Saturday, June 4, 2011

What is the process of anga nyas and kar nyas


सबसे  सरल अर्थ तो न्यास का यही  हैं  की  वह प्रक्रिया जिसके माध्यम से सम्बंधित देवी /देवता साधक  के शरीर में ही  समाहित  हो कर उसे सफलता  प्रदान करें क्योंकि  मित्रता तो सामान  स्तर  के व्यक्तियों  में ही संभव हैं फिर यह  देवी /देवता का हमारे शरीर में आवाहन  हमें सफलता   की दिशा  में एक और  कदम  बढाता हैं . . अधिकांश  साधनाओ में  यह अंग ओर कर न्यास की सरल प्रक्रिया  एक आवश्यक  भाग होता हैं .  और इस से भी समझना आवश्यक हैं  की इसे कैसे सही तरीके से किया जाये . इन के करने के कई तरीके संभव ही सकते हैं पर मैंने एक उच्चस्तरीय साधक  को जिस तरह से करते देखा हैं वह आपके सामने  हैं  जिससे हमारे  गुरु भाई / बहिन  सभी लाभान्वित  हो सके ..

( हम सभी NPRU  में  इस बात को अछ्छी तरह से समझ रहे हैं की अनेको बार  केबल शब्द  ही किसी भी विषय को समझा सकने  में  सफल नहीं  होते . हम जल्द  ही प्रयास  रत हैं की छोटी छोटी विडियो  फिल्म बना  कर   हम अपनी वेब साईट पर  अपलोड कर सके  जिससे की इन विषयों  को सभी गुरु भाई बहिन देख कर भी अछ्छी तरह से ह्रदय न्गम कर सके  किस तरह से  इन प्रक्रिया  को किया जाना चाहिए .हमारे द्वारा  किया गया यह छोटा सा श्रम धीरे धीरे  अपनी जगह बनाता जा रहा हैं , आप सभी को इस हेतु  ज्यादा प्रतीक्षा  नहीं करनी  पड़ेगी   ओर न केबल इस विषय से सम्बंधित बल्कि  दिव्य जड़ी बूटी  उनके  बारे में बिस्तार से आवश्यक  तथ्य,उपयोगिता , कैसे पहचान की जाये  .पारद विज्ञानं के विभिन्न  संस्कार से सम्बंधित प्रायोगिक    तथ्य , ऐसी अनेको   साधनात्मक जगहोंके दृश्य  चित्र भी  जो आज भी साधको के मध्य  अपरिचित हैं  , इनके बारे में इनके महत्व के  विषय   में  भी चित्र  या फिल्म आपके सामने होगी . हमसभी इस हेतु भी कार्यरत  हैं )

अंग न्यास:
अंग न्यास के विषय में सदगुरुदेव जी कहते हैं ... सीधे हाँ के अंगूठे  ओर अनामिका  अंगुली  को आपस में जोड़ ले  ओर सम्बंधित मंत्र का उच्चारण करते जाये , शरीर के  जिन भागों का नाम लिया जा रहा हैं  उन्हें स्पर्श करते हुए यह भावना रखे की  वे भाग अधिक शक्तिशाली ओर पवित्र होते जा रहे हैं .
उदहारण
  •  ॐ ह्रदयाय नमः ----- बतलाई गयी उन्ही दो अंगुली से  अपने ह्रदय स्थल को स्पर्श करे
  • परम तत्वाय शिरसे स्वाहा ----- अपने सिर   को
  • नाराणाय शिखाये  फट ---- अपनी शिखा  को (जोकि सिर के  उपरी पिछले   भाग  में स्थित होती हैं .)
  • गुरुभ्यो  कवचाय  हम  --- अपने  बाहोंको
  • नमः नेत्र त्रयाय वौषट-----अपने आँखों को
  •  ॐ अस्त्राय फट --- तीनबार ताली बजाये

( यह पर  आपके सामने कुछ ओर तथ्य  रखना चाहूँगा , हम तीन बार ताली बजाते क्यों है? , हम हमेशा से  बहुत सारे क्षुद्र  देवी देवता से घिरे रहते हैं .और जो हमेशा से हमारे द्वारा  किये जाने वाले मंत्र जप  को हमसे छीनते जाते हैं , तो तीन बार सीधे हाँथ की हथेली को सिर के चारो  ओर  चक्कर लगाये / सिर के चारो तरफ वृत्ताकार  में घुमाये , इसे पहले यह देख ले की किस नासिका द्वारा हमारा स्वर  चल रहा हैं , यदि सीधे हाँथ की और वाला स्वर चल रहा हैं तब  ताली बजाते समय  उलटे हाँथ  को नीचे रख  कर   सीधे हाँथ से  ताली बजाये . ओर यदि नासिका स्वर  उलटे हाथ की और/ लेफ्ट  साइड का चल रहा हैं तो  सीधे हाँथ की हथेली  को नीचे रख  कर     उलटे/लेफ्ट  हाँथ से ताली उस पर बजाये .) इस तरीके से करने पर हमारा  मन्त्र जप सुरक्षित रहा हैं ,सभी साधको को इस तथ्य ओर चौर्य  न्यास पर  तो ध्यान देना ही चाहिए  ही

