Sarve
Bhaventu Sukhina……..From our Vedic sages to
modern accomplished sadhaks, all of them have provided special knowledge and
divine blessings to take life to higher pedestal so that person can become
happy, prosperous and attain complete success in various aspects of life. In
fact, every person tries hard in his life so as to attain complete happiness
and pleasure in life. Fortunate person attain success in their life as a result
of their hard-work too but they are very few in number. It is not necessary
that every person would have power which is required in attaining success. But
human life is full of amazing capabilities in itself like completely enjoying
all the things which are available to us or getting rid of all the obstacles
and shortcomings of life and whatever is necessary to attain happiness in life,
attaining that pleasures. When we are devoid of Shakti (power), when we do not
have necessary capability to attain something then at that time we can do
sadhna of Dev Shaktis and attain the Shakti and get rid of scarcities of our
life and this is the real form of Tantra sadhnas i.e. developing our infinite
abilities and infinite powers and take us one step closer to completeness. For
attaining happiness and luxury in life and living successfully materialistic
aspect of life, along with it attaining spiritual bliss in life and giving
upward direction to our life, our ancient and contemporary sages have put
forward many procedures for sadhaks. Along with it, many procedures were kept
secretive due to various reasons. One of such
procedure is Kaal Jivha Prayog which has been in vogue in much hidden form.
Basically this procedure belongs to left hand of tantra which was done by
sadhaks to accomplish Tamsik siddhis. From this single procedure, sadhak can do
many types of Tantric karmas. But it is
not easily possible in today’s era and following a very special procedure for a
long time in today’s era is not possible for householder sadhaks from social
point of view. Therefore, Sadgurudev has told a hidden Raajsik procedure
related to this sadhna. Through it, sadhak attains solution to many problems of
his life.
Mind of enemies of sadhaks
get paralysed.May be it is business or his work-field, this sadhna saves sadhak
from being victim of any conspiracy and make a special invisible armor around
sadhak.
If sadhak is facing
obstacle in any particular work or particular person is not doing any work or
troubling you or again and again not allowing work to be accomplished in one
form or the other , then this procedure provides the solution.
If there is problem related
to Itar Yoni faced by sadhak then its solution is
obtained by this procedure.
From this point of view, it is very important
procedure and in today’s era, it is like a boon.
Sadhak should do this procedure on eighth day of
Krishn Paksha of any month. If it is not possible, sadhak can do this procedure
on any Sunday. It should be done after 10:00 P.M in the night.
Sadhak should take bath, wear red dress and sit on
red aasan facing north direction.
Sadhak should spread red cloth on Baajot placed in
front of him and establish idol/yantra of Bhagwati Kaali on it. If completely energized Parad Kaali idol or
Mahakaali Rakshatmak Chaitanya Yantra is established, then superior results can
be obtained.( Itar Yoni Mandal contains the completely energized Chaitanya
Rakshatmak Yantra. Sadhak can get attain Itar Yoni Mandal, establish it and do
this procedure on that yantra.) Perform Poojan of yantra/idol. If yantra or idol is not possible,
then this prayog can be done by establishing picture of Mahakaali too.
Sadhak should do poojan of Sadgurudev and
yantra/idol. While doing poojan of yantra, sadhak should offer red colour
flowers and vermillion. Offer jaggary as Bhog.
After it, sadhak should chant Guru Mantra. Then
sadhak should pray to Sadgurudev and Bhagwati Mahakaali for success in sadhna.
After it sadhak should take outer shell of coconut (bowl shaped shell which is
obtained when dry coconut having water is broken) and use it as lamp. Fill oil
inside it and ignite the lamp. After it, sadhak should do Nyas procedure.
KAR NYAAS
KLAAM ANGUSHTHAABHYAAM NAMAH
KLEEM TARJANIBHYAAM NAMAH
KLOOM SARVANANDMAYI
MADHYMABHYAAM NAMAH
KLAIM ANAAMIKAABHYAAM NAMAH
KLAUM KANISHTKABHYAAM NAMAH
KLAH KARTAL KARPRISHTHAABHYAAM
NAMAH
HRIDYAADI NYAAS
KRAAM HRIDYAAY NAMAH
KREEM SHIRSE SWAHA
KROOM SHIKHAYAI VASHAT
KRAIM KAVACHHAAY HUM
KRAUM NAITRTRYAAY VAUSHAT
KRAH ASTRAAY PHAT
After it, sadhak should meditate on Bhagwati
Mahakaali and chant the basic mantra. Sadhak can do chanting with help of
rudraksh, Shakti, Moonga or Aksh Rosary. Sadhak has to chant 21 rounds of the
below mantra.
