Sadhna of nine planets is integral part of our
culture and every planet has got its own importance. Basis of astrological
calculation and higher-level Vidyas like Tantra Jyotish are planets only. State
of these planets form the basis of daily activities of our life. It is also
indisputably true that base of life sequence of every person is determined by position
and strength of planets. It is also a principle of astrology science. Many
times, due to various reasons, person may also have to face planetary obstacles
in life due to negative energy related to these planets. This fact is now
accepted by most of the persons.
There are many types of amazing Vidhaans in Tantric
literature by which problems occurring due to planets can be resolved and
beyond it, by taking assistance of sadhna of these planets and their related
powers, many type of benefits can be obtained by attaining their grace. From
this point of view, sadhnas related to sun and Saturn planet have been more in
vogue. But it does not mean that there are no procedures related to other
planets. May be these procedures are not known to common public but such type
of amazing procedures are known among Tantra siddhs. One of such amazing
procedure is Chandrini sadhna. From mythological point of view, we find
description of many wives of moon and we come to know about their different
Kala Shaktis. Chandrini is one such Kala Shakti of moon planet which is capable
of transforming human life completely. Rarest sadhna like Jal Gaman can be
accomplished through the means of Goddess Chandrini. Some tantriks are of the
view that Chandrini goddess is partial power of Bhagwati Kaali. From this point of
view, they are also seen in Yogini form and sometimes she is also seen as
goddess who continuously serves Bhagwati. From ancient times, many intense
procedures related to goddess were done to attain Jal Gaman Siddhi. But
procedure presented here is of Raajsik character doing which sadhak can attain
many benefits. Sadhak can do this procedure for himself or for any other
person.
The person whose moon is weak or is not giving
suitable results, doing this procedure provides favourableness.
Those who face mental torture, mental problem and
suffer from inferiority complex, this procedure is best for them. If person
wishes, he can take resolution and do this prayog for any known person too.
This procedure is best for attaining mental
satisfaction and family peace. This is an invaluable procedure for sadhaks
practising Kalpana Yog doing which sadhak can witness increase in intensity of
his Yoga practice.
This sadhna is highly useful for saving ourselves
from emotional instability and negative results of negative feelings like
anger.
This sadhna can be done by sadhak on any Poornima.
If it is not possible then sadhak can start from Monday of Shukl Paksha. It
should be done after sunset.
Sadhak should use white dress and white aasan in
this sadhna.
Sadhak should take bath and sit on aasan facing
north direction. After it, sadhak should ignite a big oil-lamp.
Sadhak should do Guru Poojan and Ganesh poojan.
First of all, sadhak should do Nyas.
Chant 1 round of basic mantra of Moon. For this
sadhna, sadhak should use Rudraksh or crystal rosary.
KAR
NYAS
SHRAAM
ANGUSHTHAABHYAAM NAMAH
SHREEM
TARJANIBHYAAM NAMAH
SHROOM
MADHYMABHYAAM NAMAH
SHRAIM
ANAAMIKAABHYAAM NAMAH
SHRAUM
KANISHTKABHYAAM NAMAH
SHRAH
KARTAL KARPRISHTHAABHYAAM NAMAH
ANG
NYAS
SHRAAM
HRIDYAAY NAMAH
SHREEM
SHIRSE SWAHA
SHROOM
SHIKHAYAI VASHAT
SHRAIM
KAVACHHAAY HUM
SHRAUM
NAITRTRYAAY VAUSHAT
SHRAH
ASTRAAY PHAT
Mantra:
OM SHRAAM SHREEM SHRAUM SAH CHANDRAAY NAMAH
After it, sadhak should chant 11 rounds of below
Chandrini Mantra.
After completion of chanting, sadhak should bow
down in reverence to moon and goddess Chandrini and pray for success. Sadhak
should not immerse rosary. It can be used for doing moon-related sadhna in
future.
================================== नवग्रह की साधना उपासना हमारी संस्कृति का एक अभिन्न अंग है, तथा सभी ग्रह का अपना एक अलग ही महत्त्व है. ज्योतिष गणना तथा तंत्रज्योतिष जैसी उच्चतम विद्याओ का आधार ग्रह ही तो है. हमारे जीवन की नित्य क्रिया कलापों का आधार भी इन ग्रहों की स्थिति ही है यह एक निर्विवादित सत्य है, सभी व्यक्तियो के जीवन क्रम का आधार इन ग्रहों की द्रष्टि एवं स्थान से प्रमाण से होता है यही ज्योतिष विज्ञान का भी सिद्धांत है. कई बार विविध कारणों से इन ग्रहों से सबंधित नकारात्मक उर्जा के कारण व्यक्ति के जीवन में सबंधित ग्रह जन्य कई प्रकार की समस्याओ का सामना भी करना पड़ सकता है यह तथ्य ज्यादातर व्यक्ति आज स्वीकार करने लगे है.
