Sunday, May 20, 2012

SWAPNESHWARI SADHNA


मनुष्य के शरीर की आतंरिक रचना बहोत ही पेचीदा है और आधुनिक विज्ञान भी इसे अभी तक पूर्ण रूप से समजने के लिए प्रयासरत है. वस्तुतः हमारे पुरातन महापुरुषों ने साधनाओ के माध्यम से ब्रम्हांड की इस जटिल संरचना को समजा था और इसके ऊपर शोधकार्य लगातार किया था जिससे की मानव जीवन पूर्ण सुखो की प्राप्ति कर सके. कालक्रम में उनकी शोध की अवलेहना कर हमने उनके निष्कर्षों को आत्मसार करने की वजाय उसे भुला दिया और इसे कई सूत्र लुप्त हो गए जो की सही अर्थो में मनुष्य जीवन की निधि कही जा सकती है. मनुष्य के अंदर का ऐसा ही एक भाग है मन. मन ऐसा भाग है जो मनुष्य को अपने आतंरिक और बाह्य ब्रम्हांड को जोड़ सकता है. क्यों की ब्रम्हांड और मन दोनों ही अनंत है. आतंरिक ब्रम्हांड की पृष्ठभूमि मन ही है क्यों की शरीर के अंदर ही सही लेकिन मन अनंत है. और आतंरिक ब्रम्हांड भी बाह्य ब्रम्हांड की तरह अनंत भूमि पर स्थित होना चाहिए इस लिए इसका पूर्ण आधार मन है. मन के भी कई प्रकार के भेद हमारे ऋषियोने कहे है उसमे से प्रमुख है, जागृत, अर्धजागृत और सुषुप्त मन. यहाँ पर एक तथ्य ध्यान देने योग्य है की आतंरिक और बाह्य ब्रम्हांड की गति समान और नितांत है. इस लिए जो भी घटना बाह्य ब्रम्हांड में होती है वही घटना आतंरिक ब्रम्हांड में भी होती है. साधको की कोशिश यही रहती है की वह किसी युक्ति से इन दोनों ब्रम्हांड को जोड़ दे तो वह प्रकृति पर अपना आधिपत्य स्थापित कर सकता है. वह ब्रम्हांड में घटित कोई भी घटना को देख सकता है तथा उसमे हस्तक्षेप भी कर सकता है. लेकिन यह सफर बहोत ही लंबा है और साधक में धैर्य अनिवार्य होना चाहिए. लेकिन इसके अलावा इन्ही क्रमो से सबंधित कई लघु प्रयोग भी तंत्र में निहित है. स्वप्न एक एसी ही क्रिया है जो मन के माध्यम से सम्प्पन होती है. निंद्रा समय में अर्धजागृत मन क्रियावान हो कर व्यक्ति को अपनी चेतना के माध्यम से जो द्रश्य दिखता तथा अनुभव करता है वही स्वप्न है. चेतना ही वो पूल है जो आतंरिक और बाह्य ब्रम्हांड को जोडता है, मनुष्य की चेतना से सबंधित होने के कारण स्वप्न भी एक धागा है जो की इस कार्य में अपना योगदान करता है. यु इसी तथ्य को ध्यान में रख कर हमारे ऋषिमुनि तथा साधको ने इस दिशा में शोध कार्य कर ये निष्कर्ष निकला था की हर एक स्वप्न का अपना ही महत्त्व है तथा ये मात्र द्रश्य न हो कर मनुष्य के लिए संकेत होते है लेकिन इसका कई बार अर्थ स्पष्ट तो कई बार गुढ़ होता है. इसी के आधार पर स्वप्नविज्ञान, स्वप्न ज्योतिष, स्वप्न तंत्र आदि स्वतंत्र शाखाओ का निर्माण हुआ. स्वप्न तंत्र के अंतर्गत कई प्रकार की साधना है जिनमे स्वप्नों के माध्यम से कार्यसिद्ध किये जाते है. इस तंत्र में मुख्य देव स्वप्नेश्वर है तथा देवी स्वप्नेश्वरी. देवी स्वप्नेश्वरी से सबंधित कई इसे प्रयोग है जिससे व्यक्ति स्वप्न में अपने प्रश्नों का उत्तर प्राप्त कर सकता है. व्यक्ति के लिए यह एक नितांत आवश्यक प्रयोग है क्यों की जीवन में आने वाले कई प्रश्न ऐसे होते है जो की बहोत ही महत्वपूर्ण होते है लेकिन उसका जवाब नहीं मिलने पर जीवन कष्टमय हो जाता है. लेकिन तंत्र में ऐसे विधान है जिससे की स्वप्न के माध्यम से अपने किसी भी प्रकार के प्रश्नों का समाधान प्राप्त हो सकता है. ऐसा ही एक सरल और गोपनीय विधान है देवी स्वप्नेश्वरी के सबंध में. अन्य प्रयोगों की अपेक्षा यह प्रयोग सरल और तीव्र है.
इस साधना को साधक किसी भी सोमवार की रात्रिकाल में ११ बजे के बाद शुरू करे.
साधक के वस्त्र आसान वगेरा सफ़ेद रहे. दिशा उत्तर.
साधक को अपने सामने सफ़ेदवस्त्रों को धारण किये हुए देवी स्वप्नेश्वरी का चित्र या यन्त्र स्थापित करना चाहिए. अगर ये उपलब्ध ना हो तो सफ़ेद वस्त्र माला को धारण किये हुए अंत्यंत ही सुन्दर और प्रकाश तथा दिव्य आभा से युक्त चतुर्भुजा शक्ति का ध्यान कर के अपने प्रश्न का उतर देने के लिए प्रार्थना करनी चाहिए. उसके बाद साधक अपने प्रश्न को साफ़ साफ़ अपने मन ही मन ३ बार दोहराए. उसके बाद मंत्र जाप प्रारंभ करे. इस साधना में ११ दिन रोज ११ माला मंत्र जाप करना चाहिए. यह मंत्रजाप सफ़ेदहकीक, स्फटिक या रुद्राक्ष की माला से किया जाना चाहिए.
ॐ स्वप्नेश्वरी स्वप्ने सर्व सत्यं कथय कथय ह्रीं श्रीं ॐ नमः
मन्त्र जाप के बाद साधक फिर से प्रश्न का तिन बार मन ही मन उच्चारण कर जितना जल्द संभव हो सो जाए. निश्चित रूप से साधक को साधना के आखरी दिन या उससे पूर्व भी स्वप्न में अपना उत्तर मिल जाता है और समाधान प्राप्त होता है. जिस दिन उत्तर मिल जाए साधक चाहे तो साधना उसी दिन समाप्त कर सकता है. साधक को माला को सुरक्षित रख ले. भविष्य में इस प्रयोग को वापस करने के लिए इसी माला का प्रयोग किया जा सकता है.