om
kleeng kreeng kaalaJihvaayai kreeng kleeng phat
After
completion of chanting, sadhak should offer mantra chanting to Bhagwati
Mahakaali and pray for her blessings. Sadhak should not immerse the rosary. It
can be used in any sadhna related to Bhagwati Kaali. The coconut circular shell
which has been used as lamp should be place in cremation ground or any
uninhabited place. In this manner, this procedure is accomplished in one n=========================== सर्वे भवन्तु सुखिना....हमारे वैदिक ऋषियो से ले कर आधुनिक सिद्धोंने भी मनुष्य के जीवन को हमेशा उर्ध्वगामी बनाने के लिए विशेष ज्ञान और आशीर्वचन प्रदान किये है. मनुष्य सुखी बने, सम्प्पन बने तथा जीवन के विविध पक्षों में पूर्ण सफलता को अर्जित करे. वस्तुतः हर एक मनुष्य अपने जीवन में इसी कोशिश में भी लगा रहता है जिससे की वह पूर्ण सुख भोग की प्राप्ति कर ही सके. भाग्यवान पुरुष अपने जीवन में पूर्ण परिश्रम के माध्यम से सफलता को प्राप्त कर भी लेते है लेकिन यह अल्प संख्यांक उदहारण है. क्यों की सफलता प्राप्ति के लिए जो शक्ति की आवश्यकता होती है वह सभी व्यक्तियो के पास हो ऐसा ज़रुरी नहीं है. लेकिन मनुष्य जीवन भी अपने आप में अद्भुत क्षमताओ से युक्त है ही. जो प्राप्त हो उसका पूर्ण आनंद प्राप्त करना तथा जो अप्राप्त हो, या जो जीवन की न्युनातायें हो, जो बाधाएं हो उसको दूर करना, तथा जो भी जीवन में पूर्ण आनंद की प्राप्ति के लिए आवश्यक हो, उन सुख भोग की प्राप्ति करना. जब हमारे पास शक्ति का अभाव हो, कुछ प्राप्ति के लिए जो आवश्यक क्षमताओं की ज़रूरत हो वह शक्ति न हो उस समय हम देवशक्तियों के माध्यम से हम उनकी साधना उपासना कर के शक्ति को प्राप्त कर सकते है तथा हमारे जीवन के अभावो को दूर कर सकते है तथा तंत्र साधनाओ का भी यही वास्तविक स्वरुप है. हमारी अनंत क्षमताओ का, हमारी अनंत शक्तियों का विकास करना तथा पूर्णता की और कदम बढ़ाना. हम अपने जीवन में भी सुख ऐश्वर्य की प्राप्ति कर जीवन के भौतिक पक्ष को भी पूर्ण सफलता के साथ जियें तथा साथ ही साथ जीवन में अध्यात्मिक आनंद की प्राप्ति भी करे तथा अपने जीवन को उर्ध्व गति प्रदान करे. और इसी क्रम में कई कई प्रयोग साधको के मध्य समय समय पर हमारे प्राचीन अर्वाचीन ऋषि मुनियों ने प्रस्तुत किये है. साथ ही साथ कई प्रयोग विविध कारणों सह अधिक गुप्त रखे गए थे. ऐसा ही एक प्रयोग है कालजिह्वा प्रयोग. जो की अति गुप्त रूप से प्रचलित रहा है. मूलतः यह प्रयोग वाम मार्गी है जो की साधको के द्वारा तामसिक सिद्धियों की प्राप्ति के लिए किया जाता था. इसी एक प्रयोग से साधक कई प्रकार के तांत्रिक कर्मो को कर सकता है, लेकिन आज के युग में यह सहज संभव नहीं है तथा सामाजिक द्रष्टि से भी एक अति विशेष क्रम लंबे समय तक अपनाना आज के युग में सभी गृहस्थ साधको के बस की बात नहीं है. इसी लिए इस साधना से सबंधित एक गोपनीय राजसिक क्रम के बारे में सदगुरुदेव ने बताया था, इसके माध्यम से साधक को अपने जीवन की कई समस्याओ के समाधान प्राप्त होता है.
साधक की शत्रुओ की गति मति का स्तम्भन होता है. चाहे वह
व्यापर का क्षेत्र हो या अपना कार्य क्षेत्र साधक को किसी भी षड्यंत्र का शिकार
होने से यह साधना बचाती है तथा एक विशेष अद्रश्य कवच बनाती है.
