करती है.
समुद्र तट पर यन्त्र का अर्चन केवड़े के फूलों से करने पर चेटक सिद्धि की प्राप्ति होती है जिनके द्वारा, वस्त्र,, माला,आभूषण  प्राप्त होते हैं.
रुद्राक्ष की लकड़ी द्वारा निर्मित चौकी पर श्री यन्त्र का स्थापन कर १ महीने तक सेमल पुष्प,चन्दन,गोरोचन,हल्दी के साथ यदि किया जाये तो पिशाचिनियों की सिद्धि प्राप्त होती है.
सुनसान वन में रात्रिकाल में सिद्ध द्रव्य और मालती, चमेली,पुन्नाग और केतकी पुष्प से क्रमानुसार महीने भर पूर्ण सपर्या  अर्चन करने से  बेताल की सिद्धि होती है.क्रमानुसार मतलब पहले दिन मालती, दूसरे दिन चमेली फिर तीसरे दिन पुन्नाग और चौथे दिन केतकी इसी क्रम से इन चारो पुष्पों को क्रम से अर्पित करना है .बेताल की शक्ति से भला कौन परिचित नहीं होगा.
लाल आभूषण,लाल वस्त्र,रक्त चन्दन और लाल माला के द्वारा निर्जन वाटिका में श्री चक्र में देवी का आवाहन कर सिद्ध द्रव्यों के लेप से लिप्त कल्हार,चंपा,अशोक पत्र ,गुलाब एवं गेंदा के फूल से एक माह तक श्री चक्र पूजन करने से माया सिद्ध होती है.
६ दलो वाला कमल बनाकर उसमे श्रीयंत्र की स्थापना कर देवी का आवाहन कर कपूर,चन्दन कस्तूरी द्वारा देवी का आयुधों सहित ध्यान कर अर्चन करने से इस ध्यान और अर्चन के प्रभाव से त्रिकाल दर्शन की सिद्धि प्राप्त होती है.
अंजुली भर जल लेकर और श्रीचक्र युक्त देवी का ध्यान कर मातृका से सम्पुटित श्री विद्या मन्त्र का ३ बार उच्चारण कर उस जल को जीभ में सरस्वती नाड़ी  का दीपक जल रहा है ऐसा ध्यान कर यदि पी लिया जाये तो पूर्ण पांडित्य की प्राप्ति होती है.
शतपत्री द्वारा श्रीयंत्र का पूजन करने से युद्ध, मुक़दमे में विजय सुनिश्चित होती है , केवड़े से पूजन करने पर वाहन की प्राप्ति होती है , अनार से गुप्त धन,मौलसिर से स्त्री, कल्हार से पुत्र की प्राप्ति होती है , सर्प बांबी के मुह पर इस यंत्र को सिंगरफ के द्वारा लिख और १४४० शक्तियों से घिरी हुयी देवी का ध्यान कर सिद्ध द्रव्य,इत्र,शाक,पुष्प से अर्चन करने से नाग-कन्या, गन्धर्व व विद्याधर कन्या भी साधक के वशीभूत होती है. पिशाच तथा किन्नर, सर्प आदि भी उसके दास बन जाते हैं. ये पूजन १ माह तक होना चाहिए . यदि एक मास में सिद्धि न मिले तो ३ मास तक अनिवार्य रूप से इस अर्चन को करना चाहिए.
   और जो साधक इस प्रकार अर्चन नहीं कर सकते क्या उनके लिए कोई और पद्दति नहीं सफलता पाने के लिए – मैंने उनसे निवेदन किया.
है क्यूँ नहीं.....
  यदि दक्षिणावर्ती शंख के द्वारा मात्र श्रीसूक्त का उच्चारण करते हुए इस परम दुर्लभ यन्त्र का अभिषेक किया जाये तो भी बहुत सी मनोकामनाये पूर्ण होती ही हैं.
