यंत्रो की सामान्य प्राण प्रतिष्ठा विधि तो हमने तन्त्र कौमुदी के विगत के अंक में दे हो चुके ही हैं , पर आपके सन्दर्भ में अनेको पत्र और इ मेल हमें मिले जिसमे हमसे पूछ गया था की क्या सामान्य से सामान्य से प्रयोग में संस्कारित माला की जरुरत होती हैं ??तो उत्तर यह हैं की हाँ बिना संस्कार की माला का प्रयोग करने से सम्बंधित देवता क्रुद्ध हो जाते हैं तो हर प्रयोग के लिए यह माला कहां से लाये तो आप सभी के लाभार्थ यह माला को संस्कारित करने की विधिया इस लेख में आप सभी के लिए
आप जानते हैं की विभिन्न प्रयोग के लिए विभिन्न मनको की माला का उपयोग होता हैं , कभी 51 तो कभी 31 पर अधिकांश प्रयोग और साधना में 108मनको से युक्त माला का प्रयोग होता हैं.
पर १०८ ही क्यों यूं तो सभी का एक विशेष अर्थ हैं हैं पर सदगुरुदेव भगवान् ने कहा हैं की मानव शरीर में 7चक्र नहीं बल्कि 108 चक्र होते हैं , और उन्होंने इस संदर्भ में विभिन्न उदाहरण भी दिए हैं साथ ही साथ इस हेतु एक बार एक विशिष्ठ दीक्षा १०८ चक्र जागरण दीक्षा भी उन्होंने प्रदान की थी, तो जब भी हम 108 मनको की माला से मंत्र जप करते हैं तब हर मनके के माध्यम से एक विशेष चक्र पर स्पंदन होता ही हैं फिर उसे हम महसूस चाहे या न चाहे करे .यही एक गोपनीय तथ्य हैं इन मनको का 108 होने का तभी तो 108 मनको वाली माला सर्वार्थ सिद्धि प्रदायक कही जाती हैं
और यह माला ही तो इस साधना की एक विशेष उपकरण हैं , सदगुरुदेव भगवान् कहते हैं की की क्यों एक छोटी छोटी से बात पर अपने सदगुरुदेव पर भी निर्भर रहना , उन्होंने ही तो अनेक बार माला और यंत्रो को प्राण प्रतिष्ठित करने की विधिया बताई , उ ससमय के अनेक साधक इस बात के प्रमाण हैं ,
और जब हम आगे बढ़ कर सिद्धाश्रम तक जाने की बात करते हैं और हम खुद एक सामान्य सी माला प्राण प्रतिष्ठित न कर पाए तो आप ही सोच सकते हैं हम हैं कहाँ , अतः इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए इस प्रक्रिया को आपके सामने रहा जा रहा हैं .
यह लेख आरिफ खान जी के द्वारा अनेको वर्ष पहले भी एक पत्रिका में प्रकाशित हो चूका हैं उसी का संक्षिप्त रूप आपके सामने हैं .
ध्यान रहे यहाँ हम माला निर्माण की प्रक्रिया नहीं बता रहे हैं वह एक और ही अलग विषय हैं .
प्रथम तरीका :सर्वाधिक सरल तरीका तो यह हैं की आप किसी भी माला /मालाओं को किसी भी ज्योतिर्लिंग या शक्ति पीठ में मुख्य विग्रह से स्पर्श करा ले, उनकी प्राण उर्जा से माला स्वतः हो प्राण प्रतिष्ठित हो जाती हैं .
द्वितीय तरीका : यह हैं की यदि आप से रुद्राभिषेक करते बनता हैं या आप के घर में किसी से या कोई पंडित द्वारा आपके घर में रुद्राभिषेक किया जा रहा हो उस समय काल में किसी भी पात्र में यह माला जिसे प्राण प्रतिष्ठित किया जाना हैं उसे रख दे , यह स्वत ही परं प्रतिष्ठित हो जाती हैं , रुद्राभिषेक की विधि आप गीता प्रेस की किताबों मेंपा सकते हैं .
तृतीय तरीका :आप के जो भी गुरु हो उनके हाथो के स्पर्श मात्र से भी यह प्रक्रिया सुगमता पूर्वक संपन्न हो जाती हैं .
