Sammohan Vigyan has been one of the
amazing branches of ancient Indian sciences. Utility and importance of this
science cannot be described in words. But still in today’s era there is lot of
light thrown on this subject and society is very much interested in this
subject. Actually, this Vigyan has started to be considered as one part of
medical treatment. Main basis of this Vigyan is mind. Just with the help of few
lines, it is not possible to express the depth of this subject but still on a
preliminary level, utility of this subject can be elucidated something like
this.
Based on the Manas element, there are
many types of mind inside us or in other words, there are different parts of
mind, corresponding to their states. Primarily, types of mind are as follows.
Conscious Mind (Chetan Man)
Subconscious Mind (Avchetan Man)
Conscious mind is the one which is
busy in doing work and activity related to brain, it is connected to it.But
Subconscious mind is different from it.It always operational inside us but we
are unaware of it.From intellectual point of view, it is not possible to bind
it.
This second mind of us is full of
various secretive powers. It is the basis of Sammohan Vigyan. There are such
procedures under this Vigyan through which person can enter inside subconscious
mind and use its powers.
Just as in external form, one can
enter or can make others enter inside the mind of other person and get benefits
out of his mind related powers, in the same way person can do Sammohan of one’s
own self and gets various types of benefits. This procedure is called
Swa-Sammohan.
Swa-Sammohan is said to be very
cumbersome procedure and it has various levels. Through Vigyan, sadhak can get
success in field of Sammohan by doing special Tratak procedures. In the same
way, through divine mantras, various procedures can be done and success in this
field can be attained; which is called Sammohan Tantra.
Prayog presented here can be called
boon providing prayog of Mahakaali for sadhak. Through this prayog, sadhak
attains various types of benefits.
This is first level of sadhna of
Aatmik Sammohan Procedure of sadhak through which Sammohan power develops
inside the sadhak.
If mind of sadhak is not getting
stabilised then sadhak’s mind attains stability.
Through activation of Swa-Sammohan,
inner power of person erupts and he gradually feels easiness in understanding
various subjects.
Through Swa-Sammohan, there is
development of resolution power (Sankalp Shakti) of person.
There is development of Sammohan
power in eyes of sadhak. As a result, various aspects of life start becoming
favourable for him.
This sadhna can be done on any Sunday
or on eighth day of Krishn Paksha of any month. It should be done after 10:00
P.M in night.
Sadhak should take bath and wear red dress.
Sadhak should sit on red aasan. Direction will be north.
It is best if sadhak established
Mahakaali yantra, idol or picture of Mahakaali. If sadhak does sadhna by
placing energised idol of pure Parad Kaali then he gets best results.
First of all sadhak should do Guru
Poojan and chant Guru Mantra. After that sadhak should do Poojan Kram of
Mahakaali. If this is not possible for sadhak, sadhak should do normal poojan
or do maansik poojan.
After that sadhak should chant 21
rounds of the below mantra. Aksh rosary, Black Hakik, Rudraksh rosary or Moonga
rosary can be used for chanting.
om kreeng kleem sammohan
siddhim kleem kreeng phat
After completion of mantra Jap,
sadhak should dedicate mantra Jap to Devi. One should use Yoni Mudra for Jap
Samarpan.
After this, it is best for sadhak to
chant at least one round of Guru Mantra. Sadhak should pray to Sadgurudev and
Mahakaali for their blessings. In this way, this prayog is completed within in
one night. Sadhak may feel pain or intensity in his eyes. But there is no need
to worry. In 2-3 days, situation is restored to normal. In this way, this
prayog is completed.
Rosary should not be immersed by
sadhak. This rosary can be used for Sammohan sadhna in future.
In this manner, sadhak gets
introduced to various inner powers. Actually, it is only a preliminary state or
emotional platform for Swa-Sammohan, from which entry into high-level
procedures of Sammohan Tantra and Sammohan Vigyan (one of the 108 vigyans)
becomes possible.
सम्मोहन विज्ञान पुरातन भारतीय विज्ञान की एक अद्भुत शाखा रही है. यह विज्ञान की उपयोगिता तथा महत्त्व को शब्दों के माध्यम से व्यक्त करना संभव नहीं है. फिर भी आज के युग में भी इस विषय पर काफी प्रकाश है तथा समाज को इस विषय में अतिव दिलचस्पी है. वस्तुतः आज के युग में इस विज्ञान को चिकित्सा का एक भाग स्वीकार किया जाने लगा है. इस विज्ञान का मुख्य आधार मन है. मात्र कुछ पंक्तियो के माध्यम से इस विषय की गंभीरता तथा अभिव्यक्ति को स्पष्ट करना संभव नहीं है लेकिन फिर भी प्रारंभिक स्तर पर इस विषय के उपक्षेप का निरूपण कुछ इस प्रकार है.
मानस तत्व के आधार से हमारे
अंदर कई प्रकार के मन है या दूसरे शब्दों में एक ही मन के अलग अलग भाग है उनकी
स्थितियों के हिसाब से. लेकिन मुख्य रूप से मन के प्रकार इस प्रकार है.
चेतन मन
अवचेतन मन
चेतन मन वह है जो की हमारे
मष्तिक या दूसरे शब्दों में दिमाग से सबंधित कार्यों तथा क्रियाओं से संलग्न होता
है, जुड़ा हुआ होता है. लेकिन अवचेतन मन इससे अलग है, वह हमारे अंतर स्वरुप में
सदैव गतिशील जरुर रहता है लेकिन जिसका बोध हमें नहीं रहता. बौद्धिक द्रष्टि से उसे
बाँध पाना संभव नहीं होता.
