Monday, May 23, 2011

Two most effective sadhana-that should never miss on the time of eclipse .


एक प्रश्न हमेशा से  पूंछा  जाता हैं की क्यों किसी भी साधना को एक विशेष महूर्त  में  ही  किया जाना चाहिए .एक सुयोग्य साधक हमेशा  से एक ऐसा  समय चुनता हैं जब की  की सारा विश्व  उसे सहयोग देता हुआ प्रतीत  होता हैं, जब सब हमारे अनुकूल हो तब सफलता मात्र   आसानी से प्राप्त हो जाती हैं .इसी तरह का एक समय अब आने वाला ही हैं .और  इस समय को हाँथ से नहीं जाने देना चाहिए.  
  यह कोई ऐसा बात नहीं हैं की हर महीने बार बार आता हो ,और अगर ऐसी बात हैं तो इसका फायदा उठाना चाहिए और  इस महूर्त का लाभ लेना ही चाहिए.
अब यह प्रश्न  यह हैं की आखिर ये ग्रहण इतना महत्त्व पूर्ण  क्यों हैं , वह इसलिए की एक माला मंत्रजाप जो किया जाता हैं इस काल के दौरान वह अपने आप में किसी अन्य समय की अपेक्षा    हज़ार माला का परिणाम   देने में समर्थ होता हैं ध्यान रखे की इसका यह मतलब कदापि नहीं हैं की जो साधना १०० माला जप करने  के विधान से युक्त हो उसे आप एक माला में ही पूर्ण मान लेंगें ऐसा नहीं हैं, आपको तो साधना  के अनुसार ही जप करना चाहिए , हाँ जब हर माला का जप का परिणाम हज़ार गुना मिल रहा हो तो आप ही  सोचे की सफलता कितनी दूर खड़ी होगी

यहाँ पर सम्पूर्ण ता से  तात्पर्य यह हैं की  बहुमुखी लाभ हो ओर बहुमुखी से मतलब जीवन के  हर पक्ष  , हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त हो ही. चाहे वह धन आगमन का क्षेत्र  हो या अन्य किसी बात से युक्त हो .

 आने वाले तीन ग्रहण काल इस तरह से हैं 
सूर्य ग्रहण -  1 जून 2011, 1 जुलाई २०11
चन्द्र  ग्रहण -15 जून 2011


आपको इन ग्रहण काल के  समय के बारेमें अपने क्षेत्र के  लोकल पंचांग  से अधिक  जानकारी मिल जाएगी , आपके लिए में  यहाँ  बता देना चाहता हूँ की यह सही हैं की ग्रहण काल  तो कुछ मिनिट से कुछ घंटे तक जा सकता  हैं पर की  आप जानते हैं की प्रकृति में लगभग १२ घंटे पहले से हलचल  प्रारंभ   जो होतीहैं वह  अगले १२ घंटे तक चलती हैं यहाँ मेरा तात्पर्य  सूक्ष्म  जगत  से हैं ओर जिसका साधना  से कहीं ज्यादा  लेना देना हैं मतलब तो यह हुआ की हम इन २४ घंटे का उपयोग  कर सकते हैं , क्यों नहीं कर सकते , हम करेगे ही  . इन देव दुर्लभ साधनाओ  को में यहाँ पुनः देते  समय  बहुत आशान्वित हूँ की  यह मेरे द्वारा लगभग 12 वर्ष पहले एक पत्रिका में प्रकाशित करायी गयी थी,और बहु संख्यक    लोगों के इस साधनाओ को करके लाभ प्राप्त किया था , तो अब आप   भी इन साधनाओ का महत्त्व समझे ओर जीवन को उन्नति युक्त बनाये ही.
सूर्य ग्रहण ओर चन्द्र ग्रहण जो की  मात्र १५ , १५ दिन के अंतर पर आ रहे हैं  तो  यह तो  साधको   के लिए वरदान स्वरुप हैं  साधको को यह तो समझना ही चाहिए , लोग  भले ही ग्रहण को अशुभ  माने पर ग्रहण का तात्पर्य तो स्वाकार करना हैं   ओर इस प्रकृति की  अद्भुत उपहार को जो समझ करके चल सके वही तो साधक हैं. (इस वर्ष  कुल छह ग्रहण हैं जो की  साधको के लिए तो  शुभ  हैं , पर विश्व में कितनी  उथल पुथल मचा रहे हैं (यह तो आपको पता ही हैं )या मचाएंगे यह तो भाबिस्य  के गर्भ में हैं , अगर यह समय अपने आपको और अपने प्रिय जनो को सुरक्षित  करने का अवसर  हैं तो क्योंनाही इसका उपयोग हम  ओर आप करें.
यह तो बात सत्य हैंकि विश्व के लिए यह शुभ नहीं होते हैं पर  जो अशुभ मेंसे  भी अपने लिए शुभ निकाल  सके वही तो योग्य साधक का लक्षण हैं .  
  