जैसे की यदि अकाल मृत्यु का भय हो और साधक अपनी पूर्णायु चाहता हो तो उसे  गाय के घी से अभिषेक करना चाहिए , सौभाग्य की प्राप्ति के लिए शहद से,आरोग्य प्राप्ति के लिए दूध से, ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए घी-शहद-और दूध से, पूर्ण गृहस्थ और पारिवारिक सुख के लिए नारियल पानी से , और चुनाव में विजय प्राप्ति के लिए बारिश के ओलों या हिमालय की बर्फ के जल से अभिषेक करना चाहिए.
श्रीविद्या के १०८ नमो का उच्चारण करते हुए १०८ सुगन्धित पुष्प जो श्री यन्त्र पर १ मास तक अर्पित करता है उसके पुर्व्जन्म्गत पापों का नाश हो जाता है. तथा इसके साथ यदि अष्ट गंद का चूर्ण भी अर्पित किया जाये तो कृत्या बाधा समाप्त हो जाती है.
एक महत्वपूर्ण तथ्य ये भी ध्यान में साधक को रखना चाहिए की जब तक दरिद्रता का नाश नहीं होगा तब तक लक्ष्मी आपके जीवन में प्रवेश कर ही नहीं सकती और न ही उसका स्थाइत्व हो सकता है साधक के घर में , परन्तु श्री सूक्त में तीन ऐसे पद हैं,जिनमे से किसी एक की भी साधना यदि कर ली जाये तो दरिद्रता और दुर्भाग्य का नाश होता ही है और इसके बाद साधक जब भी श्री या लक्ष्मी से सम्बंधित साधना कैट है तो उसे अनुकूलता और सफलता मिलती ही है.
  उन्होंने मुझे तीनो पदों के बारे में समझाया था मैं उसमे से एक पद की विधि आप सभी के समक्ष रख रहा हूँ.
   यन्त्र को सामने रख कर दैनिक साधना विधि   के अनुसार सदगुरुदेव  और यन्त्र का पूजन करें, फिर हाथ जोड़कर निम्न  ध्यान मंत्र का ११ बार उच्चारण करे .
     अज्ञान पातक तमस् तति तीव्र रश्मिं , दौर्भाग्य भूधर विदारण वज्र मीडे.
    रोगार्ति घोर फणि मर्दन पक्षिराजं,लक्ष्मी पदद्वयमनथं हरं सुखार्थी.
     खड्गं स-वात-चक्रं च कमलं वरमेव च,करैश्चतुर्भिर्विभ्राणाम् ध्याये चंद्राननाम् श्रियम .
फिर तीन हजार मंत्र प्रतिदिन के हिसाब से नियम पूर्वक ३२,००० जप रुद्राक्ष माला से करे. जप रात्रि में वीरासन में होना चाहिए ,जप संख्या पूर्ण होने के बाद तिल,गुड़ और घी से दशांश हवं कर दे और किसी ब्राहमण और कन्या को भोजन करवा कर दक्षिणा आदि से संतुष्ट कर दें. परिणाम आपके समक्ष होगा .
मंत्र:- क्षुत-पिपासामलाम्  ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाश्याम्यहम् ,
        अभूतिम्समृद्धिम् च सर्वान् निर्णुद मे गृहात.

     इनके अतिरिक्त भी बहुत सी गोपनीय विधियाँ है जिन्हें गुरू स्वयं ही साधक को प्रदान करता है , पर एक बात अवश्य ही ध्यान रखने योग्य है की इन प्रक्रियाओं और सामान्य पूजन के द्वारा जीवन में उन्नति तभी प्राप्त होगी जब श्रीयंत्र पूर्ण रूपेण प्राण प्रतिष्ठित, दीप्त और चैतन्य होगा. अन्यथा वो यन्त्र मात्र धातु या भोजपत्र का टुकड़ा मात्र होगा.
    ये मेरा सौभाग्य है की मुझे सदगुरुदेव ने ये ज्ञान प्रदान किया , आप भी बढिए और गुरुदेव से इन गोपनीय सूत्रों को प्राप्त कर अपने दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदल दीजिए.
 “SHRI” without it life remains incomplete. There is no normal or spiritual life without it. And surely everyone knows about the YANTRA in which” SHRI” remains. From a long time different Granths and Vedas explain the importance of this wonderful YANTRA but there are many things which keep secret. After completing SHISHYABHISHEK of SADHAK his GURU tells him the secrets and PRAYOG VIDHAAN of this YANTRA. One important thing is that only ATI UCCH STARIYA PARAM SIDDH YOGI can give this type of DEEKSHA.
