कुछ ऐसी साधनाए हैं किनका महत्त्व /प्रभावशालिता /उपयोगिता अपने आप में अद्वितीय हैं पर कितने लोग इन तथ्योंको जानते हैं .
- क्या कोई एक ऐसी साधना हैं जो दिन प्रति दिन की समस्याओ से निजात दिला सके?
- क्या कोई एक ऐसी साधना हैं जो हमारा बुरे भाग्य को शुभता में बदल सके ?
- क्या कोई एक ऐसी साधना हैं जो पितृ दोष, वास्तु दोष , ओर नव गृह दोष को भी बदल सके ?
- क्या कोई एक ऐसी साधना हैं जो हमारी आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग में आने वाली रूकावटो को भी बदल सके ?
- क्या कोई एक ऐसी साधना हैं जो हमें भौतिक ओर आध्यात्मिक दोनों उन्नति प्रदान कर सके ?
- क्या कोई एक ऐसी साधना हैं जो समस्त तांत्रिक साधनाओ का आधार हो ओर हमें सफलता प्रदान करवा सके ?
और में यह कहता हूँ की एक ऐसी साधना हैं जो इन सारे प्रश्नों के उत्तर हाँ में दे सकती हैं हमारे जीवन की सर्वांगीण उन्नति में सहयोगी हैं तो वहसाधना हैं " कुमारी पूजन साधना " परन्तु इस का हमारी साधना की सफलता से क्या सम्बन्ध हो सकता हैं .
और यह साधना /पूजन तो नवरात्रि काल में होता हैं तब इसका यहाँ पर देने का क्या उदेश्य हैं . यह हमारी अज्ञानता हैं की हम सभी साधनाओ के मूल आधार साधन के बारे में न तो जानते हैं नहीं उसकी और ध्यान देना चाहते हैं . पूजन तो चलो ठीक हैं इसे सरल माना जा सकता हैं पर जब इसकी गहनता , गंभीरता , उच्चता से इसके बारे में जाने तब समझ पाएंगे की क्या हैं यह साधना पूजन पद्धति. और सब ये जानने के बाद यह हिकः पाएंगे की यह तो मेरा दुर्भाग्य था की में इस साधना के विषय में नहीं जान पाया .
जगदम्बा साधना cd में सदगुरुदेव जी कहते हैं की माँ जगदम्बा साधना के लिए किसी भी विशेष समय की आवश्यकता नहीं हैं . जिसे जब भी समय मिले वह इस साधना को कर सकते हैं . कुमारी पूजन साधना भी माँ जगदम्बा साधना का ही एक रूप हैं . स्वामी विशुद्धानंद ओर माँ आनंद मयी जैसे उच्च कोटि के महा योगी यो ने भी भूरी भूरी प्रसंशा की हैं .
पर ऐसा क्यों जबकि पुरुष ओर महिला एक बराबर साधना क्षेत्र में माने जाते हैं तब यह विशेषता एक ही पक्ष मतलब कुमारी की और हो क्यों . हाँ यह बात सही हैं की पुरुष ओर महिला दोनों ही बराबर हैं . पर यह भी तो सत्य हैं की इस विश्व में कोई भी दो चीज एक जैसी नहीं होती हैं . हर की कोई न कोई विशिष्ट विशेषता होती ही हैं . जिस तरह से पुरुष को शिव स्वरुप माना जाता हैं वही महिला स्वरुप को शक्ति का प्रतीक माना जाता हैं . पर बिना शक्ति के शिव भी शव के सामान हैं .
क्या आप जानते हैं की सिद्धाश्रम / ज्ञानगंज में कुमारी पूजन साधना को सर्वोपरि साधना माना जाता हैं हमारे प्राचीन तन्त्रचार्यो ने नारी को शक्ति का स्वरूप माना गया हैं साथ ही साथ उन्होंने कुमारी स्वरुप को शक्ति का सर्वाधिक प्रभावशाली प्रतीक माना हैं . यहाँ तक की उन्होंने आयु के आधार पर किन किन शक्ति विशेष का प्रभाव ज्यादा प्रदर्शित होता हैं .
- १ वर्ष --- संध्या
- २ वर्ष -- सरस्वती
- ३--- त्रिधामुर्ती
- ४-- कलिका
- ५-- सुभगा
- ६-- उमा
- ७-- मालिनी
- ८ कुब्जिका
- ९--- कलासन्दर्भ
- १० अपराजिता
- ११ रुद्रानी
- १२ भैरवी
- १३ महालक्ष्मी
आप इन कन्याओ को अत्यंत ही विनम्र भाव से आमंत्रित करे ओर इनकी संख्या एक तीन पांच इसी क्रममें हो सकती हैं . इन्हें माँ पराम्बा का स्वरुप मान कर इके चरण को जल से धोएं . फिर अपने ही वस्त्रो से पौछे . फिर तिलक लगाने के उपरान्त इन्हें विभिन्न प्रकार के भोज्य पदार्थ अर्पित करे . फिर इनके चरणस्पर्श करे साथ ही साथ योग्य कोई वस्त्र भेंट करे और यथा योग दक्षिणा में इतना अर्पण करे की ये कन्या आपके यहाँ से प्रसन्नभाव से जाये .( कुछ लोग दक्षिणा कम देते हैं पर वे यदि इस ओर ध्यान दे की इस पूजन की और उन कन्याओ की प्रसन्नता का क्या मूल्य होगा .. तब वह ये सब नहीं कर पाएंगे )
किसी भी हालत में नमक अर्पित न करे
भोजन के उपरान्त पान अर्पित करे.
