Friday, November 2, 2012

SHARP MEMORY AND MEMORY POWER- MAHASARASWATI PRAYOG



Human being is one such creature which has been blessed with amazing abilities by god. Ability is present in each individual. However, due to various reasons, this ability is in dormant state. If person develops these abilities through competent procedures under capable guidance, he can definitely attain success. After mastering such different types of powers, he can beautify his materialistic and spiritual aspects of life. Such various powers are made conscious and active one by one based on which intellectual development of person’s internal and external abilities becomes possible.
Out of these various powers, one power is memory power. In today’s era, may it be any aspect, having right proportion of sharp memory ability is very important part of life. May it be materialistic field or spiritual field, memory power in all its forms is essential part of development of humans. Base of human, his previous life accumulated karmas, his womb development and the way development takes place after birth, in the same way ratio of memory power is fixed. Each person has got his own memory power beyond which his development stops and this ability becomes uppermost point of its Shakti. Beyond that ability, his ability is not able to develop naturally.
In today’s era for students in field of education, for businessmen in their business, for service man in their service field and for various persons in their daily life, base of the many circumstances they face relies solely on this power. In such case when person has weak memory power or it is lower than what is needed, then how it is possible to develop it? Its answer lies in our Shastras. In field of sadhna solution to problems relating to all aspects and activities of life are given.
Prayog presented here is one of the best prayogs related to Devi Mahasaraswati. Upon doing this prayog, memory power of person increases. For the person having weak memory power, this prayog can be called amazing. Upon doing the prayog, person experiences many things in his mind and he experiences development in his memory power or remembrance power quite clearly. In this manner, this prayog is very important prayog for all persons for their progress in materialistic and spiritual life.
Sadhak can do this prayog on any Monday or any Poornima day. Sadhak can do this prayog anytime during day or night. It is best if sadhak does it at the time of sunrise.
Sadhak should take bath and wear white dress. Sadhak should sit on white aasan. Sadhak should sit facing north or east.
In this prayog, sadhak should establish picture of Devi Mahasaraswati in front of him. First of all sadhak should do Guru Poojan and Ganesh Poojan. After that sadhak should do poojan of Devi Mahasaraswati. Ghee lamp should be used and sadhak should offer any fruit as Bhog. After the poojan, sadhak should pray to Devi and take her mental orders for chanting mantra.
Sadhak has to chant 51 rounds of the below mantra. For chanting mantra, sadhak has to use sfatik rosary. In case of non-availability of sfatik rosary, sadhak can use rudraksh rosary or white Hakik rosary. Sadhak can take rest for 5-10 minutes after 21 rounds but he should not stand up from aasan.