कर न्यास :
इस कर न्यास की प्रक्रिया को समझने से पहले हमें यह समझना हो गा की हम भारतीय  किस तरीके से नमस्कार करते हैं  इसमें हमारे दोनों हाँथ की हथेली  आपस में जुडी रहती हैं साथ हि साथ दोनों हांथो की हर अंगुली ,ठीक  अपने  कमांक की  दुसरे हाँथ अंगुली  से जुडी होतीहैं
 ठीक इसी तरह से  यह न्यास  की प्रक्रिया  भी....
 यहाँ पर हमें जो प्रकिर्या  करना हैं वह  कम से  धीरे  धीरे   एक पूर्ण नमस्कार  तक  जाना हैं . मेरा  तात्पर्य ये हैं की जव् आप पहली लाइन के मन्त्र का उच्चारण करेंगे  तब केबल दोनों हांथो के अंगूठे को आपस में   जोड़  देंगे जब तर्जनीभ्याम  वाली लाइन का उच्चारण हो गा तब  दोनों हांथी की तर्जनी अंगुली को आपस में जोड़ ले (यहाँ पर ध्यान रखे की अभी भी दोनों अंगूठे  के अंतिम सिरे आपस में जुड़े ही रहेंगे , इसके बाद  मध्यमाभ्यम  वाली लाइन  के दौरान हम  दोनों हांथो की  मध्यमा अंगुली को जोड़ देपर यहा भी  पहले जुडी हुए अंगुली अभी भी जुडी ही रहेंगी. .. इसी तरह से   आगे  की लाइन के बारे में क्रमशः  करते जाये , ओर अंत  में करतल कर  वाली लाइन  के समय  एक हाँथ की हथेली की पृष्ठ भाग  को दुसरे हाँथ से स्पर्श करे  ओर फिर दूसरी हाँथ  के लिए  भी यही प्रकिर्या करे .  
  •  अंगुष्ठ भ्याम  नमः ---- दोनों अंगूठो  के अंतिम सिरे को आपस में  स्पर्श  कराये .
  • परम तत्वाय  तर्जनी भ्याम  नमः ---- दोनों तर्जनी  अंगुली  के अंतिम सिरे  को  आपस में  मिलाये (यहाँ पर  अंगूठे  मिले ही रहेंगे ),
  • नारायणाय  मध्यमाभ्याम  नमः --- दोनों मध्यमा   अंगुली  के अंतिम सिरे को  आपस में  मिलाये (यहाँ पर  अंगूठेतर्जनी  मिले ही रहेंगे ),
  • गुरुभ्यो अनामिकाभ्याम  नमः ----दोनों अनामिका   अंगुली  के अंतिम सिरे को  आपस में  मिलाये (यहाँ पर  अंगूठेतर्जनीमध्यमा मिले हीरहेंगे ),
  • नमः  कनिष्ठिकाभ्याम  नमः ---दोनों कनिष्ठिका   अंगुली  के अंतिम सिरे को  आपस में  मिलाये (यहाँ पर  अंगूठेतर्जनीमध्यमाअनामिकामिले ही रहेंगे ),
  •  करतल कर प्रष्टाभ्याम नमः --- दोनों हांथो की हथेली  के  पिछले भाग को दूसरी हथेली से  स्पर्श करे.
अब आप समझ गए   होंगे की सही तरीका  इन दोनों न्यास को करने का  क्या तरीका हैं . (हम यह जानते हैं आप मेंसे अधिकांस   इन दोनों  न्यास करने की प्रक्रिया से अवगत  होंगे हो , फिर भी नए गुरु भाइयों / बहिनों  को दृष्टी गत  रखते हुए  यह पोस्ट  हैं...)हम सभी उस रस्ते पर  आगे वाढते   जाये जिस पथ पर सदगुरु  का आशीर्वाद  सदैव  हैं ओर अतिम परिणिति उनके दिव्य श्री चरण कमल हैं
 आज  के लिए  बस  इतना ही
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  The very easy  meaning   of  Nyas , is  a process  by which the  concerned devi / devta be  appear  in  sadhak body so that   not only sadhak effort but  the concerned devi/devta  blessing  be available to  him  so that success can be achieved easily  and pre requisite  that friend ship between equal is possible can start /takes place . in many of the sadhana this simple  procedure is  a essential apart , and  one must  also  know how  to do  that  correctly , here there are  many ways to do that , but I personally  seen a  higher  level sadhak performing that  so  for   all  our  guru brother /sister the   benefitted  here  is the process.
( we here in NPRU understand the feeling that  many times words alone are  not sufficient to understand the subject , so very soon  slowly and slowly we are going to add various small video clipping  so that  not only  through  word but you can see yourself  that how it should have to be done, And our guru brother /sister  benefitted  by that . our a little hard work are  gaining the ground between our friends and like  minded  well wishers..  You all not have to much wait for this , not only this but various  herbs, details , parad vigyan  Sanskar details  and  various  secret place that are still hidden from the eyes of a general sadhak will also  be  part .)
 For ang nyas  Sadgurudev  says that ..
  Thumb  and  anamika  figure ( ring finger ) join together  of  right hand  and   chant the following mantra , indicating  various  part of  body touch  them and have  feeling that they are  getting stronger and become holier.
Like 
·        om hrdya namah ------ touch  with   those two finger to heart
·        Param tatvay shirse  swaha ---- to head
·        Naranay shikhaayai phat ---   touch the sikha (means place where  pandit used to have long hear  top beck portion of head)
·        Gurubhyo  kavachay hum----- touch the arms
·        Namah netra trayay voshat --- touch the eyes
·        Om astray phat -----  clap three  times your palm.
( here a little bit  more detail is needed , why we do that  since various kshudra / lesser deity  are always present around us and they continuously  steal the mantra jap from us  , so  move your right hand palm three times  in around your head, means circle the head     and check  that wich of the nostril  side is   running if  your breath coming from right side than  use  the  right hand for clapping and left hand is a base for that clapping ( tali ). And if  left  side  breath is  going on than use left hand for clapping   and right  hand for that base.) this must process  so that  all your mantra jap power lies in you only.)
 Kar nyas :
 What is the process of kar nyas  , now you have to understand first , how we do the namskar  (in Indian  way),  both palm  are  touching side by side and each figure to the same finger of other hand .
yes the same way
  here we have to do  but one by one to arrive the full namskar position .  here I am means.. while  you are saying /chanting  first line  than touch both hand thumb to each other. When  about tarjanishyam means  in this position thumb  already in touching position but  first finger  of  one  hand also join to other hand first hand . than madhyamabhyam means middle finger  , now  thumb and first finger  already joining  condition now you have to join both hand  middle finger s,  I think you understand how   to do the repeat the process for rest of the finger. In the last you have to  touch one hand  palm  back with other hand palm .
·        om  angushthabhyam  namah ------ touch  both thumb end point  with each other
·        Param tatvay tarjanibhyam namah----  In addition to  above  now  both first finger’s end point  with each other
·        Naraynay madhambhyam namah ---   In addition to  above  now  both middle finger’s end point  with each other

