महाविद्या साधना तो हर उस साधक के लिए स्वप्न हैं जो इस दिव्य पथ पर चलने को अग्रसर होता हैं . हज़ारों साधकों मै से कोई एक ही सौभाग्शाली होता हैं जो महाविद्या साधना का दीक्षा मंत्र प्राप्त कर पाता हैं , ओर ऐसे हजारों सौभाग्यशालियों मैं से कोई एक माँ के साक्षात् दर्शन या साधना पूर्ण कर पाता हैं. किसी भी एक महाविद्या मैं सफलता , तो एक ऐसी उपलब्धि हैं जिसके सामने सम्पूर्ण विश्व नत मस्तक होता ही हैं. आप महाकाली साधना सिद्ध श्री राम कृष्ण परम हंस ओर माँ तारा साधना सिद्ध वामा क्षेपा , माँ तारा सिद्ध परम हंस स्वामी निगमानंद जी , बगलामुखी साधना सिद्ध स्वामी जी महाराज दतिया के ज्वलंत उदाहरण हैं .
महाविद्यायें वास्तव में माँ पार्वती का ही तो रूप हैं सभी रूप अपने आप में दिव्यतम हैं . इनमें से कुछ तामसिक वर्ग की , कुछ महाविद्या राजसिक वर्ग की कुछ सात्विक वर्ग की हैं . कुछ सौम्य वर्ग की तो कुछ उग्र वर्ग से सम्बंधित हैं , तो इस तरह से भी कह सकते हैं की कुछ काली कुल की तो कुछ श्री कुल की हैं , पर चाहे जो भी वर्ग हो पर इतना तो साधक निश्चित हैं की दिव्य माँ अपने बच्चो को अ त्याधिक स्नेह करती ही हैं .
क्या दिव्य माँ के किसी रूप से भय करने की आवश्यकता हैं नहीं नहीं , ये सारे रूप तो हमारे रक्षा के लिए ही हैं
क्या हैं सही नाम बल्गामुखी या बगलामुखी ? अब तो दोनों ही नाम सही हैं , पहले बल्गामुखी ही था . माँ का यह स्वरुप सात्विक वर्ग से संबंधित हैं , कारण यह हैं की वह भगवान नारायण की शक्ति हैं इस कारण इनका एक नाम पीताम्बरा (पीत या पीले वस्त्र धारण करने वाली ) भी हैं
जो भी इस साधना को करने का मन बन रहे हो या बना लिया हो वे सभी इस बात को मन में अच्छी तरह से जमा ले की अत्यधिक अनुशासन ओर मन इन्द्रिय पर नियंत्रण करना पड़ता हैं. जिन्होंने अनुष्ठान करने का मन बना लिया हो ( १,२५००० मंत्र जप इन १३ दिन में ) वे तो हर हाल में ब्रह्मचर्य पालन करे ओर अन्य नियम का भी अन्यथा विपरीत सहन को तैयार रहे .
माँ बगलामुखी जी के स्वरूप तो अत्यंत मनोहारी हैं , कहीं वह द्वि भुजा स्वरुप में हैं कहीं चतुर्भुजा स्वरुप में. माँ को अर्पित सारे पदार्थ पीले रंग के होने चाहिए या फिर पीले रंग से रंगे होना चाहिए , यह तो आवश्यक ही हैं
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इस विद्या का नाम ब्रम्हास्त्र विद्या भी हैं , अवस्थामा , गुरु द्रोणाचार्य , परुष राम आदि अनेको महारथी योद्धा इस विद्या के उपासक रहे हैं .
आधुनिक युग में , शिवाजी महाराज, औरंगजेब और यहाँ तक की हैदराबाद निजाम के यहाँ भी इनकी पूजन होता रहा हैं .
आज का जीवन जो चारो ओर से संकटों से घिरा हुआ हैं फिर चाहे वह आर्थिक समस्या भय हो या शारीरिक सुरक्षा का भय , या अपने किसी प्रिय की सुरक्षा का भय हो , इन समय पर कोई भी इस महाविद्या साधना की उपयोगिता से अंकार नहीकर सकता हैं .
यदि आप किसी भी असुरक्षित अवस्था में हैं , बस आप इनका मंत्र उच्चारण करे , आपको भय से मुक्ति मिलती ही हैं .
एक विशेष तथ्य यह हैं की यदि साधक की इच्छा भोग प्राप्त करने की होती हैं तो वह इच्छा पूरी होती ही हैं , अनेकों उदहारण सामने आते रहते हैं , जहाँ साधक की इस विषय की इच्छा पूरी हुयी हैं .
बगलामुखी महाविद्या भगवान् विष्णु के तेज ओर श्री विद्या का योग का परिणाम हैं ., जिस दिन का इनका अविर्भाव हुआ था उसे वीर रात्रि कहते हैं , वीर रात्रि उसे कहते हैं जब चतुर्दशी , कुल नक्षत्र के साथ मंगल वार को पड़ रही हो .
