Tuesday, January 10, 2012

TANTRA KOUMUDI-RAHASYA KHAND (AS SOON AS IN YOUR HAND)


“सर्व:अर्था एन तन्यते त्रायन्ते च भयाज्ज्नान् |
  इति तन्त्रस्य तन्त्रत्वं तंत्रज्ञा परिचक्षते ||”
अर्थात सभी अर्थों में जो सभी प्रकार के भयों से रक्षा करने के विचार ज्ञात होते हैं, निश्चित आधार पद्धति को अपनाकर अपनी इच्छाओं को पूर्ण करने की क्रिया ही तंत्र कहलाती है |
तंत्र का क्षेत्र व्यापक्ताओं और रहस्यों से परिपूर्ण है, इस गहन गह्वर में प्रवेश कर विजय प्राप्ति तभी संभव है जब निश्चित पद्धति का ज्ञान हो और ज्ञान हो कालानुसार क्रिया विशेष का,जिसे अपनाकर आप सफलता का वरण कर सके. मिथ्या भाषण,कपोल कल्पना और भ्रांतियों के आधार पर तंत्र को नहीं समझा जा सकता है. अपितु प्रामाणिक ज्ञान,अनुभव,सदगुरुदेव प्रदत्त क्रियाओं के अभ्यास और सदगुरुदेव द्वारा उद्घाटित सूक्ष्म रहस्यों को जानने के बाद ही ये अनबुझा शास्त्र साधक के अभीष्ट को पूर्ण कर सकता है ,तंत्र कपोल कल्पना नहीं है अपितु एक निश्चित प्रक्रिया है जिसे उसी क्रम में अपनाकर समझा जा सकता है.प्रत्येक क्रिया कई सूक्ष्मताओं से युक्त होती हैं. अनगिनत प्रकाशित और अप्रकाशित  तंत्र शास्त्र प्रमाण है इस बात का हाँ,ये अलग बात है की उनके मूल श्लोकों का अनुवाद कितना विश्वसनीय है ,सभी ग्रन्थ तीन ही शैली में लिखे होते हैं जिन्हें क्रियात्मक अभ्यासी और विषय मर्मज्ञ ही समझ सकता है –
अभिधा
लक्षणा
व्यंजना
 शैली में रचित ये ग्रन्थ आज भी विषय की विश्वसनीयता को प्रस्तुत करते हैं बस आवशयकता है उस शैली को पहचान कर उसका भावार्थ निकालने की.गुह्याश्रमों की परंपरा से प्राप्त और सदगुरुदेव की असीम करुणा से जो भी प्राप्त हुआ है वो अपने सभी भाई बहनों और जिज्ञासुओं के लिए एकत्र कर हमने प्रस्तुत करने का प्रयास किया है.
   विविध सन्यासी गुरु भाई-बहनों और सिद्ध हस्त साधकों और ज्ञाताओं से प्राप्त तंत्र के रहस्यों को ही उद्घाटित करने का मात्र प्रयास है “तंत्र कौमुदी”का प्रकाशन,अभी तक ८ अंकों का ई-फार्मेट में प्रकाशन निशुल्क किया गया है और सभी अंकों को सराहा गया है ,९ वा और १० वा अंक भी प्रकाशन के अंतिम रूप में हैं जो की १५-२० दिनों के अंतराल में लगातार इंटरनेट पर आयेंगे. इन अंकों के लिए सामग्री की व्यवस्था इतनी सहज नहीं थी.क्यूंकि NPRU का सदैव ही प्रयास है की वो प्रामाणिक और सरल सामग्री ही अपने भाई-बहनों के मध्य प्रेषित करे.
उसी श्रृंखला में रस शाला का निर्माण भी हो रहा है जिसमे शीघ्र अतिशीघ्र विविध विषयों की कार्यशालाओं का आयोजन भी निशुल्क होगा .जिसके लिए एक गोष्ठी का आयोजन हम सभी ३ नवम्बर को जबलपुर में कर ही चुके हैं. “तंत्र कौमुदी” के अंतर्गत तंत्र के उच्च स्तरीय ज्ञान के विविध पक्षों का प्रकाशन प्रिंट फार्मेट में किया जायेगा ,उसका पहला खंड जो की ४२८ पृष्ठों का है ,छपने के लिए प्रेस में चला गया है और अतिशीघ्र हम सभी के समक्ष आ जायेगा. ये “तंत्र कौमुदी-रहस्य खंड” होगा,इस प्रकार के २१ खंड प्रकाशित होने हैं और हर खंड २१-२१ अध्यायों में होगा.