OM AING SHREEM AING PHAT

After mantra Jap sadhak should pray to Devi for success in prayog and increase in memory power. Sadhak should take the Bhog himself. In this manner, this easy but very intense prayog completes. Sadhak can use the used rosary for any other prayogs related to Saraswati.
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मनुष्य एक ऐसा जीव है जिसको कुदरत ने अद्भुत क्षमताओ से युक्त बनाया है. क्षमता हर एक मनुष्य में होती है विविध कारण वश वह क्षमता अपनी सुषुप्त अवस्था में होती है. अगर व्यक्ति उन क्षमताओ को योग्य निदर्शन से योग्य प्रक्रियाओ के माध्यम से विकास करे तो निश्चय ही वह सफलता को प्राप्त कर सकता है. एसी कई विभिन्न शक्तियो का स्वामित्व प्राप्त कर वह अपने जीवन के भौतिक तथा आध्यात्मिक पक्ष का पूर्ण श्रृंगार कर सकता है. एसी ही विविध शक्तियों को एक एक कर चेतन तथा जागृत किया जाता है जिसके आधार पर मनुष्य की आतंरिक तथा बाध्य क्षमताओ का बौद्धिक विकास संभव हो पता है.
एसी ही विविध शक्तियों में एक शक्ति स्मरण शक्ति भी है. आज के युग में चाहे वह कोई भी पक्ष हो, स्मरण क्षमता का योग्य अनुपात होना अत्यधिक आवश्यक अंग एक सुसज्जित जीवन का भाग है. चाहे वह भौतिक क्षेत्र हो या अध्यात्मिक. स्मरण शक्ति सभी रूप में मनुष्य के विकास का एक ज़रुरी हिस्सा है. मनुष्य के बीज, उसके पूर्व संचित कर्म, तथा उसके गर्भ विकास तथा जन्म के बाद का विकास जिस प्रकार से होता है उसी प्रकार से उसकी स्मरण शक्ति का अनुपात निश्चित होता है. एक व्यक्ति की एक स्मरण क्षमता होती है उसके आगे उसका विकास अटक जाता है तथा वह क्षमता उसकी शक्ति का सतह बन जाता है, उस क्षमता के आगे प्राकृतिक रूप से उस शक्ति का विकास नहीं हो पता है.
आज के युग में शिक्षाक्षेत्र में विद्यार्थियो के लिए, व्यवसायी व्यक्तियो को अपने व्यवसाय में, नौकरी करते हुवे व्यक्तियो को अपने कार्य क्षेत्र में तथा विविध व्यक्तियो को अपने रोजिंदा जीवन की कई कई परिस्थियों का आधार मात्र इसी शक्ति पर केंद्रित होता है. ऐसे समय में अगर व्यक्ति की स्मरण शक्ति अल्प है, या जरुरत से कम है तो उसका विकास कैसे संभव हो? इसका उत्तर हमारे शाश्त्रो में है. साधना क्षेत्र में जीवन के सभी पक्षों, सभी क्रियाओं से सबंधित समस्याओ का समाधान निर्देशित है.
प्रस्तुत साधना प्रयोग एक उत्तम प्रयोग है जो की देवी महासरस्वती से सबंधित है. प्रयोग करने पर व्यक्ति की स्मरण शक्ति का विकास होता है, अल्प स्मरणशक्ति वाले व्यक्तियों के लिए तो यह प्रयोग अद्भुत ही कहा जा सकता है, प्रयोग करने पर व्यक्ति को अपने मानस में कई प्रकार के अनुभव होते है तथा उसकी स्मरण शक्ति या याद शक्ति में विकास वह स्पष्ट रूप से अनुभव करने लगता है. यूँ यह प्रयोग सभी व्यक्तियो के लिए भौतिक तथा आध्यात्मिक जीवन की प्रगति के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण प्रयोग है.
यह साधना प्रयोग साधक किसी भी सोमवार से या किसी भी पूर्णिमा के दिन कर सकता है
यह प्रयोग साधक दिन या रात्री काल के कोई भी समय में कर सकता है. साधक के लिए उत्तम है की वह यह प्रयोग सूर्योदय के समय करे
साधक को स्नान आदि से निवृत हो कर, सफ़ेद वस्त्रों को धारण करे. साधक सफ़ेद आसान पर बैठे. साधक का मुख उत्तर या पूर्व दिशा की तरफ हो.
इस प्रयोग में साधक को अपने सामने देवी महासरस्वती का चित्र स्थापित करना चाहिए.
साधक को सर्व प्रथम गुरुपूजन तथा गणेश पूजन सम्प्पन करे. इसके बाद साधक को देवी महासरस्वती का पूजन करना चाहिए. दीपक घी का रहे तथा साधक को देवी को भोग में कोई भी फल अर्पित करना चाहिए. पूजन के बाद साधक देवी को वंदन कर मंत्र जाप के लिए मानसिक आज्ञा ले.
साधक को निम्न मंत्र की  ५१ माला मंत्र जाप करनी है. मंत्र जाप के लिए साधक को स्फटिक माला का प्रयोग करना चाहिए. स्फटिक माला के अभाव में साधक रुद्राक्ष माला का या सफ़ेद हकीक माला का प्रयोग करे. साधक २१ माला के बाद ५-१० मिनट के लिए विश्राम ले सकता है लेकिन आसान से उठाना नहीं चाहिए.
ॐ ऐं श्रीं ऐं फट्
(OM AING SHREEM AING PHAT)
मंत्र जाप के बाद साधक देवी को प्रणाम करे तथा प्रयोग में सफलता के लिए तथा स्मरणशक्ति में विकास के लिए प्रार्थना करे. साधक को भोग स्वयं ही ग्रहण करना चाहिए.
इस प्रकार यह सहज लेकिन अत्यंत तीव्र प्रयोग सम्प्पन होता है. साधक ने जिस माला का प्रयोग किया है उसे आगे सरस्वती से सबंधित दूसरे प्रयोग करने के लिए उपयोग में ले सकता है.

****NPRU****


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