·        Gurubhyo  anamika bhyam  namah----- In addition to  above  now  both ring finger’s end  with each other
   
·        Namah  kanishthikabhyam  --- ----- In addition to  above  now  both little finger’s end point  with each other
·        Om  kartalkar prashthabhyam namah -----  now  touch  back of  each palm with other palm
 Now you know what is  the  ang  nyas and kar nyas. And you all are marching with us in the direction of success and divine holy feet of Sadgurudev  ji,, may Sadgurudev  bless us all  to always be on right path .
That’s enough for today…
****NPRU****

6 comments:

Bishwajit said...

Jai Gurudev ,
eak request hai blog ya Tantra Kaumudi me jo sadhana ke mantra diya jate hai agar un mantro ka audio file upload kar de to bahut hi aacha ho jisse ham log mantro ka sahi uccharan ka sake .

Regards
Bishwajit

BABIT NAIK NIKHIL said...

very very special. lazawaab.......

Rishiraj awasthi said...

Sir angnyas karte samay mera dono nasika se swar chal raha tha to astraya phat karte samay taali kaise bajaun? Please reply.traya phat karte samay taali kaise bajaun? Please reply.

Anu said...

dear rishiraaj ji,
swar vigyan ke anusar , jab dono nasika se swar chal raha ho wah samay sadhan ya pooja ke liye hot ahain , jis samay yah isthiti aaye jab aap nyas kar rahe to aap kisi bhi haanth se tali baja sakte hain, raha swal tali kaise bajaye, to post dekhen main ,jis trapf ka swar na chal raha ho wah haanth niche rahega, taha swar chal rahe ki side wala hanth se is niche wale haanth ki hatheli par prahar halke se karna hain .
Smile
Anu

Manjeet said...

ye sidhe hath aur ulta haath kya hai?
I mean which one is right hand(dahina) and which one is left hand (baen hath)?

Anu said...

manjeet bhai , sidha hath matlab right hand and baayan matlab left hand .

dear bhai om shanti ji, aap blog par hi search kar le kyonki kai baar ham yah de chuke hain kikaise yah e mag download ki ja sakati hain ya meri request hain ki aap facebook nikhil-alchemy group join kar le whan par kahin jyada asani se yah aap ki quesry solve ho jayengi .
harshal bhai, yah shamshan ka prayog hain to wahi par hoga , aur nikhil kavach to sarv shrethh hain . rakshatmak vidhan ke liye ..
smile
Anu