  साधना  की प्रारंभिक तैयारी :
 ग्रहण के पहले आप स्नान कर  सफ़ेद  या पीली रंग की धौति  धारण  करें .सदगुरुदे का पूजन कर  ११ माला  गुरु मन्त्र का  जप करें . 

 ॐ परम तत्वयाय  नारायणाय  गुरुभ्यो नमः |
इसके बाद पूरे ग्रहण काल में निम्नलिखित  मन्त्र का जप  करते जाये और  बिल्व पत्र या अक्षत  को सदगुरुदेव जी के चित्र पर चढाते  जाये,
सर्व  रक्षा  कवचम  
विनियोग
  अस्य   प्रसाद मंत्र   कवचस्य  वामदेव  ऋषिः  ,पंक्तिश्छान्दाम , सदाशिवो  देवता  , साधकाभीष्टसिद्धये  विनियोगः  
मूल  मंत्र
शिरो  में सर्वदा  पातु  प्रसदाख्य :  सदाशिवः |
षडाक्षर  स्वरूपों  में  वदनं    महेश्वरः ||
पंचाक्षरात्मा   भगवान्  भुजौ  में  परिरक्षतु   |
मृत्युंजय  स्त्रिबीजात्मा  आयु  रक्षतु  में  सदा  || 
वट मूल समासीनो  दक्षिणमुर्तिरव्ययः |
सदा  माँ सर्वतः  पातु  षट  त्रिंश द्वार्ण रूप धृक||
द्वाविनशारणत्मको     रुद्रः  कुक्षो में परि रक्षतु |
         त्रि वर्णा त्मनील  कंठः  कंठं रक्षतु  में  गुह्यम सर्व संपत प्रदायाकः  ||
एकाक्षर स्वरूपात्मा  कूट रूपी  महेश्वरः  |
मार्तंड र्भ  रवो  नित्यं  पादों   में  परिरक्ष्तु ||
ओमित्याख्यो  महाबीजस्वरुपस्त्रीपुरान्त्कः  |
सदा  मां रणभू मौ  तू  रक्षतु  त्रिदशाधिपः ||
उदुर्ध्मु  द्धनिमिशानो  मम  रक्षतु  सर्वदा  |

दक्षिणस्याम  तत्पुरुषों  अव्यान्मे गिरिनायकः |
अघोराख्यो  महादेव  पूर्वस्याम  परिरक्ष्तु  |
वामदेव  पशिचमस्याम  सदा  में  परिरक्ष्तु 
 उत्तरस्याम  सदा  पातु  सद्योजातः  स्वरुप धृक ||
फल  श्रुति
इस्थं  रक्षाकरम देवी  कवचम  देव दुर्लभं |
प्रातः काले  पठे ऋ  स्तू  सो  अभीष्ट  फल माँ प्रियात ||
पूजा काले  पठे ऋ  स्तू  साधको  दक्षिण  भुजे |
देवा  मनुष्या गन्धर्वा वस्यास्त्स्य    संशयः ||

कवचम  यस्तु  शिरसी  धारये ऋ दी  मानवः |
करास्था स्तस्य  देवेशी  अणिमाद्य अष्ट सिद्धियः ||
स्वर्ण  पत्रे तिवमाम  विद्याम  शुक्ल पटटटेन वेष्टिताम |
राजतोदर समविंषटाम    कृत्वा    धारये त्यसुधीः ||