जब कुमारी प्रसन्न होकर जायेगी तो मानो माँ पराम्बा ही प्रसन्न हुयी हैं .
कुमारी पूजन की इसलिए महत्ता हैंकि सृष्ठी के प्रारंभ में माँ नित्य लीला विहारणी का यही स्वरुप रहता हैं जो की कुमारी स्वरुप हैं .
अनेक व्यक्ति किसी शक्ति पीठ विशेतः महापीठ पीठ माँ कामख्या पीठ में इस तरह का पूजन करवाते हैं उन्हें की अवश्य लाभ मिलता हैं ओर कितना ? उसे लिख पाने में असमर्थ हु. क्या माँ के इस रूप के प्रभाव की कोई सीमा हैं .
जब भी आपका मन हो, २१ st को , कृष्ण पक्ष की अष्टमी को ,या किसी भी साधना पूरी करने के के उपरान्त आप इस को कर सकते हैं . जिनके पास किसी भी बड़ी साधना को करने का समय नहीं हो वह इस को करके अपने जीवन में सर्वांगीण लाभ प्राप्त कर सकते हैं . जिनके ऊपर माँ की कृपा हो उसे भला कौनसी चिंता ....
आज के लिए बस इतना ही ..
**************************************
There are many sadhana which seems easy but their effectiveness/importance /applicability are much much higher, only very few people knew,
· Can any single sadhana solve our day to day problem?,
· Can any single sadhana change our fate from bad to good? ,
· can any single sadhana which removes from us pitra dosh, vastu dosh , and off course nav grah dosh too ?
· can any single sadhana removes all the obstacles that may come on the way of spiritual progress ?
· can any single sadhana help us to grow materially and spiritually? ,
· do you know any single sadhana / poojan which provide the basic foundation of the success of all the tantraik sadhana?
And in the last, if I says , one sadhana which provide answer to all the question and gives us so much benefit of course all theses question have one answer …..
And the sadhana is “kumari poojan sadhana” but why that is here, is there any relation to this sadhana to the success of our sadhana.
But this is the poojan/sadhana generally held in time of navratri, than why it is being mentioned here. This shows our ignorance that the basic sadhana of all the sadhana , we all forget and not pays much attention towards this , yes the poojan seems easy but when you look into the seriousness and height of thinking and importance in our life , one can say that its my unfortunate /bad luck that still I do not understand that .
it is the fact Sadgurudev ji in jagdamba sadhana cd says that for jagdamba sadhana there is no pre fix time in year , one can do that sadhana as and when he find the time suitable to him so this kumari poojan is also a form of jagdamba poojan . many great sadhak of our country like paramhansa swami vishuddhaanand ji , ma Anandamoyee and many more emphases too much on that .
But why , when man and woman are equal , than why such a emphysis on one side only . yes true that man and woman are equal , but this is also true that in this world no two things are alike, every one has own unique quality. As the same way man are consider as a form of shiv and woman as a shakti , and without shakti even shiv became as a corpse or shav.
Do you know which one of the sadhana is ritual is consider highest in siddhashram and in Gyanganj ,yes this “kumari poojan sadhana “ is the highest poojan sadhana, actually kumari poojan is nothing but the poojan of basic form of ma kamakhya . this is the poojan sadhana of ma paramba. Ma aadhi shakti . than how it can be considered it as take it easy form..
Nearly All the sadhana are for/are based on shakti . our ancient tantrachary not only consider female part is as shakti but they also indicate that unmarried girl has some more reflection of shakti . and they divided the group as per the age group and named them like
Girl age up to age of 16 years have different names
1 year --- sandhya
2—saraswati
3---tridhmurti
4—kalika
5—subhaga
6—uma
7—malini
8--- kubjika
9—kalasandarbha
10—aparajita
11- rudrani
12--- bhairvai
13—mahalakshmi
while offering one can call with politeness and their number be like one, three five seven like that , if not possible than one girl is sufficient. One should consider the girl called for kumara poojan as a form of mother divine, first wash their feet with feeling that he is washing lotus feet of mother divine. Then through his own cloth , removes the water particle still on the feet. Than apply tilak and offer various food already prepared for them and after this offer if possible a cloths as per your capacity and touch her feet and also offer some money a as dakshina, that should be enough so that she will be happy ( many people does not understand that what is the value of that happiness, they generally avoided the enough money to offer and this only weakness, snatched her blessing,
One always remember that “salt” should not be offer to kumari at any cost.
Than one should offer tambul or paan to the end of bhojan/food offering to them. To the kumari .
When kumari is happy this means mother divine became happy , great sadhak also advice us that consider that kumari not a percent less than the ma paramba.
But why the kumari form ? … is because in the beginning , ma nity lila viharaini ma parmba forms is of a kumari.
Many people do that in the shakti peeth and specially in ma kamakhya maha yoni peeth this sadhana poojan gives you unlimited/countless blessing and what more left for me to mentioned that , is not sufficient that all the world is governing by the same kumari ma or ma jagdamba or ma paramba.
And one can do this process even after completion of any sadhana or on every 21 st of month or ashtmi of moon dark period. Even if you are not able to do any big sadhana do this ,when you have time and money , surely all your problem gone and will lead a happy comfortable life. Surely he will receive the aashirvaad of maa. When his divine blessing falls upon you. Than any condition makes you unhappy or sad……..
Thats enough today’s
Tantra kaumudi :(monthly free e magazine) :Available only to the follower of the blog and member of Nikhil Alchemy yahoo group
Kindly visit our web site containing not only articles about tantra and Alchemy but on parad gutika and coming work shop info , previous workshop details and most important about Poojya sadgurudevji
****NPRU****
No comments:
Post a Comment