एक व्यक्ति के जीवन की
गतिशीलता में उसके सामने नित नविन पक्ष हर रोज आते ही रहते है. और जीवन की इसी दौड
में मनुष्य अपने क्रिया कलापों से और कार्यों से नित्य अपने जीवन को आगे बढ़ाने के
लिए गतिशील रहता है. आज के युग में भौतिक जीवन में कई प्रकार की समस्याओ से मनुष्य
घिरा रहता है. कोई प्रगति करना चाहता भी हो तो कई व्यक्ति अकारण ही उस पर बाधक
बनते है. या फिर अगर प्रगति कर भी ली हो तो इर्षा वश या अन्य कारणों से भी दूसरे
व्यक्ति अकारण ही जीवन को त्रस्त बनाने की कोशिश में लगे रहते है. कई बार इस
प्रकार के शत्रु हिन् कार्य कर के सबंधित व्यक्ति तथा उनके परिवार के जीवन को भी
येनकेन कई प्रकार समस्या से ग्रस्त रखने के लिए कार्यशील रहते है. एसी स्थिति में
एक साधारण मनुष्य स्व तथा अपने परिवार को एसी बाधाओ से बचाने के लिए हर संभव कोशिश
करता है लेकिन कई बार शत्रु का भय और प्रभाव इतना व्याप्त हो जाता है की व्यक्ति
अपने जीवन में सिर्फ समस्या की प्राप्ति ही करता है. ऐसे हिन् मनोवृति वाले शत्रु किसी
भी हद तक जाने के लिए नहीं चुकते है और सामने वाले व्यक्ति को किसी न किसी प्रकार
से परेशान करने के लिए उद्ध्वत ही रहते है. शत्रु समस्या आज के युग में एक विकट
समस्या बन गई है. कई बार अपने साथ वाले व्यक्ति ही मौका मिलने पर धोका दे कर अपने
शत्रुता का बोध करा देते है या फिर निकट के मित्र भी अचानक तक मिलने पर शत्रुवत
व्यवहार करने लगते है. स्वार्थवश कई बार अपने सुपरिचित भी समय आने पर तुरंत शत्रु
बन कर सामने खड़े हो जाते है. ऐसे जीवन में व्यक्ति हर समय एक असुरक्षा का बोध ले
कर जीता है तथा उसके परिवार को भी यही भाव में जीवन को निकालना पड़ता है. एसी संकटपूर्ण
स्थिति में व्यक्ति तंत्र का सहारा ले कर अपनी समस्या का समाधान कर सकता है. यहाँ
पर किसी को त्रस्त करने की भावना नहीं है बल्कि स्वकल्याण तथा अपने परिवार की
सुरक्षा की भावना है. अगर कोई व्यक्ति अकारण ही परेशान करता हो, स्वार्थवश अहित
करता हो या किसी भी प्रकार से उसके मन में सिर्फ पीड़ा पहोचाने की ही भावना हो तब
व्यक्ति इस प्रयोग को कर अपने शत्रु से मुक्ति पा सकता है तथा खुद तथा परिवार
कल्याण के लिए एक सुरक्षा चक्र तैयार कर सकता है. अपने जीवन को वापस से प्रवाहमान
बना कर पूर्ण रूप से जीवन को जी सकता है.
यूँ तो शत्रु उच्चाटन से
सबंधित कई प्रक्रिया पहले ही दी जा चुकी है, लेकिन यह प्रयोग अत्यधिक तीव्र है और
तुरंत ही अपना अशर दिखाना शुरू कर देता है. इसके अलावा यह एक दिवसीय प्रयोग है
जिससे की साधक इसे तुरंत सम्प्पन कर सकता है. इस साधना में व्यक्ति को ११ माला
मंत्र जाप करना रहता है इस कारण जिन व्यक्तिओ को साधना का ज्यादा अनुभव नहीं है
तथा जो ज्यादा समय तक आसान पर बैठ नहीं सकते वैसे व्यक्ति भी इस प्रयोग को बहोत ही
सहजता से कर सकते है.