सम्प्राप्य  मह्तोम  लक्ष्मीमंत्रम     शिवरूप धृक   यस्मै  कस्मै    दातव्यम    प्रका शयम कदाचन |
शिष्याय  भक्तियुक्तायाय  साधाकाय    प्रकाशयेत ||

अन्यथा  सिद्धि हानिः  स्यात सत्य मेतन्मनोरामे |
तव  स्नेहा न्महादेवी  कथितं  कवचम  शुभम ||
   देयं कस्य  चिभ्द्रद्रे  यदि च्छेदात्मानो  हितम |
यो आचार्य येद गंध पुश्पाद्येः   कवचम  मन मुखेदितम ||
तेना  चिंता  महादेवी  सारे  देवा    संशयः  |
इसके बाद सदगुरुदेव जी से प्रार्थना  करें की जो भी गलती त्रुटि साधना काल में हो गयी हो उसके लिए हमें क्षमा करे ओर आशीर्वाद प्रदान करे. एक ऐसा  प्रयोग  जो इस समय  संपन्न होगा आपके जीवन ओर परिवार को सुरक्षा दे  ता हैं इससे बड़ा सौभाग्य  क्या होगा .

            तीव्र  भद्रकाली  साधना :
आज के आधुनिक समय में  हर ओर शत्रुओ  की कमी नहीं हैं जो आपकी हर प्रगति चाहे वह साधना क्षत्र से सम्बंधित हो या व्यावसायिक से सम्बंधित हो जो आपकी प्रगति के लिए बाधा स्वरुप ही हैं , परन्तु यदि हम पुरुष हैं (यहाँ पर मेरा तात्पर्य स्त्री ओर पुरुष दोनों से हैं ) तो हम इन बाधा ओ का सामना करेंगे ओर विजयता भी  प्राप्त करेंगे , क्योंकि हमारे पास साधना का  बल तो हैं ही  साथ ही साथ सद्घुरुदेव का आशीर्वाद तो हैं ही .
यह अति  महत्पूर्ण तीव्र असरदायक  साधना  माँ  महाकाली के एक तीव्र  स्वरुप  से सम्बंधित हैं  जिसे भद्रकाली के नाम से संबोधित कहागया हैं.  क्या अभी भी कुछ कहाँ बाकि हैं इस स्वरुप के बारेमें , यदि किसी को अभी भय हैं या हम में से कितने हैं की जो अपने ह्रदय  पर हाथ रख कर सच  कह सके की  सच में पूरी तरह  भय रहित हैं .  अपने आपको पूर्ण तयः  भय मुक्त करने के लिए  तो यह साधना राम बाण  हैं वह भी  इस ग्रहण के अवसर पर  तो क्या कहने .
आसन  और  धौती   लाल रंग  की होनी चाहिए , सामने बाजोट पर  लाल रंग का कपडा बिछा रहना चाहिए ,इसके ऊपर लाल रंग से रंगे चावल रख दे तथा  इसके ऊपर एक सुपारी रख दे  जो की माँ महाकाली का प्रतीक हैं. फिर  इसका पंचोपचार  या षोडषोपचार पूजन करें , इसके बाद पांच  माला गुरु मन्त्र की करें जिससे  इसका आपको पूरा फल प्राप्त हो सके .  फिर पूरे ग्रहण काल में निम्नलिखित  मन्त्र का उच्चारण करते हुए  काली सरसों  इस विग्रह पर डालते रहे , और इस साधना  का परिणाम आपको  आपके सारे जीवन भर प्राप्त  होगा.   

 भद्र  काली  ध्यान  :

दश्वक्त्रा दशभुजा   दश्पादान्जन्प्रभा  |कोटि  सूर्  प्रभा   काली  मम  शत्रु  विनाशय |