SADGURUDEV once told this secret and said SHRI YANTRA is a living kind of complete universe. Whole powers of every world (SMAGRA LOK) remain in this HOLY YANTRA. Many special sadhnaas of SHAATRK MARG fulfills through this yantra. JUST ONE MANTRA AND ONE YANTRA but changes in STHAAN (PLACE), TITHI (DATE) and SAAMGRI changes the powers which saadhak can get from it. You can get MANTRA and CHAITANYAA YANTRA from GURUDEV because only GURU knows how to STHAAPIT and make AAWAAHN OF 16 NITYAAON, 3 DIVYOGH, 3 SIDDHOUGH and 3 MAANVOUGH. Again only GURU can decide that YANTRA should place as MATSYA-PRUSHTHIYE or KOORM-PRUSHTHIYE. He knows that YANTRA should make as SUMERU ROOPI or DHAARA PRUSHTHIYE GURU can decide which KRAM is good for his SHISHYA- LAYA-KRAM or SRISHTI-KRAM. Here I am telling that secret PRAYOGS by which we can get that POWERS by the help of YANTRA.
Before the ARCHAN of SHRI YANTRA it is must to do GURU-POOJAN. Saadhak should make his GURU SANTUSHT and after that start YANTRA ARCHAN. By using SHWET SANDAL, RAKT SANDAL, kamphor and mango in KAAM ROOP PEETH and start YANTRA ARCHAN helps SAADHK to get SIDdHI.
Sunday-Red lotus-KHEER,Monday-KUMUD-Cow milk, Tuesday-red lotus-banana,wednesday-TAGAR-Butter,Thursday-KLHAAR-MISHRI, Friday-white lotus- GHEE, Saturday-blue lotus-GUD.
 SAADHAK who uses above given GANDH, Flowers, Food and DHOOP-lamp on decided days get his GREH-PEEDA SHAANT.
  At some SIDDH PARVAT with the help of SANDAL, GOROCHAN, turmaric etc SIDDH DRAVYA, flowers of BELA or KDAMB  if a saadhak do GURU ARCHAN with GURU PRADATT MANTRA then 36 YAKSHINI get SIDDH and fulfill his wishesh.
At SAMUNDRA(sea Corner ) if someone do YANTRA ARCHAN by flowers of KEEWDE get CHETAK SIDDHI SIDdH by which he gets Devine clothes, rosary and jwellary.
By making CHOWKI of RUDRAAKSH KI LAKDI and get SHRI YANTRA STHAAPIT on it for ONE MONTH then do ARCHANAA which enables saadhak to SIDDH PISHAACHINI SIDDHI.
In SUNSAAN Jangle  During night time for ONE MONTH by using of SIDDH DRAVYA and MAALTI, CHAMELI, PUNNAAG and KETKI PUSHP kram-anusaar  BETAAL can SIDDH.  By meaning of krm-anusaar SAADHK should ARPIT MAALTI PUSHP FIRST DAY, CHAMELI SECOND DAY, PUNNAAG THIRD DAY and KETKI FORTH DAY. Who is unaware about the POWERS OF BETAAL AND HIS SIDDHI?
MAYA can SIDDH if a person uses Red Jwellery, Red Cloth,Red  SANDAL and Red Rosary at NIRJNN VAATIKA in SHRI CHAKRAA making and doing Devi avahan  with the help of coverd KLHAAR with siddh dravya, CHAMPAA, ASHOK PATRA, and rose for ONE MONTH.
One can get TRIKAAL DARSHAN SIDDHI by drawing 6 dal kamal(lotus) and then get SHRI YANTRA in it to do DEVI-AAWAAHAN. With things as KAPOOR, SANDAL, KASTOORI saadhak should do Ayudhon yukt Devi dhyan to get this SIDDHI.