चतुर्थ तरीका :माला को गंगा जल से स्नान कराये और निम्न मन्त्र उसी माला से १०८ बार जप कर ले , यह भी एक सुगम तरीका हैं .
माले माले महामाले सर्व तत्त्व स्वरूपिणी |
चतुर्वर्गस्त्वयि न्यस्त स्तस्मंमे सिद्धिदा भव ||
पंचम तरीका : शास्त्रीय प्रक्रिया :
पीपल के नौ पत्ते को इस तरह से रखे की एक पत्ता बीच में और और अन्य पत्ते उसे केंद्र मानते हुए इस प्रकार रखे मानो एक अष्ट दल कमल सा बन जाये , बीच के पत्ते पर आप अपनी माला रख दे और हिंदी वर्ण माला से वर्ण ॐ अं से लेकर क्षं तक सभी का उच्चारण करते हुए उस माला को पंचगव्य से स्नान कराये. फिर सद्योजात मंत्र का उच्चारण करते हुए
ॐ सद्योजातं प्रपद्यामि सद्योजाताय वै नमो नमः |
भवे भवे नाति भवे भवस्य माँ भवो द्वावाय नमः ||
निम्न वामदेव मन्त्र से चन्दन माला पर लगा यें
बलाय नमो बल प्रमथ नाय नमः सर्व भूतदहनाय नमो मनो न्मथाय नमः ||
धुप बत्ती अघोरमंत्र से दिखाए
ॐ अघोरेभ्योSथ घोरेभ्यो घोर घोर तरेभ्य: सर्वेभ्य : सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररूपेभ्य :
फिर तत्पुरुष मंत्र से लेपन करे
ॐ तत्पुरुषाय विद्म्ह्ये महादेवी धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात |
फिर इसके एक एक दाने पर एक बार या सौ सौ बार इशान मंत्र का जप करे
ॐ ईशान: सर्व विद्यानामिश्वर : सर्व भूतानां ब्रह्मा धिपति र ब्रह्मणो s धिपतिर्ब्रह्मा शिवो में अस्तु सदाशिवो s म |
अब बात आती हैं कि कैसे देवता की स्थापना की जाए तो यदि आप इस माला को शक्ति कार्यों में उपयोग करना चाहते हैं तो "ह्रीं " इस मंत्र के पहले लगा कर और लाल रंग के पुष्पों से इसका पूजन करें.
और वैष्णवों को निम्न मन्त्र का उपयोग करें
ॐ ऐं श्रीं अक्षमाला यै नमः ||
फिर हर वर्ण मतलब अं से लेकर क्षं तक लेकर इनसे संपुटित करके १०८ /१०८ बार अपने इष्ट मन्त्र का उच्चारण करे .
फिर यह प्रार्थना करे
ॐ त्वं माले सर्वदेवानां सर्व सिद्धिप्र्दा मता |
तें सत्येन में सिद्धिं देहि मातर्नामो s स्तू ते ||
अब इस माला को हर के सामने दिखाए नहीं , आपको जो भी विधि उचित लगे उसका उपयोग करके एक प्राण प्रतिष्ठित माला का निर्माण आप कर सकते हैं उसे साधना में प्रयोग करसकते हैं .
पर यह तो प्रकिया मणि माला को संस्कारित करने की हैं पर विशेष शक्ति युक्त तांत्रिक माला का निर्माण कैसे किया जाए , यह विधान पहली बार ही सामने आ रहा हैं , तो इसमें आपको
ॐ सर्व माला मणि माला सिद्धि प्रदात्रयि शक्ति रुपिंयै नमः
ॐ sarv mala mani mala siddhi pradatrayi shakti rupinyai namah
१०८ बार उच्चारण करना हैं इस दौरान माला हाथ में घुमती यां उसे घुमाते रहे गी /रहे
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We have already given the process how to make praan pratisthha of yantra can be done , but we have been continuous getting e mails regarding the one question is there any necessity of using sanskarit mala in any and every sadhana,?? Than answer is yes ,, if one is using the mala without having Sanskar than the related deity of that sadhana often get angry but where and how you can purchase separate mala for each and every prayog .
so for the benefit of you all here is the process by which you can also praan pratisthhit the mala or sanskarit mala.