नाश्यित्व  क्षणं   देवी  अन्यशत्रून  विनाशय  |

मंत्र :
क्रीं  क्रीं क्रीं  उग्र  प्रभे  विकट द्रंश्टे पर्पक्षम  मोहय मोहय पच  पच  मथ मथ  दह  दह  हन हन  मारय मारय  ये  मां हिन्सितु  मुद्यता  योगिनी  च्क्रस्तान  वारय वारय  छिन्धि  छिन्धि  भिन्धि  भिन्धि  करालिनी  गृहं  गृहं ॐ   क्रीं  क्रीं  क्रीं  क्रीं  स्फुर  स्फुर  पुर  पुर  पून  पून  चूल्व चूल्व  धक्  धक्  धम धम  मारय  मारय  सर्व  जग्द्वश  मानय   नमः  स्वाहा|
साधना  के उपरान्त  सारी काली सरसों  को  अग्नि  में फ़ेंक दे  और इस  मंत्र को भोज पत्र  में लिख कर अपने परिवार जनों को धारण करा दे , यह उनके बहुमुखी सफलता के लिए होगा. इसके बाद इस साधना  के काल में जो भी गलतिया ओर त्रुटी हुयी  हैं  उनके लिए सदगुरुदेव भगवान् से  क्षमा  प्रार्थना  करें और इस मन्त्रको सदगुरुदेव भगवानके दिव्य  चरणों में अर्पित करदे.

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 One commonalty asked question why  sadhana should be done on a particular  muhurt only  , actually a wise sadhak always select a time when whole universe is  his favors,  when every thing is favor to us , than success can only be achieved with an  minimum   effort. Such a time is a coming on. And one should not miss this great opportunity. since  this is not the phenomena repeated every  month, and if not that why should not use this great muhurt for your well being.
 Than why grahan is having so much value , Is because any single round rosary produces thousand  times effect  compare to any normal time. But be careful that does not means that any sadhana if mentioned with 100 round of rosary , that you can do here just one round and your sadhana  is completed. No such a things, what the total mala or round of rosary  mentioned  with any sadhana  that you have to do that  there is  no discount but if that  time  you do that  than each mala brings you 1000 times effect  that surely means  you will have success.
And wellbeing means  complete protection for all round  and all round means every aspect of life whether  that is related to finance or   personal things, who do not want to go for this prayog  , and that which can be only completely on such a time.
Coming eclipses are like this..
Solar- 1 st june  2011 , 1 july 2011
Lunar -15 th june 2011
You will get  more details from your local news paper , here I would like to inform you that its true that  the total period  of theses eclipses may vary from some minute to hours,  but do you knew that the effect of these eclipses start from 12 hour before to 12 hours after theses eclipse that means total you will get 24 hours , here I am indicating the astral world effect that will be much more valuable. for the sadhana point of view. so still you try  your best to use theses period . no  no. you must use that  since this is the boon o from the mother nature  to the sadhak. nearly 12 years back I published theses sadhana in magazines and at that time many people get benefitted by theses sadhana. So you also understand the value of theses period. And make your life flourish in all respect.
Here solar and lunar eclipses are coming  from 15,15 days  difference,  this is not a simple phenomena .may be people consider the eclipses are bad ,  eclipses(graham) means to  accept.( in this years total six eclipses are coming that will be great from sadhak /sadhana point of view  but not so good from world point of view , you are watching what trouble some condition  the world facing today and what will be hidden  only future know , so use this period to  protect your family and  your self and proceed on the path of success. Than why not we should use this.
One who take best out of worse is a sadhak.