Take water in Anjuli and in think about SHRI CHAKRAA YUKT DEVI and for THREE TIMES SPEAKING OF MAATRIKAA yukt SAMPUTIT SHRI VIDYAA MANTRA and drinking that water by imagine SARASWATI NAADI is lighting on your toung can get Poorn viddwata for you.
By doing SHRI YANTRA POOJAN with SHATPATRI victory is decided in war and Court case, by doing this pooja with KEEWDA brings Whicles in life. Just like with the help of ANAAR- Hidden treasure, MOULSIR-Wife and KALHAAR-children and son is possible. By writing this YANTRA on the edge of  Snake bambi with Cinnebar at that think about Devi with 1440 Shakti doing ARCHAN with SIDDH DRVYA, ITRA, SHAAK, PUSHP can get NAAG-KANYA, GNDHRV AND VIDYADHAR under SAADAHK’S control. He can also have PISHAACH or KINNER SARP as his DAAS but he should do this POOJAN for ONE MONTH but if not get success then do same pooja archanaa 3 MONTHS again.
I asked him if a SAADHAK do not do archan like this then is there other way for him!
Yes... he said,
If with DAKSHINAVRTI SHANK this YANTRA will get ABHISHEK then many wishes can fulfill. But remember at time of ABHISHEK with SHRI SOOKT.
If a saadhak is under tension about his AKAAL MRITYU then he should make ABHISHEK with ghee. To have SOUBHAGYA make this ABHISHEK with HONEY, to have AROGYA PRAPTI do this with MILK, for AISHWARYA PRAPTI with GHEE-HONEY and MILK, for POORNA GRAHSATH and PARIVAARIK SUKH with coconut waterand to win elections do this ABHISHEK with HAIL STORMS( BAARISH KE OLE) or with the ice bring from HIMAALYA.
A person who offers 108 beautiful flowers on SHRI YANTRAA while speaking its 108 get end his POORVJANAMGATT PAAP and if with this ASHT GANDH CHOORN will ARPIT then KRITYAA BAADHAA will get end.
One thing saadhak always remember that till Daridarta will stay in his house LAKSHMI cannot enter there but in SHRI SOOKT there are THREE PAAD out of which is saadhak do SADHNA of any one then Daridarta and Durbhaagyaa will get end. After that whenever saadhak will do SHRI OR LAKSHMI SADHNA surely he will become successful.
He gives me the knowledge of THREE PAAD and out of them ONE’S VIDHI is here-
By putting YANTRA before you do archanaa of YANTRA AND SADGURUDEV as your DAINIK SADHNA VIDHI. Then with fold hands speak out this given Dhyan Mantra 11 times.
AGYAAN PAATAK TAMAS TATI TEEVRA RASHMI, DOURBHAAGYA BHOODHAR VIDAARAN VAJRA MEEDE,                                                                                           
ROGAARTI GHOR PHANI MARDAN PAKSHIRAAJAM, LAKSHMI PADDVAYAMANTHAM HARAM SUKHAARTHI.                                                                                                    
KHADAGAM SA-VAAT-CHAKRAM CH KAMALAM VERMAIV CH,KARAISHVATURBHIRVIBHRAANAAM DHYAAYE CHANDRANNAAM SHRIYAM.

              Then everyday as per 3000 times DAILY do this JAP with RUDRAAKSH MALA 32000 TIMES. JAP should do at NIGHT ON VEERAASAN and after completing JAP SANKHYAA with TIL, GUD AND GHEE do DASHAANSH HAWAN and make a BRAAHMIN & KANYA to have Food AND DAKSHINAA. Result will be in front of you.
MANTRA- Kshutpipasaamlaam jyeshthaalakshmim nashyaamyaham,
      Abhutimsamriddhim ch sarvaannirnud me grahaat.
Beside this there are many GOPNIYA VIDHIYA which GURU himself give to saadhak but always remember this will help you only when SHRI YANTRA get POORNA ROOPEN PRAAN PRATISHTHIT and will Deept and CHAITANYA. Otherwise it will nothing but A PIECE OF METAL OR BHOOJ PATRA.
IT is my good will that SADGURUDEV gave me this knowledge so you too come and get this GOPNIYE SOOTRAA and feel blessed. 
****NPRU****

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