Saturday, June 9, 2012

TANTRA KOUMUDI 11 TH EDITORIAL




प्रिय आत्मजनों,
             निखिल प्रणाम,
देव्यन्ते: स्वस्व गुरुवन्तं ज्ञानपूजा परा मता |
आदिनाथात् गुरुज्ञानं स्वगुरुवन्तं महेश्वरी ||
    गुरु की महिमा को अनंत मुख से भी नहीं बताया जा सकता है,वाणी का फिर चाहे जो भी प्रकार हो,परा,पश्यन्ति या फिर वैखरी | अर्थात माँ आद्या शक्ति ही तो नित नूतन शरीर का धारण कर गुरु तत्व के रूप में ज्ञान के प्रकाश से इस सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को आलोकित करती है |
   तंत्र कौमुदी का ये ११ वाँ अंक "अनुभूत तंत्र और पराविज्ञान महा विशेषांक" है | जो सदैव की भांति आपको ज्ञान के कुछ छुए और अनछुए पहलुओं से परिचित करवाएगा | मैंने पहले भी कहा है की हमारे परिश्रम को सार्थकता तभी मिल पाएगी जब आप उल्लास से उसे अंगीकार कर उस रहस्य को स्वयं भी जी कर परिचित होंगे.... तंत्र कोई दर्शन नहीं है अपितु प्रायोगिक सिद्धांत है | स्वयं करो और अनुभूतियों के सागर में गोते लगा लो | इसके अतिरिक्त कोई नियम नहीं है तंत्र या साधनाओं को जीने का | याद रखिये सफलता उन्ही का वरण करती है जो उसे झपटने की कला से ना सिर्फ परिचित हो अपितु उसका कालानुसार प्रयोग करना भी जानता हो.....|
  मुझे विशवास है की आप में से जिन्होंने भी सप्त साधनाओं को संपन्न करने का उत्साह दिखाया होगा,उन्हें यन्त्र या सम्बंधित सामग्री मिल गयी होगी...१५ जून तक आपको उनकी विधियां भी मेल कर दी जायेंगी...ताकि आप उन्हें प्रायोगिक रूप से संपन्न कर सकें | आप इस बात से निश्चिन्त रहिये,आप जैसे ही एक साधना संपन्न कर लेंगे आपको आपकी वांछित दूसरी साधना की सामग्री प्रेषित कर दी जायेगी | बहुधा प्रामाणिक विधान होने पर भी यदि प्रामाणिक सामग्री ना हो तो साधना में सफलता मीलों दूर ही रहती है,अब वैसा कभी इस मार्ग के किसी पथिक के साथ ना हो,और उसे निराश ना होना पड़े,इसी उद्देश्य से हमने इस योजना को आप सभी के लिए रखा है | सिद्धियाँ दुरुहता युक्त नहीं होती हैं,अपितु उन्हें भली भांति अपनी आत्मा में उतार लेना और विनम्र होते जाना कठिन है | अतः आप इन गुणों से खुद को युक्त करते जायेंगे | साधना में सफलता प्रथम बार में ही मिल जाती है किन्तु, संचित,प्रारब्ध या क्रियमाण कर्म फलों का मलावरण इतना सघन होता है की हम अपने परिश्रम फल को चख नहीं पाते हैं और ये मान कर बैठ जाते हैं की शायद कुछ नहीं हुआ है | साधना में सफलता तो आपके परिश्रम के फल स्वरुप प्राप्त होगी ही किन्तु जो आप बारम्बार परिश्रम करते हो ये आपके उन्ही तीनों कर्म फलों से मुक्त होने के लिए करते हो,जिससे आपके आगे का तिमिर अन्धकार दूर हो सके और पूर्ण सत्य से आप परिचय पा सके | 
   ये अंक अनुभूतियों और पराविज्ञान की दुनियाँ में आपको सफर भी कराएगा और उनमे अनुभूतियों को प्राप्त करने के सूत्रों से भी परिचित कराएगा | अगला अंक "विविध सिद्धि और मुस्लिम तंत्र महाविशेषांक" होगा | और अब से हमारा यही प्रयास होगा की प्रति माह आपको आपकी ये पत्रिका समय पर प्राप्त हो सके | विविध कार्यों में व्यस्तता के कारण हम तीनों चाह कर भी समय पर पत्रिका प्रकाशन में विलम्ब कर देते हैं....किन्तु धीरे धीरे हमने अपनी जीवन चर्या को ऐसा ढाल ही लिया है की शायद अब विलम्ब ना हो |ये अंक आज रात्रि के प्रथम प्रहर तक आपके पास होगा |
    मेरे प्रिय भाई अनुराग सिंह गौतम और रघुनाथ भाई को मेरे अनापेक्षित दबाव का सामना करना पड़ता है |और एक एक लेख को १०-१० बार जांच कर ही आगे दिया जाता है |और वे दोनों हँसते हुए इन योजनाओं को साकार करने में अपना सर्वस्व लगाते हैं...इसके लिए आभार शब्द बहुत कम ही होगा | हम अपने भाई बहनों के लिए हमेशा तत्पर हैं...आइये हम सभी भाई बहन आपस में कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढे और सदगुरुदेव के स्वप्न "सिद्धाश्रम साधक परिवार" को साकार करे | किसी के आगे गिडगिडाए नहीं बल्कि थोडा सा समय लगाकर और प्रयोगों को संपन्न कर स्वयं की समस्याओं का स्वयं ही अंत कर स्वभाग्य निर्माता बने | तब तक के लिए......
"निखिल प्रणाम "
                                                                                   सदैव से आपका ही भाई
                                                                                    आरिफ खान निखिल  

****NPRU****

4 comments:

Vivek Prakash Singh "VIKKY" said...

thanks bhaiyaa.. i hope this edition will also be very knowledgeble as were previous editions..

Hari Om said...

bhaisaab, please let me know how to obtain 'tantra kaumudi' magazine in my email. I have become follower of this blog and joined the yahoo group (as much as i know about this). Also have sent request e-mails for the same.

I have already missed so much precious knowledge, please dont let me forgo any more.

Vishnu Pandey,
9999206206

prits said...

nyahow to get tantra kumudi..plz send me link

prits said...

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