Sarv Proktah Sarv Gyaanah Sarv KaaleSarvatmne,
Sarv GyaanPradaatri Shri Devi MayankYuktam Tvam
Charanarvinde ||
Shri Sookt has been considered by people merely as
a Stotra for attaining prosperity and such consideration was right too. Because
keeping time and suitability in mind, sages, saints and connoisseurs of Mantra
let remained its inner secrets hidden only .Its outer aspects came into light
.As time progressed, we considered that Shri Sookt is one of the prayers made
to Goddess Mahalakshmi for attaining wealth and by reading it on Deepawali
increases our prosperity. However the reality is exactly opposite. Each verse
of it on their own is not only capable of fulfilling wishes of sadhak rather
correct combination of planets, time, clothes and direction yield different
results.
The secrecy of Tantra can be understood only when
the traveller of this path who has travelled the journey, introduce you to
abstractness and difficulty of this path. I had eagerness to understand the Sahastrakshari Chandi sadhna
and secrets related to it and I have read about it in old editions of magazine
and when I asked about it to Master then he told “Our many Guru brothers and
sisters have got its hidden keys from Sadgurudev and through it they have
fulfilled their long cherished desires in life. Side by side, they have
understood those secrets which shastras have kept hidden up till now and I have
seen respected Rajni Nikhil doing such procedures relating to it.Sadgurudev
have never kept any knowledge hidden. There are many sadhaks who have received
keys of sadhnas but they are not willing to come forward”
Despite of Sadhna and Mantra being one, Padhati
used makes a difference and clarifies about the nature of results one will get.
For example, we do sadhna of Swar Vigyan but we do not know that secret of it
that Poorn siddhi of Swaroday Vigyan or Swaroday Tantra is attained only after
siddhi of five elements. And by siddhi of five elements one not only gets
materialistic success but person also fulfils his spiritual ambitions easily.
And this is not merely symbolic rather whenever sadhak doing the practice of
Tatv Siddhi (siddhi of elements) does the meditation of particular element
under appropriate guidance; his nostrils are filled with fragrance of that
particular element.
For Example various
articles energised by Navaarn Mantra fulfil different ambitions of sadhak. If
we talk about abstruse meaning of Shri Sookt than its every verse has got
hundreds of meaning since its arrangement exhibits various meanings. Knowledge
of Many Vigyans and Tantras can be understood by these verses. Padhati of
gold-creation, hidden principles of Surya Vigyan, attainment of various
accomplishments, circulation of nectar element etc. is possible through the
knowledge of this Sookt.
When we become ready to do sadhna, we want to
understand the signs and symbols of attainment of success or siddhi so that we
can completely cross over the obstacles coming in that path. Though there are
many such signs through which accomplishment and non-accomplishment can be understood
but through dream one gets precise knowledge. And if sadhak do the prayog of
the below procedure in his life then not only he starts understanding
future-indicating dream signs but he can also come in contact with the
particular person i.e. the person whose character, conduct and well-being he
wants to know, all such information about that particular person are known
through dreams.
On
Night on any Monday, after 1:00 A.M, in completely pure state wear white dress
and sit on white Aasan. Spread one white cloth on the floor in front and make
one circle with Kesar-mixed white sandal. After Guru Poojan and Ganpati poojan,
ignite ghee lamp, write “SOM SOMAAY
NAMAH” with ring finger in that circle and then fill that
circle with white rice. After that, fill water in silver or copper container
and place it on that rice. Then with stable mind, chant I round of “OM HREEM SHREEM CHANDRAYAI NAMAH” with sfatik of white Hakik rosary. And after that
chant 3 rounds of below verse and after chanting, blow on that container i.e.
after 1 round, you have to blow once.
AadramPushkarinimPushtimPingalaamPadmmaalineem |
ChandraamHiranymayeemLakshmeemJaatvedo M Aavah ||
After
chanting, you have to again chant 1 round of first mantra. And after chanting
you have to drink that water, water should be drunk from some other container.
This has to be done for 5 days and after that in future, before sleeping chant
above-said verse 21 times and drink water and go to sleep. You will know
whether sadhna is working or not when you will not forget dreams. With time you
will start understanding its abstract meaning and you will remember it too. And
now the person about whom you want to know, write his name on white paper by
turmeric and keep it under your pillow and go for sleep. You will definitely
get information about him in dream. This sadhna also provides information about
future signs which is separate Vidhaan from Swapneshwari sadhna. To add to it,
person doing this prayog gets rid of ill-effects like nightmares and nightfall.
And if he gives this energised water after completing 5 days of sadhna, that
person too gets riddance from these problems. And sadhak understands his own
state in sadhna by this sadhna. In reality, it is the easy procedure to
activate Chandra Nerve (Naadi in Hindi) which we should do definitely. If
person does BHAGWATI BAGLAMUKHI TANTRAM - MAYA KAAL DRISHYAANVITA PARASHAKTI
PRAYOG written by Sister Rajni Nikhil then he paves his way towards attaining
powers of Ida and Pingla nerves through which path of Para Vigyan is opened for
him. Sadhnas are not merely for reading rather if we can’t do these easy
Vidhaans then whose fault is it?