पहले खंड की विषय रूप रेखा इस प्रकार है –
१. सदगुरुदेव निखिलेश्वरानंद जी-जीवन और साधना रहस्य
२. तंत्र –गोपनीय रहस्यों के अनावृत पृष्ठ
३. डामर तंत्र- अचूक विधानों के सरल रहस्य
४. साबर विधान-कैसे पाया जा सकता है इन साधनाओं में निश्चित सफलता
५. नक्षत्र तंत्र-मनोरथ सिद्धि का गुप्त तंत्र
६. यन्त्र निर्माण रहस्य- क्या रहस्य है प्रामाणिक यंत्रों के अंकन का
७. प्राण प्रतिष्ठा तंत्र - क्या इतना सहज है किसी भी यन्त्र,साधना सामग्री या विग्रहों में तांत्रिक   विधान के द्वारा प्राण प्रतिष्ठा करना
८. सूर्य चक्र भेदन –सहज हो जाता है प्राणों के विस्तार का रहस्य समझ कर सूर्य विज्ञानं को आत्मसात करना
९. सौंदर्य कुंड रहस्य – जहाँ सहज हो जाती है अप्सरा,यक्षिणी और गन्धर्व साधना तथा सौंदर्य साधनाओं में सफलता
१०. हमजाद साधना –प्रामाणिक और सहज सिद्ध होने वाले ११ विधान ,जों असंभव को भी संभव कर देते हैं.
११. सूक्ष्म शरीर रहस्य- प्रकाश युक्त छाया विहीन देह निर्माण का गूढ़ रहस्य जिसके द्वारा गुप्ताश्रमों में जाया जा सकता है.
१२ .सोम तत्व रहस्य- देह को कैसे निर्जरा बनाकर मनोनुकूल सौंदर्य दिया जा सकता है,रहस्य विवेचन.
१३. पञ्च तत्व साधन – तत्वों पर नियंत्रण का अद्भुत विधान ,आसान स्थिरीकरण और आरोग्य के लिए
१४. महाविद्या रहस्य –लोल जिव्हा साधना, चित्रा तारा साधना,कामेश्वरी त्रिपुर सुंदरी साधना रहस्य, ब्रह्माण्ड भुवनेश्वरी साधना,परावाक् भैरवी साधना,मुन्ड मालिनी साधना,ज्योतिर्मयी धूम्राक्षी देवी साधना,गुह्येश्वरी अथर्वासूत्र वल्गा साधना,नाद मातंगी साधना,साम्राज्य लक्ष्मी साधना रहस्य....ये सभी साधनाएं १० महाविद्याओं के उन रूपों से सम्बंधित है जिन्हें अभी तक गुप्त रखा गया या काल प्रवाह मे लुप्त कर दिया गया.
१५. कौलिनी साधना – कुण्डलिनी भेदन का अद्भुत क्रम
१६. वनदेवी साधना –वनस्पति ज्ञान की आधारभूत देवी
१७. अक्षोभ्य महा तंत्र –अघोर साधनाओं की आधारभूत साधना
१८. अक्ष माला साधना- पूर्ण मातृका सिद्धि हेतु,
१९. सिद्धात्मा आवाहन रहस्य –गोपनीय तांत्रिक क्रम
२०. रसेश्वर सिद्धि – धातु परिवर्तन के गुप्त रहस्य
२१. काल दृष्टि तथा ब्रह्माण्ड भेदन सिद्धि- त्रिकाल दर्शन और परकाया प्रवेश से सम्बंधित रहस्य
  ये सभी वो विषय हैं जिनपर आज के पहले कभी लिखा ही नहीं गया है और अन्य खण्डों में भी वही सामग्री दी जायेगी जों प्रकाशित नहीं हुयी है,मात्र गुरु परंपरा से ही प्राप्य है.  

****NPRU****

1 comment:

MUKESH SAXENA said...

bahut hi achchha prayaas hai,arif bhai raghunaath bhai,anurag gautam bhai aur un sabhi varishth aur sanyasi shishyon ko shat-shat naman,jo iss apoorv gyaan ko sanjo kar hum shishyon ke liye pesh karne ka prayaas kar rahe hain.iske saare 21 khand heerak khand honge,aisa hamara vishvaas hai.iski pehli prati hamaare liye book kar lijiyega.cost jo bhi aaye iss par,hum dene ke liye tayyar hain,kyonke gyan mahatvapoorna hai,aur vishisht gyan anmol hota hai.JAI SADGURUDEV.