It has been told in Vedas and
Upnashid that for imbibing big achievements in sadhna world Guru, complete procedure, suitable place, authentic sadhna
material and complete dedication is required…….but one most important
Shakti which has not been studied deeply but that Shakti is so much important
in itself that if it is not attained them all shaktis and siddhis are left
useless and that invaluable power is……our body!!!!!!!.There
is mention of supremacy of human body in Indian Tantra scriptures in two
ways…..One is controlling power of whole universe,
present in the form of our brain, which has been given the pace of Brahma and
Shiva since it has got the capability to create and destroy universe. Second
one is present in the form of Mahashakti Maha Maaya which is called in tantra
as Para Shakti and which is present in each and every particle of whole universe.
But human is only one creature that cannot only activate it but also make it
conscious and can utilise it as per his capacity.
In sadhna world, if there is
any fact or thing which is valuable after soul or almighty, then it is …Human Body…..because as
our soul has been called subtle form of supreme , in the same way our body is
the miniature copy of whole universe since firstly whole universe is created by
unification of Panch Mahabhoots i.e. earth, sky, fire,
water and air and thereafter from those five elements our body was
created which are called in tantra as Panchaagni……and
under this only, from earth element skin and
nerve-branches were created, from water element blood, urine and sperm was created,
fire gave rise to hunger, desire, love and sex , air (Vayu) is present in form
of Praan Vayu in our body and sky element gave birth to feelings of Kama, greed
and fear.
For finding out our Isht
God/Goddess also, calculation is done from the day when our physical body was
born. It is because of the fact that the element which is present in major
proportion in our body, our mind will get attracted towards god and goddess
related to that element. For example, it is natural to
be attracted towards Lord Vishnu for Aakash element, towards Maa Aadi Shakti
for fire god, towards Lord Bhaskar for air element, towards Bhagwan Bholenaath
for earth element and towards Vighnharta Lord Ganpati for water element. And
one of the benefits of this is that we come to know about out Isht Dev.
In yog Shastra, entire
universe has been described considering human body as clod and human body parts
have been identified with goddess powers. For exhibiting the significance of
body, our sages have even told that human’s voice, his
mind, praan and bindu are reliable sources of entire Goddess powers.
Therefore Para Shakti of almighty is activated the most in human body in form
of Ichha, Gyan and Kriya. In our body centre of
these three Para Shaktis is heart, brain and navel respectively. And maybe you can understand the
importance of this thing better by the fact that this Para Shakti is not even
activated in Gods since they are Bhog Yoni
whereas we are in Karm Yoni.This Shakti is
situated in our body in the form of Kundalini
without activating which we can’t move forward.
In Tantra shastra,
female are seen as form of Maa Aadi Shakti and her body is worshipped in
Kamakhya form because if females are not
considered as object of sexual gratification then accomplishing her in form of
Bhairavi, we can become eligible to attain blessing of Maa Aadi Shakti. It is because of the fact that three powers Brahmi, Vaishnavi and Roodri are present in body of
every female in the form of triangle. Therefore this triangle is called
Yoniroopa and worship of these Shaktis is done in form of Yoni Peeth in which Gyan
Shakti is situated in left angle, Iccha Shakti is situated in right angle and
Kriya Shakti in the lowermost angle. It has been considered as centre of
Kundalini Shakti in Yoga.
And by activating this
kundalini, we can remain in state of Samadhi for hours, months and years. My
master is live example of it who made me do Aasan
siddhi sadhna for making my body suitable for sadhna. I had seen his
aasan rise above the ground during the sadhna time from my eyes and he was
doing sadhna on that aasan. I saw the miracle of aasan siddhi for the first
time so I could not believe my eyes that whatever I was seeing is true or is it
an illusion? He told me later that if your body is under your control and you
love it in the form of Goddess Shakti then you can also do this. If body is
weak and energy-less than self-reflection is not possible. It has got its own
importance. It is not lay-figure made up of bones and flesh rather it is Shakti
made up of energy of senses. And you cannot fight with Shakti; you can only
accomplish it….and this is highest sadhna.
Nikhil Pranaam
साधना
जगत में आत्मा और परमात्मा के बाद यदि कोई तथ्य या वस्तु बहुमूल्य है तो वो है – मानव शरीर.....क्योंकि जिस प्रकार परमात्मा का सूक्ष्म
रूप या अंश हमारी आत्मा को कहा गया है ठीक वैसे ही हमारा शरीर इस पूरे ब्रह्मांड
का लघु संस्करण है क्योंकि पृथवी, आकाश, अग्नि, जल, और
वायु इन पंच महाभूतों के एकीकरण से पहले इस समस्त बह्मांड की रचना हुई और
फिर उन्हीं पंच तत्वों से हमारे इस पंच-भूतक शरीर को भी निर्मित किया गया जिसे तंत्र में पंचाग्नि कहते हैं......और इसी के तहत पृथ्वी तत्व से हमारे शरीर में चरम और नाड़ीयों का संग्रह बना,
जल तत्व से रक्त, मूत्र और वीर्य न निर्माण हुआ, अग्नि ने हममें क्षुधा, तृष्णा,
मोह और मैथुन उत्पन्न दिया, वायु प्राणवायु के रूप में हमारी देह में विधमान है और
आकाश तत्व ने हममें काम, लोभ और भय जैसी भावनाओं को जन्म दिया.
