Sunday, September 16, 2012

DURBHAGYA NASHAK LAKSHMI GANESH PRAYOG(दुर्भाग्य नाशक लक्ष्मी गणेश प्रयोग)



In the continuous flow of life, all the activities which happens with us or the work we do, we attain results of these Karmas in favourable or unfavourable form. The base of this attainment of result is Bhagya (Fate).The fact which primarily forms the base in result of particular work in life is Bhagya. Unfavourable fruits propagated from previous karmas and vision of favourableness and unfavourableness which falls on our life-tenure due to karmas of this life and previous lives is Bhagya. If they are favourable then it is Saubhagya (good-fortune) and if it is unfavourable then Durbhagya (Ill-fortune).Coming of obstacles in work of life, non-fulfilment of any work, if work is completed, then not getting results or not getting desired results and getting unfavourable results, all these are unfortunate circumstances. In one way, it is cleansing of fault which happens according to our karmas of this life or past-life karmas.

Sadhak daily chants Guru Mantra. By it, sadhak gets liberation from previous and current life evils. For liberation from evils, sadhak beside doing supreme procedure of chanting of Guru Mantra should do the procedures related to below sequence. Many sadhaks face the money-related or prosperity related problem and doing sadhnas related to wealth-attainment do not yield that much fast results or the wealth-related problem is solved for shorter duration but then same problem comes again. In such state, sadhak should follow the below sequence
Durbhagya Naashan Prayog
Bhagyoday Prayog
Lakshmi Sthapan Prayog
After this, when sadhak does any sadhna related to Lakshmi then sadhak definitely attains complete success in sadhna. The first procedure mentioned in this sequence, prayog related to it given here.This prayog , if sadhak start on 19th of this month (Fourth date of Shukl Paksha of Bhadrapad- Ganesh siddhi Divas) , then it is best for sadhak


This is 8-day prayog which can be started on any Friday too.
Start this prayog in night after 10 P.M
Aasan and dress will be yellow. Direction will be east.
Sadhak should make the yantra given here on Bhoj patra by vermillion.
Place one wooden Baajot in front and spread yellow cloth on it.
Place the yantra made on Bhoj Patra on that yellow cloth. Side by side, place any idol or picture of Ganesh near that yantra. Sadhak should do maansik poojan after it.
After poojan, sadhak should start mantra Jap.
Mantra : OM SHREEM MAHAGANPATYE SARV DURBHAGYA NAASHAY NAASHAY SHREEM OM
Daily 11 rounds of this mantra should be chanted. Chanting of the mantra should be done by Kamalgatta rosary /Sfatik Rosary/ Rudraksh or Moonga rosary.
On the last day of sadhna, when mantra-jap is completed, on that night sadhak should ignite fire in any container and offer 101 oblation of honey in fire, it is best. If sadhak is not able to offer oblation then he should chant mantra twice the number of oblations.
On the next day, sadhak should set up yantra, picture or idol in worship place and rosary and oblation should be immersed in river, pond or ocean.