“Nikhil Pranaam”
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सर्व प्रोक्तः सर्व ज्ञानः सर्व काले सर्वात्मने,
सर्व ज्ञान प्रदात्री श्री देवी
मयंक युक्तं तवं चरणारविन्दे ||
श्रीसूक्त को लोग मात्र ऐश्वर्य प्राप्ति का ही स्तोत्र मानते रहे
हैं,और ऐसा मानना उचित भी था. क्यूंकि समय और पात्र को देखते हुए मन्त्र मनीषियों
ने अथवा मन्त्र मर्मज्ञों ने इसके भीतर के रहस्यों को गुप्त ही रहने दिया. इसका बाह्य
पक्ष ही प्रकाश में आ पाया. और समय के साथ साथ हम यही मान बैठे की श्रीसूक्त मात्र
धन प्राप्ति हेतु भगवती महालक्ष्मी से की जाने वाली एक स्तुति है,और दीपावली पर
इसका पाठ करने से ऐश्वर्य की वृद्धि होती है. जबकि सत्य इससे बिलकुल उलट है,इसकी
प्रथक प्रथक ऋचाएँ साधक को ना सिर्फ उसका अभीष्ट प्रदान करती हैं,अपितु
ग्रह,काल,वस्त्र,दिशाओं का उचित संयोग साधक को प्रथक प्रथक परिणाम देता है.
तंत्र की गुह्यता को समझ पाना तभी संभव हो पाता
है,जब उसी राह का कोई पथिक जिसने पहले उस सफर को तय किया हो,आप को उस राह की
दुरुहता और दुर्गमता से परिचित करवा दे.मेरी उत्कंठा सह्स्त्राक्षरी चंडी की साधना और उससे जुड़े रहस्य को समझने की थी,और मैंने
पत्रिका के पुराने अंकों में इसके बारे में पढ़ा भी था और जब मैंने इस बारे में
मास्टर से पूछा तो उन्होंने बताया की “हमारे कई गुरु भाई बहनों ने इसकी गोपनीय
कुंजियाँ सदगुरुदेव से प्राप्त करी हैं और उनके माध्यम से अपने जीवन के मनोरथ तो
पूर्ण करे ही हैं साथ ही साथ उन रहस्यों को भी समझा है,जिसे शास्त्र अभी तक गुप्त
रखते आयें हैं और इसकी कई प्रक्रियाओं को मैंने रजनी निखिल जी को संपन्न भी करते
देखा है.और सदगुरुदेव ने कभी भी कोई ज्ञान लुप्त नहीं रखा है,बहुतेरे साधक हैं
जिन्हें साधना की कुंजियाँ मिली,पर वो अब किसी के सामने नहीं रखना चाहते हैं”.
साधना एक ही हो सकती है,मंत्र एक ही हो सकता है किन्तु उसके प्रयोग
करने की पद्धति ही उसके द्वारा प्राप्त परिणाम को स्पष्ट करती है. जैसे हम स्वर
विज्ञान की साधना तो करते हैं,परन्तु हम उसके इस रहस्य से अनभिज्ञ ही रहते हैं की
स्वरोदय विज्ञान या स्वरोदय तंत्र की पूर्ण सिद्धि पञ्च तत्व की सिद्धि के पश्चात
ही प्राप्त होती है और पञ्च तत्वों की सिद्धि के द्वारा भौतिक सफलता तो प्राप्त
होती ही है साथ ही व्यक्ति जीवन के आध्यात्मिक लक्ष्यों को भी सहजता से प्राप्त कर
लेता है.और ये मात्र सांकेतिक नहीं होता है,अपितु तत्व सिद्धि का अभ्यास करने वाला साधक जैसे ही उस तत्व का
ध्यान उचित मार्गदर्शन में करता है उसकी नासिका उस तत्व विशेष की सुगंध से सुवासित
हो जाती है.
जैसे नवार्ण मंत्र से अभिमंत्रित विभिन्न सामग्री साधक के अलग अलग
उद्देश्यों की पूर्ती करती हैं.श्रीसूक्त के
गूढार्थ की यदि बात की जाए तो इसकी प्रत्येक ऋचा के सैकडो अर्थ निकलते हैं,क्यूंकि
इनका संयुग्मन विभिन्न अर्थों को दर्शाता है,विभिन्न विज्ञानों और विभिन्न तंत्रों
के अज्ञान को इन ऋचाओं के द्वारा समझा जा सकता है. स्वर्ण निर्माण की
पद्धतियाँ,सूर्य विज्ञान के गोपनीय सिद्धांत,विभिन्न सिद्धियों की प्राप्ति,
अमृतत्व का संचार आदि इस सूक्त के ज्ञान द्वारा संभव हो जाता है.