साधक कही से भी उल्लू का एक
पंख प्राप्त करे. फिर किसी भी महीने की कृष्णपक्ष की अष्टमी को रात्री काल में ११
बजे के बाद दक्षिण दिशा की तरफ मुख कर साधक बैठ जाए. इस प्रयोग में साधक के वस्त्र
तथा आसान काले रंग के हो. उस पंख पर शत्रु का नाम काजल से से किसी भी कलम से लिखे
या स्मशान के कोयले से लिखे. इसके बाद उसे अपने सामने काले वस्त्र पर रख कर काली
हकीक माला से निम्न मंत्र का जाप ११ माला करे
ॐ खँ उच्चाटय उच्चाटय हूं फट
मंत्र
जाप सम्प्पन होने के बाद व्यक्ति जो काले वस्त्र का उपयोग पंख रखने के लिए उपयोग
हुआ है उसी में पंख, माला तथा वो कलम जिससे नाम लिखा गया है या फिर कोयला जिसे
उपयोग किया गया है उसे बाँध कर स्मशान में उसी रात फेंक दे यह कार्य उसी रात्री
में हो जाना चाहिए. साधक घर आ कर स्नान कर ले और सो जाए. इस प्रकार यह प्रयोग
सम्प्पन हो जाता है. इस प्रयोग से शत्रु का उच्चाटन हो जाता है और वो भविष्य में
कभी साधक को परेशान नहीं करता है.
In the continuity of
life of the human being one may have various new aspects of the life daily. And
in the race of the life one always tries to develop the life by day to day
activities and works. In today’s time, person may remain trapped in various
troubles of the material life. If one may want to progress, then too, other
people with no reason starts becoming obstacles. Or if the progress has already
been made, then too, being jealous or with other reasons people may keep on
trying to create troubles in the life of the person. Many times such enemies do very cheap
activities and remain active with a goal to make troubles to the person and
family of that person. In such situation, normal human being tries every
possible thing to save one self and family from every possible dangers but many
time fear and effect of the enemies goes pervade so badly that person receives
troubles only. Such cheap mentality holders enemies may go to any extend and to
ruin life of the person they remain always active. A trouble of the enemies is
vital trouble now days. Sometimes close person also introduce their self as
enemies by cheating or when they have chance very close friend also starts
acting as enemies suddenly. Being selfish many time our very well known people
too come in front as enemies on the specific time. Such life always gives sense
of insecurity at every moment and family also suffers from the same. In such critical
situation, person may take help of the tantra to have freedom from trouble. In
this situation, one does not have any intention of making some one troubled or
suffered but for betterment of the self and family and security of them is the
basic motto. If someone is troubling with no reason, keeps on trying to harm
being selfish and only thought is to provide pain then one may have freedom
from these problems with this prayog and one may create secured atmosphere for
self and family. By making the life on
its natural form, one may starts living it completely again.
Many processes have
already been given related to shatru uchchatan or enemy deflexion, but this
process is very intense process and it shows the effect very quickly. Apart
from that, this process is only one day process so sadhak can do it very
quickly. In this sadhana one needs to do only 11 rosaries of the mantra; this
way person who is not much experienced in the sadhana and those who are not
comfortable to sit for the long time may also do this process very comfortably.
Sadhak should obtain
feather of the owl from anywhere. Then on the eight night of dark moon after 11
PM one should sit facing south direction. In this process cloths and sitting
mat of the sadhaka should be black in color. Sadhak should write name of the
enemy on the feather with soot (lamp black) with pen of anything or one may
write the name with coal of seminary. After that sadhak should place that
feather on black cloth in front and one should chant 11 rosaries of the
following mantra with Black Hakeek rosary.
Om Kham Uchchatay Uchchatay Hoom
Phat
After mantra chanting is done one should tie that feather, rosary, and
the pen with which name was written or the coal in the same black cloth which
was used to place feather on it and then this tied material should be thrown to
Smashana or seminary; this task should be completed on same night. Sadhak
should bathe after coming back to home and should go for sleep. This way this
process is completed. With this process deflexion of the enemy is done and in
future that enemy never creates any troubles.
****NPRU****
1 comment:
ATI UTTAM PRAYOG HAI.THANKS BHAIYYA ,
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