As you are already aware that that there are many type of mala used in sadhana prayog some has 31 beeds some 51 and some 108 beeds , why it is so . but in majority of the cases beeds quantity of 108 haapens why??.
as each mala has his own value and these beeds quantity has a purpose , as Sadgurudev Bhagvaan has many times says that there are not 7 chakra but 108 chakra lies in human body and for that 108 chakra energization he gave a special Diksha names “108 chkra jagran Diksha” . so when we do jap with mala with 108 beeds than through each beeds than chakra related to that beeds get energize . this is one of the reason behind using 108 beeds mala and this mala has been called sarvarth siddhi pradayak means all siddhi provider .
And this mala is a special instrument in any sadhana, Sadgurudev Bhagvaan used to say that why you have to depends each times even for small problem to your Sadgurudev., he has given many times the process for how to energize the yantra and rosary process. many of the sadhak of that era clearly knew this and a self evidence of that.
When we are talking about going to siddhashram and not able to do/know how to energize a simple rosary than think about it where we are standing., taking care theses fact here are the process in front of you .
This articles is based on the arif ji, already written articles that has been appeared many years before in a magazine.
Please keep it in mind here we are not discussing the process how to make mala that is a different subject.
First way :one of the most easiest process is that have a opportunity to visit any shiv jyotirling or shakti peeth hand touch your rosary / rosaries to the main vigrah , automatically that mala/rosary has been sanskarit.
Second way: if you how to do rudrabhishek or any person of your home knew about that or through any pandit this rudrabhishek is going on than during that period place the required mala/rosary in any pot in front of that , so that mala automatically get sanskarit.
You can get the complete rudrabhishek process through gita prèss Gorakhpur books.
Third way: who so ever is your guru , and you have a faith in him than as the rosary get touch of his body or hand that automatically Sanskrit.
Fourth ways:wash rosary with ganga jal and during that period chant this mantra for 108 times this is also a easy process,
Maale maale mahamaale sarvtatvswrupini |
Chturvargstvyi nyast stsmanme siddihida bhav ||
Fifthways: shashtriy ways:
Place nine leaves of pipal tree in this way that place one leave in middle and remaining eight place in circular of that, so a asht dal lotus type fig formed. And place the rosary in middle
leave and wash that rosary with panchgavy and chant the complete varn mala like am, aam, to ksham , than chant
sandyojaat mantra:
Om sandyojaat prpadyaami sadyojaataay vai namo namah |
Bhave bhave naati bhave bhavsy maan bhavo dwavaay namh||
Then apply chandan to rosary and chant
vaamdev mantra:
Blaay namo bal pramthnaay namh sarv bhutdahnaay namo manomnmathaay namah|
Offer dhoop stick with this
aghor mantra:
Om aghorebhyoath ghorebhyo ghor ghor tarebhyah sarvebhyah sarv sarvebhyo namste astu rudrarupebhy
And againwith
tatpurusha mantra :
Om tatpurushay vidmahye mahadevi dhimahi tanno rudrah prachodyat |
Than chant ishan mantra either one times or100 times on each beeds of rosary .
Om ishanah sarv vidyaanamishwarah sarv bhutanaam bramha dhipatir brmhnoo dhipatir bramha shivo me astu sadhashivoaham||
Now the question rises how to make this mala energize of any deity, if you are using this mala for shakti sadhana, than add “HREEM” before this mantra a and offer red color flower to it.
Maale maale mahamaale sarvtatvswrupini |
Chturvargstvyi nyast stsmanme siddihida bhav ||
And vaishnav can use this mantra
Om ayem shreem akshmala yai namah||
Than use every varn means am to ksham means add thses varn to your isht mantra and chant108 /108 times, than do this prayer.
Om tvam maale sarvdevaanam sarv siddhipradamata |
Ten satyen men siddhim dehi maatarnaamostu te ||
Than not toshow this mala toevery one, than follow any one mothod whichever one you like most, and after that mala you can use in your sadhana.
Butthis sis the simplest process but how we canmake special shakti tantrak mala so for that just 108 times this mantra, while chantingthe mantra the rosary should be moving in your hand
Mantra :
ॐ sarv mala mani mala siddhi pradatrayi shakti rupinyai namah
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