तंत्रमार्ग में गतिशील होने वाले प्रत्येक पथिक को "सिद्ध्कुंजिका" के रहस्य का ज्ञान होना आवश्यक है | जीवन के विविध पक्षों में इनके अर्थ भिन्न भिन्न हो सकते हैं,फिर वो चाहे आर्थिक उन्नति का क्षेत्र हो,आध्यात्मिक उन्नति का क्षेत्र हो या फिर आरोग्य की दृष्टि से इसकी भूमिका का बोध हो..... सदगुरुदेव की ज्ञान दृष्टि ने इस अद्भुत मंत्र के उन रहस्यों को अनावृत किया था जो जन सामान्य के पहुँच से बहुत दूर या अगम्य है....उन्ही से प्राप्त एक ऐसा रहस्य जिसमे इस मंत्र के गर्भ में छुपे उन मर्मों का ज्ञान भी समाहित था जो रस विज्ञानं की दुरुहता को सहज ही हल किया जा सकता है....बस उसी और एक कदम .....
****NPRU****
****NPRU****
No comments:
Post a Comment