तांत्रिक
वाग्मय में कई प्रकार के ऐसे दुर्लभ विधान है जिसके माध्यम से ग्रहों के कारण होने
वाली समस्याओ का निराकरण किया जा सकता है तथा उससे भी आगे, इन ग्रहों तथा उनकी
शक्तियों से सबंधित साधनाओ का सहारा ले कर उनकी कृपा प्राप्त कर विविध लाभ को
प्राप्त किया जा सकता है. इस द्रष्टि से सूर्य तथा शनि ग्रह से सबंधित साधनाओ का
बहोत ही प्रचार प्रसार रहा है. लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है की दूसरे ग्रह तथा उनसे
सबंधित विधान का प्रचलन में नहीं है, भले ही जनमानस के मध्य यह विधान प्रस्तुत न
हो लेकिन तंत्र सिद्धो के मध्य इस प्रकार के दुर्लभ विधानों का प्रचलन ज़रूर रहा
है. इसी क्रम में एक दुर्लभ क्रम है चन्द्रिणि साधना. पौराणिक द्रष्टि से चन्द्र की कई पत्नियों का विवरण
प्राप्त होता है तथा उनकी विविध कला शक्तियों के बारे में भी ज्ञात होता है. चन्द्रिणि चन्द्र ग्रह
की एक एसी ही कला शक्ति है जो की अपने आप में मनुष्य के जीवन को पूर्ण रूप से
परावर्तित करने में समर्थ है. जल गमन जेसी
दुर्लभतम साधना भी देवी चन्द्रिणि के माध्यम से सम्प्पन की जाती है. कुछ विद्वान तान्त्रिको का यह मत है
की चन्द्रिणि देवी वस्तुतः भगवती काली की ही खंड अंश शक्ति है. इस द्रष्टि से उनको
योगिनी स्वरुप में भी देखा जाता है तथा कई बार भगवती की सेवा में सतत रत देवी के
स्वरुप में भी. पुरातन काल में देवी से सबंधित कई तीक्ष्ण प्रयोग जलगमन की सिद्धि
प्राप्ति के लिए किये जाते थे, लेकिन प्रस्तुत प्रयोग राजसिक भाव से युक्त प्रयोग है जिसको सम्प्पन करने
के बाद साधक कई लाभों की प्राप्ति कर सकता है. साधक अपने लिए या फिर दूसरे किसी
व्यक्ति के लिए यह प्रयोग सम्प्पन कर सकता है.
जिन
व्यक्तियो का चन्द्र कमजोर हो या यथायोग्य परिणाम न देता हो यह प्रयोग करने पर
उनको अनुकूलता की प्राप्ति होती है.
जो भी
व्यक्ति को मानसिक प्रताडना होती हो, मानसिक रोग है तथा हिन् भावना से ग्रस्त है,
उनके लिए यह प्रयोग श्रेष्ठ है. अगर व्यक्ति चाहे तो संकल्प ले कर यह प्रयोग अपने
किसी भी सुपरिचित व्यक्ति के लिए भी सम्प्पन कर सकता है.
मानसिक
तुष्टि तथा पारिवारिक शांति के लिए यह प्रयोग उत्तम है. कल्पनायोग के अभ्यासी
साधको के लिए यह एक अमूल्य प्रयोग है जिसे सम्प्पन करने के बाद योगाभ्यास में
तीव्रता आती है.
भावनात्मक
असंतुलन से बचने के लिए तथा क्रोध आदि ऋण भावो का नकारात्मक परिणाम से भविष्य को
बचाने के लिए भी यह साधना अत्यंत उपयोगी है.
यह साधना
साधक किसी भी पूर्णिमा को सम्प्पन करे अगर यह संभव न हो तो शुक्ल पक्ष के सोमवार
से शुरू करे. समय सूर्यास्त के बाद का रहे.
इस साधना
में साधक सफ़ेद वस्त्र तथा सफ़ेद आसन का प्रयोग करे.
साधक
स्नान आदि से निवृत हो कर उत्तर की तरफ मुख कर बैठ जाए. इसके बाद साधक एक बड़ा सा
तेल का दीपक स्थापित करे.
साधक
गुरुपूजन, गणेश पूजन सम्प्पन कर सर्व प्रथम न्यास करे.
1 माला
मूल चन्द्र मंत्र की करे. इस साधना के लिए साधक रुद्राक्ष, या स्फटिक की माला का
प्रयोग करे.
करन्यास -
श्रां अङ्गुष्ठाभ्यां नमः
श्रीं तर्जनीभ्यां नमः
श्रूं मध्यमाभ्यां नमः
श्रैं अनामिकाभ्यां नमः
श्रौं कनिष्टकाभ्यां नमः
श्रः करतल करपृष्ठाभ्यां नमः
अंगन्यास -
श्रां हृदयाय नमः
श्रीं शिरसे स्वाहा
श्रूं शिखायै वषट्
श्रैं कवचाय हूम
श्रौं नेत्रत्रयाय वौषट्
श्रः अस्त्राय फट्
मन्त्र -
ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्राय नमः
(OM SHRAAM SHREEM SHRAUM SAH
CHANDRAAY NAMAH)
इसके बाद
साधक निम्न चंद्रिणि मन्त्र का 11 माला जाप करे.
ॐ श्रीं चन्द्रिणि चारुमुखि विद्यामालिनि ह्रीं ॐ
(OM SHREEM CHANDRINI CHAARUMUKHI VIDYAAMAALINI HREEM OM)
जाप पूर्ण
होने पर साधक चन्द्र तथा देवी चंद्रिनी को श्रद्धा सह वंदन करे तथा सफलता की
प्राप्ति के लिए प्रार्थना करे. साधक माला का विसर्जन न करे इसको भविष्य में भी
चन्द्र सम्बंधित साधना के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है.
****NPRU****
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