साधक के कोई कार्य विशेष आदि में कोई बाधा आ रही हो या
कोई व्यक्ति विशेष कार्य नहीं कर रहा हो या परेशान कर रहा हो, बार बार किसी न किसी
रूप में कार्य को होने से अटका रहा हो तो इस प्रयोग से समाधान प्राप्त होता है.
साधक या साधक के घर पर कोई इतरयोनी से सबंधित बाधा हो तो
उसका निराकरण इस प्रयोग के माध्यम से प्राप्त होता है.
इस द्रष्टि से यह अत्यंत ही महत्वपूर्ण प्रयोग है तथा आज
के युग में वरदान स्वरुप ही है.
साधक यह प्रयोग किसी भी कृष्ण पक्ष की अष्टमी को करे.
अगर यह संभव न हो तो साधक किसी भी रविवार को यह प्रयोग करे. समय रात्रि में १० बजे
के बाद का रहे.
साधक स्नान आदि से निवृत हो लाल वस्त्र धारण कर लाल आसन
पर बैठ जाए. साधक का मुख उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए.
साधक अपने सामने बाजोट पर लाल वस्त्र बिछा कर उस पर
भगवती काली की प्रतिमा या यंत्र स्थापित करे. अगर
पूर्ण चैतन्य विशुद्ध पारद काली विग्रह या महाकाली रक्षात्मक चैतन्य यंत्र का
स्थापन करे तो श्रेष्ठतम प्रभाव की प्राप्ति संभव है. (इतरयोनी मंडल में चैतन्य
महाकाली रक्षात्मक यंत्र अंकित स्थापित एवं पूर्ण प्रतिष्ठित है इतरयोनी मंडल प्राप्त सभी साधक मंडल का स्थापन
कर उस यंत्र पर इस प्रयोग को सम्प्पन कर सकते है.) यंत्र/
विग्रह का पूजन करे. अगर यंत्र या विग्रह संभव न हो तो महाकाली का चित्र स्थापित
कर के भी यह प्रयोग सम्प्पन करना चाहिए.
साधक सदगुरुदेव का तथा यंत्र/विग्रह का पूजन करे. यंत्र
पूजन में साधक लाल रंग के पुष्प तथा कुमकुम अर्पित करे. गुड़ का भोग लगाए.
इसके बाद साधक गुरु मन्त्र का जाप करे. फिर साधक
सदगुरुदेव तथा भगवती महाकाली से साधना में सफलता के लिए प्रार्थना करे. इसके बाद
साधक एक नारियल का गोला ( सुखा नारियल जिसमे पानी रहता है उसको फोड़ने पर कटोरे
आकार का गोला बनता है वह) ले उसको दीपक के रूप में प्रयोग करना है, गोले के अंदर
तेल भरे. तथा दीपक प्रज्वलित करे. इसके
बाद साधक न्यास करे.
करन्यास
क्लां अङ्गुष्ठाभ्यां नमः
क्लीं तर्जनीभ्यां नमः
क्लूं सर्वानन्दमयि मध्यमाभ्यां नमः
क्लैं अनामिकाभ्यां नमः
क्लौं कनिष्टकाभ्यां नमः
क्लः करतल करपृष्ठाभ्यां नमः
हृदयादिन्यास
क्रां हृदयाय नमः
क्रीं शिरसे स्वाहा
क्रूं शिखायै वषट्
क्रैं कवचाय हूं
क्रौं नेत्रत्रयाय वौषट्
क्रः अस्त्राय फट्
इसके बाद साधक भगवती महाकाली का ध्यान कर मूल मन्त्र का
जाप करे. यह जाप साधक किसी भी रुद्राक्षमाला, शक्तिमाला, मूंगामाला, अक्षमाला से
कर सकता है. साधक को २१ माला मन्त्र जाप करना है.
ॐ क्लीं क्रीं कालजिह्वायै क्रीं क्लीं फट्
(om kleeng kreeng kaalaJihvaayai
kreeng kleeng phat)
जाप पूर्ण होने पर साधक भगवती
महाकाली को मन्त्र जाप समर्पित कर आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करे. भोग स्वयं ग्रहण
करे. साधक को माला का विसर्जन नहीं करना है, भगवती काली से सबंधित साधना में इस
माला का प्रयोग किया जा सकता है. दीपक के लिए जिस नारियल के गोले का उपयोग किया
गया है उसको स्मशान में या निर्जन स्थान में रख दे. इस प्रकार एक ही रात्रि में यह
प्रयोग पूर्ण होता है.
****NPRU****
No comments:
Post a Comment