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Internal design of the human is very complicated and modern science is also trying to understand it completely. In fact, our ancient sages had acquired knowledge in regards of this complicated creature of the universe with medium of sadhanas and made their research ahead in this field with which human can achieve happiness. While time passed, their research work was avoided and rather than establishing it under us, we forgot it and thus much such rare knowledge became extinct which could really be termed as wealth. Inside human being one of such part is Man (mind). Mind is the part which can connect inner universe to the outer universe because universe and mind both are infinite. Base of the inner universe is mind itself because inside our body though, mind is infinite. And thus internal universe too should be based on the infinite like outer universe and thus mind is base of the same. Several types of mind also been classified by our sages among which major are conscious, sub conscious and unconscious. Here, one thing needs to be kept in mind that the speed or movement of the inner and outer universe are same and absolute. Thus whatever happens in the outer universe does also happen in inner universe too. Sadhaka always remain in practice with any method to join these both universes and control the nature. Thus, any incident of the universe could be seen and can also be modulate. But this journey is long and sadhak should have patience. But apart from this, there are several small processes related in tantra relation with this order. Dream is one of such process which is done by mind. At the time of sleep, whatever scenes are seen or felt are dreams caused with activation of semi conscious mind with help of Chetana (consciousness / sentient). Consciousness is the bridge which provides connectivity of inner and outer universe, being relation with consciousness; dreams are also threads which contribute in this process. Thus, while keeping this point in mind our sages made their research in this regards and reached to the conclusion that every dreams have their own importance and by not being just another scene, those are indications for the individuals but many times it is clear and many times it is in code. With the base of same concepts many independent branches related to this came up like dream science, dream astrology, dream tantra. There are several sadhanas which comes under swapna tantra with which tasks are accomplished with medium of the dreams. In this tantra basic god is Swapneshwar and goddess is Swapneshwari. There are many rituals related to goddess Swapneshwari with which person can have answers of their questions in dream. For human being, this is very important process because there are several such questions arises which are important to be found the answer or else whole life becomes troubling. But in tantra there are such rituals with which this task could be accomplished. One of such and rare process belongs to the goddess Swapneshwari. In comparison to other process, this process is easy and acute.

This sadhana should be started after 11 in the night of any Monday.

Cloths and sitting mat should be white and colour and direction should be north.

Sadhak should establish picture or yantra of Swapneshwari wearing white cloths. If that is not available,  one should meditate goddess wearing white cloths and rosaries, beautiful and surrounded with light and divine aura having four hands. After meditation one should pray to answer the question. After that sadhak should repeat his or her question in the mind 3 times clearly. In this sadhaa 11 rounds of the rosary should be done daily for 11 days. This mantra chanting could be done with white Hakeek, Sfatik or Rudraksa rosary.

Om Swapneshwari Swapne Sarv Satyam Kathay Kathay Hreem Shreem Om Namah

After mantra chanting sadhak should repeat question again three times in mind and sleep as soon as possible. For sure, sadhak receives answer of the question and solution in the dream on last day or before that in the dream. If sadhaka wish, the day on which answer is gain sadhak can stop this sadhana on same day. Sadhak should keep the rosary. In future this rosary could be used for repetition of this process.

****NPRU****

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