ज्ञान का प्रचार किया था.भगवान दत्तात्रेय के आशीर्वाद से वे साधना क्षेत्र में नए मंत्रो की रचना करने में समर्थ थे और इसी तरह उन्होंने करोडो साबर मंत्रो की रचना की जो की संस्कृत भाषा में न होते हुए सामान्यजन भाषा में थे. जिससे सामान्य व्यक्ति भी सफलता को प्राप्त करने लगा जो की उन्हें पहले उच्चारण दोष की वजह से नहीं मिल पाई थी. इस तरह ९ नाथ ने अपना कार्य पूर्ण किया, चूँकि वे मनुष्य योनिज नहीं थे, वे आज भी उनके मूल शरीर में विद्यमान है और आज भी कई साधको को सशरीर आशीर्वाद देते है. ८४ सिद्धो के लिए भी यही मान्य है. ८४ सिद्ध आज, जगत के आध्यात्म में भारतीय सिद्ध प्रणाली की एक महत्वपूर्ण भूमिका है. साधना जगत में इसे आश्चर्य ही कहा जाएगा अगर कोई साधक ९ नाथ व् ८४ सिद्धो के बारे में नहीं जनता हो. ९ नाथ वह प्रारंभिक व्यक्तित्व है जिन्होंने साधना की उच्चतम स्थिति को प्राप्त किया था और अघोर वाम कॉल साबर और योग के विशेष साधनात्मक जिसमे कई सिद्ध नाथ का भी समावेश होता हे वह वो मंडली हे जो की सबसे उच्चतम साधनात्मक स्थिति को प्राप्त साधको की मंडली मानी जाती है जो की तांत्रिक व् योग्तान्त्रिक साधनाओ में निष्णांत है, उनमेसे कुछ रसायन में भी सिद्धहस्त है. इन महान सिद्धयोगियो का आशीर्वाद लेना व् उनसे साधना के क्षेत्र में मार्गदर्शन लेना किसीभी साधक का सर्वोच्च भाग्योदय व् एक मधुर स्वप्न सामान है.
इस विषय में एसी कई साधना हे जो साधक की इस इच्छा को पूर्ण करे. लेकिन यह करिये बहोत ही कठोर और समय लेने वाली होती हे फिरभी साधको की मन की छह होती हे एसी साधनाए करना. फिर भी इन कठोर साधनाओ के मध्य भी एक ऐसी साधना हे जो सहज हे अगर इसे दूसरी साधनाओ के साथ देखा जाए तो और यह साधना साधक उन महान व्यक्तित्व के आशीर्वाद प्राप्त करने की अपनी महेच्छा को पूर्ण करा सकती है. यह साधना को मेने सदगुरुदेव से प्राप्त किया था.
साधना के लिए साधक के पास एक अलग कमरा हो जिसमे दूसरा कोई भी व्यक्ति प्रवेश न करे. इस साधना में कठोर नियमोंका पालन करना पड़ता है.
ब्रम्हचर्य पालन अनिवार्य है
भोजन में एक समाज फलाहार लिया जा सकता है, दूध कभीभी ले सकते है. साधक को और कुछ भी ग्रहण नहीं करना चाहिए
साधना काल में साधक कोई भाई व्यसन जैसे की मदिरा या तम्बाकू का युअग कर दे
साधना काल में क्षोरकर्म न करवाए
साधना काल में क्षोरकर्म न करवाए
साधना कक्ष का फर्श गोबर से लिपा हुआ हो
आसान और वस्त्र पीले रंग के हो. दिशा उत्तर हो.
अपने सामने पूजास्थान पर एक सुपारी रखे, यह सिद्ध का प्रतिक है. इसका नियमित पूजन करे. भोग में मिठाई का उपयोग कर सकते है. ताजे फूल ही उपयोग में लाए.
अखंड दीप प्रज्वलित करना है जो की पुरे साधना काल दरमियाँ जलता रहे.
रात्रि में ९ बजे के बाद स्फटिक माला से निम्न मंत्र का जाप करे
ओम प्रकट सिद्ध अमुकं प्रत्यक्ष आण महादेव की
अमुकं की जगह इच्छित सिद्ध के नाम का उच्चारण करे
कुल १,२५,००० मंत्र जाप होने चाहिए जिसे २१ या कम दिनों में पूरा करना है. मंत्रजाप की संख्या रोज एक ही रहे.
साधना के अंतिम दिन सिद्ध सशरीर प्रत्यक्ष होते है और इच्छापूर्ति का आशीर्वाद देते है.
The siddha tradition of india is one of the major role play in the spiritualism today. In sadhana world, it would be surprise if someone is not aware about Nav Nath and Chaurasi Siddha. The 9 nath are the very basic people who were able to attain highest spiritual levels and spread knowledge of very special sadhana of Aghora Vaam Kaul Shabar and Yoga too. With the blessings of lord dattatrey they were able to create new Mantras in this field and this way they created billions of sabar mantra which were not in the Sanskrit language but in the simple household language. So, the common people were able to have success which previously weren’t able due to pronunciation mistakes. This way 9 nath completed their task, as they were not born through human form they are still alive in their actual form and many of the sadhak receives their blessings bodily even date. Same goes for 84 siddhas. The 84 siddha though including some very accomplished nath even, are the group of sages who are believed to be one of the very highly Spiritually accomplished groups of the sadhaka who are accomplished in tantric and yog tantric sadhanas and some of them are highly accomplished in rasayana too. To seek a blessings and to have guidance in the field of sadhana from such great yogis are surely rise of the highest fortune and dream of many sadhaka.
There are many sadhanas which can let sadhaka achieve their goals in this regards. But the processes are really tough and time taking; still people wish to do such hard sadhanas. Even though in between these tough sadhana, there is a process which is easy in nature if we compare it to other processes and is able to fulfill the desire to get blessings of such great personalities which I received from sadgurudev.
For the sadhana one must have a separate room in which no one should enter except sadhak. There are strict rules need to be followed during sadhana.
Bramhacharya is must.
The fruit could be taken as meal once in a day. Milk could be taken anytime. Sadhak must not eat anything else
All the addiction like wine, tobacco should be left till the sadhana time period
No hair trimming or shaving is allowed during sadhana period.
The floor of the sadhana room should be applied with cow dung
Aasana, cloth should be yellow in color. Direction is north
Place a betel nut in worship place; this is symbol of the siddha. Do the regular poojan of the same. In Bhog sweet could be offer. The flower for offering must be fresh.
Akhand lamp should be light which must continue till the end of the sadhana period.
At night time after 9 one can chant mantra with sfatik rosary.
OM prakat siddh amukam pratyaksh aan mahadev ki
At the place of amukam chant the name of desired siddh.
One needs to do 1,25,000 mantras, which should be completed in 21 or less days. The mantra jaap should remain in same count daily.
One the last day the sidhh will come bodily and bless with granting a wish.
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