हमारे
इष्ट देव का पता लगाने के लिए भी उस दिन से गणना की जाती है जिस दिन हमारी आत्मा
ने एक भौतिक देह को धारण करके इस लोक में जन्म लिया था क्योंकि यह एक निर्धारित
तथ्य है की हमारे शरीर में जिस भी तत्व की प्रधानता होगी हमारा मन स्वत: ही उससे
संबंधित देवी, देवता की और आकर्षित होता है जैसे आकाश
तत्व के साथ भगवान विष्णु, अग्नि देव के साथ जगतजननी माँ आदिशक्ति, वायु तत्व के
साथ भगवान भास्कर, पृथ्वी तत्व के साथ भगवान भोलेनाथ, और जल तत्व के साथ
विघ्नहर्ता भगवान गणपति की तरफ आकर्षित होना स्वाभाविक है और इसका एक फायदा यह है
की हमें पता चल जाता है की हमारा इष्ट देव कौन है.
योग
शास्त्र में मनुष्य के शरीर को पिंड मानकर इस पूरे ब्रह्मांड की व्याख्या की गयी
है की मानव देह के किस अंग में कौन सी दैवी शक्ति विराजमान है और इस देह की महत्ता
को दर्शाने के लिए हमारे मनीषियों ने तो यहाँ तक बताया है की मनुष्य की वाणी, उसका मन, प्राण और बिंदु सब अपार दैवी शक्तियों के आश्रय
स्रोत हैं इसीलिए ईश्वर की पराशक्ति इच्छा, ज्ञान
और क्रिया के रूप में सबसे अधिक मानव शरीर में ही जाग्रत है. हमारी देह में
इन तीनों पराशक्तियों के केन्द्र क्रमशः हृदय, मास्तिष्क
और नाभि हैं और इस बात का महत्व इस तथ्य से शायद आप ज्यादा अच्छे से समझ
सकें की यह ईश्वरीय पराशक्ति देवताओं में भी जागृत नहीं होती क्योंकि वो भोग योनी में है जबकि हम कर्म
योनी में और हमारे शरीर में यह शक्ति कुंडलिनी
के रूप में आश्रित है जिसे जाग्रत किये बिना आगे का मार्ग प्रशस्त नहीं हो सकता.
तंत्र शास्त्र में ही स्त्री को माँ आदिशक्ति के रूप में देखा
जाता है और उसकी देह पूजा माँ कामाख्या के रूप में की जाती है क्योंकि यदि
स्त्री को केवल भोग की वस्तु ना समझा जाए तो उसी को भैरवी के रूप में साध के आप
माँ आदिशक्ति के आशीर्वाद के पात्र बन सकते हो क्योंकि ब्रह्मी,
वैष्णवी और रौद्री यह तीनो शक्तियाँ एक त्रिकोण के रूप में हर स्त्री के
शरीर में स्थापित है इसीलिए इस त्रिकोण को योनिरुपा
कहा जाता है और इन शक्तियों की पूजा योनी पीठ के
रूप में की जाती है और वास्तव में देखा जाए तो हर स्त्री का शरीर अपने आप में एक
योनी पीठ है जिसके बाएं कोण में ज्ञान शक्ति, दायें कोण
में इच्छा शक्ति और सब से नीचे वाले कोण में क्रिया शक्ति स्थापित है और योग में
इसे कुंडलिनी शक्ति का केंदर माना गया है.
और
इसी कुंडलिनी को जाग्रत कर हम घंटों, महीनों या सालों समाधि की अवस्था में रह सकते
है और इसका एक जीवंत उदाहरण मेरे मास्टर है जिन्होंने मुझे शरीर को साधना हेतु
योग्य बनाने के लिए आसन सिद्धि की साधना करवाई थी क्योंकि
मैंने मेरी आँखों से साधना के समय उनका आसन भूमि से उपर उठा देखा था और वो उस पर
साधना रत थे, पहली बार आसन सिद्धि का चमत्कार देखा था,तो अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था की जो देखा है वो सच है या मेरी
आँखों का भ्रम पर बाद में उन्होंने समझाया की यदि तुम्हारा शरीर तुम्हारे नियंत्रण
में है और तुम उसे एक दैवी शक्ति के रूप में प्यार और स्नेह करते हो, तो यह सब तुम भी कर सकती हो क्योंकि यदि शरीर कमजोर और ऊर्जा रहित है तो
आत्म चिंतन सम्भव नहीं, इसका अपना एक मूल्य है. यह केवल हड्डियों और मांस से बना
एक पुतला नहीं बल्कि इन्द्रियों की ऊर्जा से निर्मित एक शक्ति है और शक्ति के साथ
आप संघर्ष नहीं कर सकते उसे केवल साध सकते हो.....और यही सर्वोच्च साधना है.
निखिल प्रणाम.
****ROZY NIKHIL****
1 comment:
Aapne jo AASAN SIDDHI sadhana bataya hai. Kya aap mujhe bhej sakte hain. Mai mushkil se sadhana mai 1 hour bait sakta tha. ATMA CHETANA sadhana karne ke baad mai 1.5 -2 hours bait sakta hoon. 1.5 hours ke baad baitne ki wajja se pair mai dard hone ke karan teek se sadhana mai concentrate nahi kar sakta. IS se sadhana mai interest bhi kam hone laga hai. Kya koi sadhana hai jis se 7-8 hours at a strech bait sakte hai taki kamse se kam 100 mala ka jap ek hi baitak mai ho jaye. Mujhe
aasha hai aap iske bare mai jaankari denge. Kya is ke Rakt Kan Kan Mai Guru Sthapan prayog karna padega jisse jameen se upar utkar sadhana sampan kar sakte. Is sadhana ke bare mai bhi thodi jankaari de.
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