यूउन तो दिव्य माँ के हर रूप महाविद्या में एक ही हैं पर हर रूप किसी न किसी विशेताओ को लिए हुए रहता हैं . माँ बगलामुखी स्तम्भन विद्या( षट क्रम में से एक विद्या , जिसके माध्यम हर गति शील/ स्थिर वस्तु की गति को रोका जा सकता हैं )
पर इस विद्या का कहाँ उपयोग हो..
अनेको स्थान पर जैसे , आपके दुर्भाग्य को रोकना हो, तो आप सौभाग्य ही प्राप्त करेंगे, अपनी अकाल मृत्यु को रोका जा सकता हैं , अपने शत्रुओं की गति को स्तंभित किया जा सकता हैं , किसी चुनाव के समय अपनी जीत सुनिश्चित की जा सकती हैं . ठीक इसी तरह व्यक्ति अपनी भोग प्रवत्ति को साधन काल में रोक सकता हैं . यहाँ तक की पारद विद्या में केबल इस विद्या के माध्यम से व्यक्ति पारद को ठोस रूप दे सकता हैं . यदि किसी विशेष जमीं का आप सौदा करना चाहते हैं ओर चाहते हैं वह जमीं आपको ही प्राप्त हो तो उसे भी आप स्तभित कर सकते हैं ... क्रमशः आज के लिए बस इतना ही
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Mahavidya sadhana is a dream for any one who proceed on this path divine, and one in million get succeed to have Diksha mantra for that and even one in such a thousand will get success in that sadhana, siddhita in one mahavidya sadhana provide you such a height that whole world bow down in front of you . think about sri Ram Krishna Paramhansa of ma Mahakali , same with wamakshepa with ma tara, paramhans swami nigmanand ji from ma tara ,and swami ji maharaj of datiya with ma baglamukhi sadhana.
So if one get Diksha of mahavidya this is a boon, Sadgurudev used to say that if any one get siddhita in allthe 10 mahavidya sadhana completely than he do not need to go for other sadhana.
Mother parvatis divine form appear as a mahavidya , each one form is different with other. some forma of mother divine belongs to tamsik varg some rajas , and some belogs to saatvik varg. Some belogs to soumya and some related to ugra varg. Some belongs to shree kul and some belongs to kali kul. But even divine mother changes so many form but the basic nature of mother is same that she loves her child more than ever .
Is there any need to fear of mother form , no no divine mother takes all the form to protection of us.
Balgamukhi or baglamukhi refers the same , actually in the beginning it was Balgamukhi later it changes to baglamukhi. Ma Balgamukhi belongs to saatvik shakti group. That is because she is the power of Bhagvaan narayan , that’s why she also known as pitabaradevi ( devi who wear yellow clothes)
One who is interested to this sadhana always be care ful that a very high degree of self discipline is required for this sadhana, and if one goes for anusthan (means completing the1,25000 mantra jap in 13 days , he must follow the rules related to this sadhana other wise he has to pay great price, complete celibacy means complete, no choice for any deviation).
That’s why Sadgurudev ji opens door s for ma baglamukhi Diksha and instructed all of us to take diskha of this than move on the path.
Ma baglamukhi form is very very beautiful and all the yellow colour related any fruits or clothe or other things offered to her.
Bhraamhastra vidya is also other name of this sadhana. Aswasthama, guru dronacharya , parush ram , like so many worrier of Mahabharata era are devotee of this sadhana,
In modern times shivaji maharaja, even auranjeb and even the hayderbad nizams palace ma pitarbara poojan still happened.
Even in ramayan kaal indrajeet had used shakti on lakshman through this vidya .
When our life is very much become trouble some either from financial insecurity, or physical insecurity, or worried about our near and dear one safety than no one can usefulness great effectiveness o f this mahavidya .
If you are insecure fearing some kind of trouble just staring chanting the mantra of mother balgamukhi ,instant relief you wil get.
One very peculiarity of this sadhana is this mother provide bhog to his devotee.(if one has desire of that) so many intense o f that , it seems not true but who are doing this sadhana and having desire has known himself.
Bagla mahavidya is the out come shri vidya and bagvaan Vishnu tej, and she appeared on the day known as veer ratri . veeer ratri known as the day chturdashai day with kul nakshtra and day should be Tuesday .
Though mother’s all the ten divine are one , but each form has some special meaning. Here mother bagla reprents or having the authority over sttambhan vidya,( by which any movable thing can make stationery) one of the shatkaram .)
But where Is this stabhann used .
Many places like your misfortune can be stammbhit, so you will enjoy your fortune only, one can stambhit his untimely death , one can stambhit his enemys work which create obstruction for him. In time of election this stabhann can be used for success in that, same thing one can stambhit his sex desire in time of sadhana, and also his anger, even in parad tantra if one who has the siddhita ofthis vidya just by thought can make mercury solid.if one want to buy a particular land that land purchse is stambhit. Like so many things…..
Ths enough for today ………………………………… in continuous…
****NPRU****
1 comment:
thank you very much ,eagerly waiting for next part
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