हमारा यह दूसरा मन विविध और
रहस्यमय शक्तियो से परिपूर्ण है. सम्मोहन विज्ञान का आधार यही है. इस विज्ञान के
अंतर्गत एसी प्रक्रियाए है जिसके माध्यम से इस अवचेतन मन में प्रवेश तथा इसकी शक्तियो का उपयोग मानव कर सकता है.
जिस प्रकार से बाह्य रूप से या
किसी दूसरे व्यक्ति के मन में प्रवेश कर के या करा के उसके मन सबंधित शक्तियों से
लाभ प्राप्त किया जा सकता है, उसी प्रकार स्व का सम्मोहन या खुद का सम्मोहन कर के
भी कई प्रकार के लाभ मनुष्य प्राप्त कर सकता है. इसी प्रक्रिया को स्वसम्मोहन कहा
जाता है.
स्वसम्मोहन अत्यधिक दुस्कर
प्रक्रिया कही जाती है, जिसके विविध स्तर है. विज्ञान के माध्यम से साधक विशेष
त्राटक प्रक्रियाओ को कर के सम्मोहन के क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है. उसी
प्रकार दिव्य मंत्रो के माध्यम से विविध प्रक्रियाओ को कर के इस क्षेत्र में सफलता
प्राप्त की जा सकता है, जिसे सम्मोहन तंत्र कहा जाता है.
प्रस्तुत प्रयोग साधको के लिए
महाकाली का एक वरदान स्वरुप प्रयोग ही कहा जा सकता है. इस प्रयोग के माध्यम से
साधक को कई प्रकार के लाभों की प्राप्ति होती है.
साधक का आत्मिक सम्मोहन
प्रक्रिया का यह प्रथम चरण स्वरुप साधना है, जिसके माध्यम से साधक के अंदर सम्मोहन
शक्ति का विकास होता है.
साधक का मानस अगर स्थिर नहीं रह
पा रहा है तो साधक के मानस में स्थिरता आती है.
स्व सम्मोहन के जागरण से
व्यक्ति के आतंरिक शक्ति का स्फोटन होता है तथा उसे विविध विषय को समजने में धीरे
धीरे सहजता का अनुभव होने लगता है.
स्व सम्मोहन के माध्यम से
व्यक्ति की संकल्प शक्ति का भी विकास होता है.
साधक की आँखों में सम्मोहन
शक्ति का विकास होता है, फल स्वरुप जीवन के विभिन्न प्रक्षो में उसे सहज ही
अनुकूलता प्राप्त होनी प्रारंभ होती है.
यह साधना किसी भी रविवार की
रात्री में या कृष्ण पक्ष की अष्टमी को की जा सकती है
समय रात्री काल में १० बजे के
बाद का रहे
साधक स्नान आदि से निवृत हो कर
लाल वस्त्र को धारण करे. साधक को लाल आसान पर बैठना चाहिए. दिशा उत्तर रहे.
उत्तम है अगर साधक अपने सामने
महाकाली का यन्त्र, विग्रह या फिर महाकाली का चित्र स्थापित करे. अगर साधक विशुद्ध
पारद काली का चैतन्य विग्रह सामने रख कर यह साधना करता है तो सर्वोत्तम फल की
प्राप्ति होती है.
सर्व प्रथम साधक गुरुपूजन कर
गुरु मंत्र का जाप करे. इसके बाद साधक महाकाली का पूजन क्रम करे, अगर साधक के लिए
यह संभव नहीं हो तो साधक को सामान्य पूजन या मानसिक पूजन करना चाहिए.
इसके बाद साधक निम्न मंत्र की
२१ माला मंत्र जाप सम्प्पन करे. यह मंत्र जाप अक्षमाला, काली हकीक माला, रुद्राक्ष
माला से या मूंगा माला से किया जा सकता है.
ॐ क्रीं क्लीं सम्मोहन सिद्धिं क्लीं क्रीं फट्
(om kreeng kleem sammohan siddhim kleem kreeng phat)
मंत्र जाप पूर्ण होने पर साधक
मन्त्र जाप को देवी को समर्पित करे. जाप समर्पण के लिए योनी मुद्रा का प्रयोग करना
चाहिए.
इसके बाद साधक के लिए यह उत्तम
है की वह गुरु मंत्र की कम से कम एक माला जाप करे.
साधक सदगुरुदेव तथा महाकाली से
आशीर्वाद की प्रार्थना करे. इस प्रकार यह प्रयोग एक रात्री में ही पूर्ण होता है.
साधक को आँखों में दर्द तथा तीव्रता का अनुभव हो सकता है लेकिन इसमें चिंता की कोई
बात नहीं है. एक दो दिन में स्थिति वापस सामान्य हो जाती है. इस प्रकार यह प्रयोग
पूर्ण होता है.
साधक को माला का विसर्जन नहीं
करना है, सम्मोहन साधनाओ में इस माला का प्रयोग भविष्य में किया जा सकता है.
इस प्रकार साधक का परिचय विविध
आतंरिक शक्तियों से होता है, वस्तुतः यह स्वसम्मोहन की मात्र प्रारंभिक स्थिति या भावभूमि
ही है, जहां से १०८ विज्ञान में से एक सम्मोहन विज्ञान तथा सम्मोहन तंत्र की
उच्चकोटि की प्रक्रियाओं की तरफ पदार्पण संभव हो पाता है.
****NPRU****
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