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जीवन की नित्य गति में जो भी क्रियाकलाप हमारे साथ होते है या फिर जो भी कार्य हम करते है उनके कर्मफल प्राप्ति हमें अनुकूल या प्रतिकूल रूप में होती है. इस परिणाम प्राप्ति का आधार ही भाग्य है. जीवन में कार्य विशेष के परिणाम में जो तथ्य मुख्य रूप से आधार रखता है वह है भाग्य. पूर्व कर्म से संचारित प्रतिकूल फल तथा इस जीवन और विगत जीवन में किये गए कार्यों के अनुरूप अनुकूलता तथा प्रतिकूलता की द्रष्टि हमारे जीवनकाल में पड़ती है वही भाग्य है. वह अनुकूल हो तो वह सौभाग्य है तथा प्रतिकूल हो तो दुर्भाग्य.
जीवन के कार्यों में बाधा आना, किसी भी कार्य का परिपूर्ण न होना, कार्य अगर सम्प्पन हो भी जाये तो उसका फल न मिलना, या फिर इच्छित फल की प्राप्ति न होना और प्रतिकूल फल की प्राप्ति होना यह सब दुर्भाग्य परिवाचक परिस्थितियाँ है. एक प्रकार से यह दोष का परिमार्जन है जो की हमारे इस जन्म या विगत जन्मो के किये गए कार्यों के अनुरूप होता है. फिर इस प्रकार की परिस्थिति से बचना किस प्रकार संभव है.
साधक गुरुमंत्र का नित्य जाप करता है उससे साधक के पूर्व तथा वर्त्तमान जीवन के दोषों की निवृति होती रहती है. दोष निवृति के इस सर्वोच्च प्रक्रिया अर्थात गुरुमंत्र के जाप को करने के अलावा साधक को निम्न क्रम से सबंधित प्रक्रियाओ को सम्प्पन करना चाहिए. कई साधको को धन से सबंधित या वैभव से सबंधित समस्याओ को सामना करना पड़ता है तथा धनप्राप्ति सबंधित साधनाओ को करने पर परिणाम उतनी तीव्रता से नहीं मिल पता है या फिर वह धन सबंधित समस्या का निराकरण अल्प काल के लिए हो जाता है लेकिन फिर वापस वही समस्या आ जाती है. एसी स्थिति में साधक को निम्न क्रम अपनाना चाहिए.
दुर्भाग्य नाशन प्रयोग
भाग्योदय प्रयोग
लक्ष्मी स्थापन प्रयोग
इसके बाद साधक लक्ष्मी से सबंधित कोई भी साधना को सम्प्पन करे तो साधक को निश्चय ही साधना में पूर्ण सफलता की प्राप्ति होती है. इसी क्रम में जो प्रथम प्रक्रिया है उससे सबंधित प्रयोग यहाँ पर दिया जा रहा है. यह प्रयोग साधक इस महिने  कि १९ तारीख को भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी – गणेश सिद्धि दिवस पर शुरु करे तो साधक के लिए उत्तम है.


यह ८ दिवस का प्रयोग है जिसे किसी भी शुक्रवार से भी शुरू कर सकते है.
इस प्रयोग को रात्रि काल में १० बजे के बाद शुरू करे.
आसन तथा वस्त्र पीले रंग के रहे. दिशा पूर्व रहे.
साधक कुमकुम से भोजपत्र पर दिए गए यन्त्र का निर्माण करे.
अपने सामने लकड़ी का बाजोट रखे और उस पर पीला वस्त्र बिछाए.
जो भोजपत्र के ऊपर यंत्र बनाया गया है उस यन्त्र को पीले वस्त्र के ऊपर रख दे. साथ ही साथ गणेश की कोई प्रतिमा या चित्र भी उस यन्त्र के पास में रख दे. साधक इसके बाद मानसिक पूजन सम्प्पन करे. 
पूजन के बाद साधक मंत्र जाप प्रारंभ करे.
मन्त्र : ॐ श्रीं महागणपतये सर्व दुर्भाग्य नाशय नाशय श्रीं ॐ
नित्य ११ माला मंत्र जाप होना चाहिए. यह मंत्रजाप कमलगट्टे की माला / स्फटिक माला / रुद्राक्ष माला या मूंगा माला से करना चाहिए.
साधना के आखरी दिन जब मन्त्रजाप सम्प्पन हो जाए तो उसी रात्रि में साधक किसी पात्र में अग्नि को प्रज्वल्लित करे और इसे मन्त्र से शहद की १०१ आहुति अग्नि में समर्पित करे तो उत्तम है. अगर साधक आहुति देने के लिए किसी भी प्रकार से समर्थ न हो तो आहुति की संख्या से दोगुना मंत्रजाप सम्प्पन कर ले.
दूसरे दिन साधक यन्त्र चित्र या विग्रह को पूजा स्थल में स्थापित कर दे और माला और आहुति का निर्माल्य नदी तालाब या समुद्र में विसर्जित कर दे.

****NPRU****

2 comments:

Unknown said...

Arif bhaiya. Can i have your contact no or email id. Its urgent. Ravi Satyadarshi

Unknown said...

priy ravi bhai ji , abhi aarif bhai town me nahi hain to jayadachchaa hoga aap unhe em al kar den ya facebook me unhe personal message kar den ..
smile
anu