जब हम साधना करने
के लिए तत्पर होते हैं तो सफलता प्राप्ति के या सिद्धि प्राप्ति के चिन्हों या
संकेतों को हम समझना चाहते हैं,जिससे हम उस मार्ग में आ रही बाधाओं को पूर्णतयः
पार कर सकें.वैसे तो बहुत से ऐसे संकेत होते हैं जिनके द्वारा सिद्धि असिद्धि को
समझा जा सकता है,किन्तु स्वप्न के द्वारा हमें अचूक ज्ञान की प्राप्ति होती है,और
यदि निम्न क्रिया का प्रयोग साधक अपने जीवन में कर ले तो वो ना सिर्फ भविष्य सूचक
स्वप्न संकेतों को समझने लगता है अपितु वो व्यक्ति विशेष से भी सम्पर्कित हो सकता
है,मतलब जिस व्यक्ति के,व्यवहार,चरित्र,हाल चाल को उसे जानना है,उस व्यक्ति की ये
सब जानकारियाँ भी उसे स्वयं के स्वप्न के माध्यम से पाता चल जाती हैं.
किसी भी सोमवार की रात्रि को ९ बजे के बाद पूर्णतया
शुद्धावस्था में श्वेत वस्त्र धारण कर सफ़ेद आसन पर बैठ जाएँ,और सामने भूमि पर सफ़ेद
कपडा बिछाकर,उस पर केसर मिश्रित सफ़ेद चन्दन के द्वारा एक गोला बना लें,गुरु पूजन
और गणपति पूजन के बाद घी का दीपक जला कर,उस गोले में अनामिका ऊँगली से “सों सोमाय नमः” लिख दें और फिर उस गोले को सफ़ेद अक्षत से भर दें,इसके
बाद सामने एक चांदी के अथवा ताम्बे के पात्र में जल भर कर उन अक्षतों के ऊपर
स्थापित कर दें.फिर स्थिर चित्त होकर स्फटिक या सफ़ेद हकीक माला से १ माला “ॐ ह्रीं श्रीं चन्द्रायै नमः” मंत्र की करें और इसके बाद निम्न ऋचा
का ३ माला जप करें और जप के बाद उस पात्र पर फूँक दें अर्थात १ माला जप के बाद एक
फूँक मारना है.
आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं
पिंगलां पद्ममालिनीम् |
चन्द्रां हिरण्यमयीं लक्ष्मीं
जातवेदो म आवह ||
जप के बाद पुनः पहले
वाले मंत्र की १ माला करना है,और जप के पश्चात उस जल का पान कर लेना है,जल का पान
किसी और पात्र में लेकर करना है,ये क्रम ५ दिनों तक करना है और उसके बाद आगे के
दिनों में सोने के पहले २१ बार उपरोक्त ऋचा का जप करके जल पी लें. और सो जाए.साधना
कार्य कर रही इसका पता आपको ऐसे लगेगा की अब आप स्वप्न भूलेंगे नहीं,आगे समय के
साथ आप उसके गूढार्थ को भी समझने लगेंगे और वो आपको स्मरण भी रहेगा,तथा अब आपको
जिसके बारे में जो जानना है आप उसे एक सफ़ेद कागज पर हल्दी से लिख कर अपने तकिये के
नीचे रख कर सो जाएँ,आपको स्वप्न में उसकी अवश्य जानकारी प्राप्त हो जायेगी, ये
साधना आपको भविष्य संकेतों की सूचना देती है जो की स्वप्नेश्वरी साधना से प्रथक
विधान है,साथ ही इस प्रयोग को संपन्न करने वाला व्यक्ति दु:स्वप्नों और स्वप्नदोष
जैसे विषाक्त प्रभावों से भी मुक्त हो जाता है,तथा वो यदि किसी और व्यक्ति को इस
साधना का ५ दिन का क्रम पूरा करने के बाद अभिमंत्रित जल दे दे तो उसके सेवन से वो
व्यक्ति भी इन बाधाओं से मुक्त हो जाता है,तथा साधक अपनी साधना में अपनी गति को तो
इस साधना के द्वारा समझ ही लेता है.वास्तव में ये चंद्र नाड़ी को जाग्रत करने का
सरल विधान है जिसे हमें करना ही चाहिए,साथ ही यदि व्यक्ति रजनी निखिल दीदी द्वारा लिखित BHAGWATI
BAGLAMUKHI TANTRAM - MAYA KAAL DRISHYAANVITA PARASHAKTI PRAYOG कर लेता है तो वो इड़ा और पिंगला नाड़ियों की शक्ति को भी
प्राप्त करने की ओर अग्रसर हो जाता है,जिससे पराविज्ञान का मार्ग उसके लिए प्रशस्त
हो ही जाता है.साधनाएं मात्र पढ़ने के लिए नहीं है,अपितु इन सरल विधानों को भी हम
ना कर पाए तो अब दोष किसका है.
“निखिल प्रणाम”
****ROZY NIKHIL****
****NPRU****
3 comments:
Namaskaar Rozy Nikhil ji,
a very important saadhanaa and my heartfelt thank you for sharing the same with us. i have a question as to the direction (dishaa)to face. i feel it should be North, but i may be wrong. please guide.
ravi bhai ji , thanks for your kind response .
smile
anu
Namaskar Rozy Nikhilji ...i have one question ..what to do all the stuff like (Akshat,and that chandan cube)..??? and also after 5 days i need to do only jaap (maala )?? no need for all the stuff things again..?? thanks in advance for reply..
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