Basic preparation for any sadhana:
Have a bath before the eclipse start wear white colored  or yellow colored  cloths(dhoti) and start  complete sadguru poojan and after that  recite 11 round of guru mantra
 Om param tattavay  naranayay guribhyo namah 
after that during the whole period of eclipse recite the mantra  written below and  offer bilva patra or Akshat on Sadgurudev photo.
Sarva raksha kavacham : complete all round protecting armour
Viniyog
Om asya prasadmantra kavachsy vamdev rishiah ,panktishchhandaam, sadashivo devta , sadhakabhisht sidhye viniyogah
 Mool mantra
Shiro main sarvda paatu prasadakhyah sadashivah|
Shadakharswarupo me vadanam ch maheshwarah||
Panchakshratma Bhagvaan bhujao me parirakshtu |
Mrityunjay stribeejatma aayu rakshtu me sada ||
Vatmoolsamasino dakshinamurtirvyayah|
Sada maan sarvatah paatu shattrinshdyarnrupdhrak||
Dwavinsharnatmako rudrah kukshoo main pari rakshtu|
Trivarnatmaneel kanthah kanthamrakshtu me guhayam sarsamptpradayakah||
Ekaksharswarupatma kutrupi maheshwarah |
Martandrabh rvo nityam paudo me parirakshtu ||
Omityakhyo mahabeejswarupstripurantakah|
Sada maam ranbhumou tu rakshtu tridashadhipah||
Udurdhmu dhdnimishano mam rakshtu sarvda |
Dakshinsyam tatpurushon avyanme girinayakah|
Aghorakhyo mahadev purvsyam parirakshtu |
Vamdev pashichmsyam sad me parirakshtu uttarsyam sada paatu sadyojaatah swarupdhrak||
Phal shruti
Istham rakshakaram devi kavacham devdurlabham|
Pratahkaale patherisstu sooabhisthphalmanpriyuat||
Poojakaale pathedyastusadhako Dakshin bhuje|
Deva manusya gandharva vasyastsy na sanshyaah||
Kavacham yastu shirsi dharyerirdi manavah|
Karasthstsy deveshi animadyashtsiddhyah||
Swarn patretivmaam vidyam shuklpattten veshtitaam|
Rajtodarsamvishtam kritva ch dharyettysudhiah||
Samprapy mahtom laksmimantram ch shivrupdrrak yasmai kasmai na datavayam na prashyam kadachan|
Shishyay bhaktiyuktayay sadhakay prakashyet||
Anyatha siddhihaaniah syat satymetnnmanorame|
Tav snehanmahadevi kathitam kavacham shubham||
 Na deyam kasy chibhdradre yadichchhedatmano hitam|
Yoacharyyedgandhpushpadyeah kavacham manmukheditam||
Tena chinta mahadevi sare deva na shashyah|
After that just pray to Sadgurudev for any mistake occurred in sadhana, and you will find the all round protection to your life  this is such a effective prayog that  you will enjoy the effect. And if this prayog happened on the eclipse time than can you imagine  its result . thousand fold. This is never miss opportunity.

                Teevra bhadrakali shatrunashak sadhana
 In this modern life there are many enemy ,some are  open and many are hidden all are obstruction to our progress  either on spiritual side or material  field. But if we are purush (here this means  man or woman  both) than problem comes to our way and we are equipped with   sadhana bal, and blessing of Sadgurudev than what is  the obstruction for ys. Victory  will be already  written on our forehead,.
 This is the most effective sadhana and is related to mother Mahakali  most effective form  i.e. bhadrakali, so still anything is left to describe its effect. Anyone who has fear  in his life and who among us can truly place his hand on his heart and said that in true sense he is fear less, so for  to over come  his fear  this is the great boon and this sadhana can be happened on  such a eclipse time.
asan and dhoti should of red colored, and red colored cloth should be placed on the  pooja table (samller one) and on that place some red colored  rice(unbroken)and place a supari(betalnut) on that treat that asa sign of mother Mahakali. Do poojan either as panchopchar or shodshopchar after that do chant five rosary of guru mantra so that full effect of the sadhana can be gained. And while chanting the below mantra place black sarson on that  vigrah to the whole graham kaal (eclipse), the result of that you will feel through out  of the life.
Dhyan :das vaktra dash bhuja dashpadanjjyanprabha |
Koti sourprabha kali mam shatru vinashy naashyitva kshanam devi anyashrun vinashy |
Having ten faces, having the 10 feet, having 10 arms, having completely black colored. Having radiance like millions of sun, such a divine mother will destroy all mine enemy related to  mine past present and future.
Mantra :
kreem kreem kreem ugraprabhe vikatdranshte parpksham mohaymohay pach pach math math dah dah han han maray maray ye maam hinstumudyata yoginichakrastan varay varay chhindi chhindi bhindhi bhindhi karalini graham graham om kreem kreem kreem kreem  sphur sphur pur pur pun pun pun punchulav chulav dhak dhak dham dham maray maray sarvjagdwashamanay om namah swaha|
after mantra jap through all the sarson(mustard)) in the fire  and write down this mantra to a bhoj patra and ask to your family member to wear this, this will induce them to all round success. Than do the kahsma prarathana, for all the mistake if happened during the sadhana, and offer this mantra to Sadgurudev divine lotus feet.
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